बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शनों के बीच 1000 भारतीय छात्र स्वदेश लौटे, अब भी फंसे हैं हजारों स्टूडेंट्स
नई दिल्ली :
बांग्लादेश में व्यापक विरोध प्रदर्शनों (Bangladesh Protests) के कारण हालात बेहद खराब हैं और इसके चलते भारतीय छात्र (Indian Students) वहां से लौट रहे हैं. भारतीय उच्चायोग (Indian High Commission) भारतीय छात्रों को भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार करने के लिए सुरक्षित यात्रा की सुविधा प्रदान कर रहा है. भारतीय विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) भारतीय नागरिकों के लिए सुरक्षित और आसान मार्ग उपलब्ध कराने के लिए सिविल एविएशन, इमिग्रेशन, बंदरगाहों और सीमा सुरक्षा बल के साथ सहयोग कर रहा है.
अब तक 778 भारतीय छात्र विभिन्न बंदरगाहों के माध्यम से भारत लौट आए हैं. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इसके अलावा करीब 200 छात्र ढाका और चटगांव एयरपोर्ट के जरिए नियमित उड़ान सेवाओं से घर लौटे हैं. भारतीय उच्चायोग बांग्लादेश की विभिन्न यूनिवर्सिटी में अभी भी करीब चार हजार छात्रों के साथ लगातार संपर्क में है. अनुरोध पर नेपाल और भूटान के छात्रों को भी भारत में प्रवेश करने में सहायता दी गई है.
कर्फ्यू के कारण एयरपोर्ट नहीं पहुंच सके कई छात्र
बांग्लादेश से लौटे एक भारतीय छात्र ने The Hindkeshariको बताया, “कई छात्रों ने हवाई टिकट बुक किए थे. हालांकि कर्फ्यू लगा होने के कारण वे एयरपोर्ट तक नहीं पहुंच सके. कई उड़ानें भी रद्द कर दी गईं. अभी भी बहुत से भारतीय छात्र कई यूनिवर्सिटी के छात्रावासों में हैं, जहां माहौल अभी भी शांतिपूर्ण है.”
ढाका में स्थित भारतीय उच्चायोग ढाका और चटगांव से भारत के लिए उड़ान सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश के सिविल एविएशन अधिकारियों और कमर्शियल एयरलाइनों के साथ समन्वय में जुटा है, जिसका उपयोग भारतीय नागरिक घर लौटने के लिए कर सकते हैं.
विवादास्पद आरक्षण को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन
बांग्लादेश में इस सप्ताह सरकारी नौकरियों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर छात्र प्रदर्शनकारियों, सुरक्षा अधिकारियों और सरकार समर्थक छात्र कार्यकर्ताओं के बीच झड़प होने से अशांति फैल गई है. बढ़ती हिंसा ने विरोध प्रदर्शन के आयोजकों को देशव्यापी बंद का आह्वान करने के लिए प्रेरित किया है. देश के विश्वविद्यालयों ने अशांति के मद्देनजर अनिश्चित काल के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं.
पिछले महीने के आखिर में शुरू विरोध प्रदर्शन सोमवार को उस वक्त चरम पर पहुंच गए जब देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र कार्यकर्ताओं की पुलिस और सत्तारूढ़ अवामी लीग से जुड़े प्रदर्शनकारियों के साथ हिंसक झड़प हो गई.
पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण है.
प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को भेदभावपूर्ण और असंगत रूप से लाभ पहुंचाती है. प्रदर्शनकारी मौजूदा कोटा को बदलने के लिए मेरिट पर आधारित प्रणाली की वकालत करते हैं.
कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों पर गोलीबारी
बांग्लादेश में स्थिति बिगड़ गई है. प्रदर्शन को दबाने के लिए सैनिक शहरों पर गश्त कर रहे हैं. दंगा पुलिस ने सरकार द्वारा लगाए गए कर्फ्यू का उल्लंघन करने वाले प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की है, जिससे माहौल अस्थिर और खतरनाक हो गया है.
इस सप्ताह हिंसा में कम से कम 115 लोगों की मौतें हुई हैं, जो प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. पुलिस के अव्यवस्था को नियंत्रित करने में विफल रहने के बाद कर्फ्यू के साथ पीएम हसीना के कार्यालय से सैन्य तैनाती का अनुरोध भी किया गया.
बांग्लादेश आर्म्ड फोर्सेज के प्रवक्ता शाहदत हुसैन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, “कानून और व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को देश भर में तैनात किया गया है.” स्थानीय मीडिया के अनुसार कर्फ्यू रविवार सुबह कम से कम 10 बजे तक प्रभावी रहेगा.
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