हरियाणा में टूटा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन, क्या है इसके पीछे की राजनीति
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा है कि वो हरियाणा विधानसभा चुनाव अकले लड़ेगी.आप ने चंडीगढ़ में गुरुवार को अपना चुनावी कैंपेन शुरू किया.इस अवसर पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आप पूरी ताकत से हरियाणा विधानसभा का चुनाव लड़ेगी.उन्होंने कहा कि पंजाब और दिल्ली में हमारी सरकार है हरियाणा आधा दिल्ली तो आधा पंजाब से टच करता है.उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी हरियाणा के ही रहने वाले हैं. आप के इस कदम से हरियाणा विधानसभा के चुनाव त्रिकोणीय हो सकते हैं. राज्य में इस साल अक्तूबर में विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं.
गठबंधन पर क्या कहा है आपने
इस दौरान आप के महामंत्री (संगठन) संदीप पाठक ने कहा कि आप हरियाणा में ऐसा चुनाव लड़ेगी कि दुनिया देखेगी.आज से पहले ऐसा द्वन्द ना हुआ होगा,ना ही होगा.उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में अपनी सरकार बनाने के लिए चुनाव मैदान में उतरेगी.आप 20 जुलाई को टाउनहाल का आयोजन कर केजरीवाल की गांरटी लॉन्च करेगी.
उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए समझौता किया था. यह समझौता दिल्ली, हरियाणा और गुजरात के लिए हुआ था. लेकिन सफल नहीं रहा.इस गठबंधन को दिल्ली और गुजरात में करारी हार का सामना करना पड़ा.दिल्ली की सात सीटों में से आप ने चार और कांग्रेस ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था. लेकिन दोनों कोई सीट नहीं पाईं. वहीं गुजरात में कांग्रेस ने 26 में से 25 सीटों और आप ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था. लेकिन कांग्रेस केवल एक सीट ही जीत पाई. आप अपनी सीट हार गई थी. वहीं हरियाणा में कांग्रेस ने आप को लड़ने के लिए एक सीट दी थी और नौ सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ा था.कांग्रेस ने नौ में से पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं आप को कुरुक्षेत्र सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. आप के उम्मीदवार सुशील गुप्ता को बीजेपी के नवीन जिंदल ने हराया था.
लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस का प्रदर्शन
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस-आप को 90 में से 46 सीटों पर बढ़त हासिल हुई थी.वहीं बीजेपी को 44 सीटों पर बढ़त मिली थी.ऐसे में इतनी अधिक सीटों पर बढ़त मिलने से कांग्रेस के हौंसले बुलंद हैं.लोकसभा चुनाव आने के बाद आप ने कहा था कि वह विधानसभा का चुनाव अकेल लड़ेगी. उसी समय यह तय हो गया था कि दोनों दलों का समझौता केवल लोकसभा चुनाव के लिए ही था. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चार जुलाई को ही कह दिया था कि आप और कांग्रेस का समझौता केवल लोकसभा चुनाव के लिए था. उन्होंने कहा था कि विधानसभा चुनाव के लिए समझौते की गुंजाइश कम ही है.
दिल्ली में लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस उम्मीदवारों ने आरोप लगाया था कि उन्हें आप के वोट नहीं मिले. उसी समय से यह गठबंधन टूटने के संकेत मिलने लगे थे. वहीं हरियाणा में आप के उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि प्रदेश में कुछ ताकतों ने प्रयास किया कि आम आदमी पार्टी की भ्रूण हत्या कर दी जाए.
हरियाणा में आप का प्रदर्शन
वहीं अगर हरियाणा में आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन की बात करें तो 2019 के चुनाव में उसने प्रदेश की 90 में से 46 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इन सभी सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी. उसे इन सीटों पर करीब 60 हजार वोट मिले थे. वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो उसने प्रदेश की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसने 31 सीटों पर जीत दर्ज की थी. उसे कुल 28.08 फीसदी वोट मिले थे. इसके बाद हरियाणा विधानसभा के उपचुनावों में भी आप कोई सीट नहीं जीत पाई.
आम आदमी पार्टी के अकेले चुनाव लड़ने की वजह से हरियाणा के विधानसभा चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.
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