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1984 सिख विरोधी दंगा मामला : कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को आज सुनाई जा सकती है सजा


नई दिल्ली:

1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ आज अदालत फैसला सुना सकती है. दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने बीते 12 फरवरी को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था. यह मामला 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में दो सिख नागरिक जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा हुआ है. इस दौरान सिखों का नरसंहार हुआ था और उनके घरों को आग के हवाले कर दिया गया था.

इस मामले को लेकर शुरुआत में पंजाबी बाग थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. बाद में जस्टिस जी पी माथुर कमेटी की सिफारिश पर गठित विशेष जांच दल ने इस मामले की जांच की और आरोप पत्र दाखिल किया. समिति ने 114 मामलों को फिर से खोलने की सिफारिश की थी. यह मामला उनमें से एक था. 16 दिसंबर, 2021 को अदालत ने आरोपी सज्जन कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148 और 149 के तहत दंडनीय अपराधों के साथ-साथ धारा 302, 308, 323, 395, 397, 427, 436 और 440 के साथ धारा 149 आईपीसी के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आरोप तय किए.

एसआईटी ने आरोप लगाया कि सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया, जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया और उनके घरेलू सामान समेत अन्य संपत्ति को भी लूट लिया था. इस दौरान उनका घर भी जला दिया गया था. इस हमले में घर के कई लोगों को चोट भी आई थी.

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इस परिवार की मदद करने वाले समाजसेवी सोनू जंडियाला ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “हमें कोर्ट पर विश्वास है. भारत की अदालत ऐसा फैसला लें कि दुनिया याद रखे. इन लोगों को फांसी की सजा मिले. उस समय सिखों पर बहुत अत्याचार किया गया. टायर में आग लगाकर उसे गले में टांग दिया गया था. इन लोगों को नेता नहीं, बल्कि कातिल कहना उचित रहेगा. आज बहुत सारे लोग इस दुनिया में नहीं रहे. उनकी आत्मा को शांति मिले, इसलिए जरूरी है कि इन लोगों को फांसी की सजा सुनाई जाए. इन पापियों के पाप का घड़ा भर चुका है. पहले तो आस ही मर चुकी थी, लेकिन अब आस जगी है.”

बता दें कि 1 नवंबर, 2023 को कोर्ट ने सज्जन कुमार का बयान दर्ज किया था. उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया था. 1984 के सिख विरोधी दंगों में सिख समुदाय के हजारों लोगों को निशाना बनाया गया था.



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