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वक्‍फ बोर्ड के नए बिल को लेकर JPC के पास पहुंचे 2.5 करोड़ ईमेल, जानिए प्रस्‍तावित बिल से जुड़ी हर जानकारी


नई दिल्‍ली:

वक्‍फ बोर्ड (Waqf Board) के नए बिल को लेकर गठित संयुक्‍त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) को 15 सितंबर तक करीब 2.5 करोड़ ईमेल मिल चुके हैं. यह बताता है कि वक्‍फ बोर्ड के नए बिल को लेकर चाहे आपकी प्रतिक्रिया पक्ष में हो या विपक्ष में, चर्चा हर कोई कर रहा है. जेपीसी की ओर से कहा गया है कि ईमेल के जरिए आए सुझावों को लेकर सदन में रिपोर्ट पेश की जाएगी. आइए जानते हैं कि क्‍या है यह बिल और आगे आपके ईमेल भेजने का क्या फायदा होगा. 

क्‍या अर्थ है वक्‍फ का?

वक्फ का मतलब होता है कि किसी भी चीज को अल्लाह के लिए दे देना, जिसके बाद उस चीज पर उस इंसान और उसके परिवार का हक नहीं होता है. इस वक्त करीब 10 लाख एकड़ जमीन वक्फ के नाम पर है. इसमें वो भी जमीन शामिल हैं, जिन्‍हें छोड़कर आजादी के वक्त मुसलमान पाकिस्तान चले गए थे. साथ ही नवाबों और राजाओं आदि द्वारा इस्लाम के लिए जमीन को वक्‍फ किया गया है. इन जमीनों पर लखनऊ का ऐशबाग ईदगाह, बड़ा इमामबाड़ा समेत कई बड़ी मस्जिदें, कब्रिस्तान आदि बने हुए हैं. मुस्लिम समुदाय के जिन लोगों की कोई संतान नहीं होती, वो लोग भी ज्यादातर अपनी जमीन को वक्फ के नाम कर जाते हैं. जिसके बाद उस जमीन पर मस्जिद, मदरसा या कब्रिस्तान आदि बन सके और वो इंसानों के काम आ सके. 

रेलवे, आर्मी के बाद वक्‍फ की सर्वाधिक जमीन 

आपको बता दें कि वक्फ की जमीन पर स्कूल और अस्पताल भी बना सकते हैं, जिसमें हर कौम का इंसान अपना इलाज करा सकता है और पढ़ाई कर सकता है यानी वक्फ की जमीन से हर इंसान को फायदा पहुंच सकता है.  
भारत सरकार के अनुसार, देश में वक्फ की जमीन करीब 9.4 लाख एकड़ में है, जिसकी कीमत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये है. इसका अर्थ है कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा वक्फ की जमीन भारत में है. भारत में रेलवे और आर्मी के बाद तीसरे नंबर पर वक्फ की जमीन है, जिसे वक्‍फ बोर्ड संभालता है. 

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वक्फ बोर्ड को लेकर मंत्रालय ने डाटा जारी किया है, जिसमें कहा है कि अप्रैल 2022 से लेकर मार्च 2023 तक CPGRAMS (केन्द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली) में 566 शिकायतें वक्फ बोर्ड की मिली हैं, जिसमें से 194 शिकायतें अवैध रूप से वक्फ भूमि के अतिक्रमण और स्थानांतरण के संबंध में हैं और 93 शिकायतें मुतावल्ली या वक्फ बोर्ड सदस्यों के खिलाफ है. आपको बता दें कि मुतावल्ली वो शख्स होते हैं, जिन्‍हें वक्फ की संपत्ति की देखभाल के लिए अपाइंट किया जाता है. वहीं मंत्रालय ने ट्रिब्‍यूनल कोर्ट की कार्यप्रणाली का विश्लेषण किया और पाया कि ट्रिब्‍यूनल कोर्ट में में 40,951 मामले लंबित हैं, जिनमें से 9942 मामले मुस्लिम समुदाय द्वारा वक्फ प्रबंधित संस्थाओं के खिलाफ दायर किए गए हैं. 

नए बिल में कौन से नए संशोधन हैं प्रस्‍तावित 

इसके साथ ही आपको बताते हैं कि वक्फ बिल में कौनसे नए संशोधन प्रस्‍तावित हैं और इसमें ऐसा क्‍या है, जिससे विवाद बना हुआ है.

सबसे पहले इस बिल का नाम बदल जाएगा. वक्फ अमेंडमेंट बिल को अब Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency, and Development Act यानी UMEED के नाम से जाना जाएगा. जानिए इसमें कौन कौन से बदलाव हैं प्रस्‍तावित : 

1. वक्फ अधिनियम, 1995 का नामकरण : इस अधिनियम का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 रखा गया है, जिससे वक्फ बोर्डों और संपत्तियों के प्रबंधन और दक्षता में सुधार के साथ-साथ सशक्तिकरण और विकास के व्यापक उद्देश्य को दर्शाया जा सके. 

2. वक्फ का गठन: इसमें कोई भी व्यक्ति जो इस्लाम धर्म में पिछले 5 साल से है, वो अपनी जमीन आदि वक्फ कर सकता है, लेकिन इसमें सबसे पहले वो खुद उस संपत्ति का मालिक हो और अगर कोई महिला उनके साथ है तो उनकी इजाजत होना भी बहुत जरूरी है. 

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3. सरकारी संपत्ति को वक्फ के रूप में मानना: विधेयक में कहा गया है कि जो भी सरकारी संपत्ति वक्फ के रूप में पहचानी जाएगी, वह ऐसा नहीं रहेगा. क्षेत्र का कलेक्टर अनिश्चितता की स्थिति में स्वामित्व का निर्धारण करेगा और राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा. यदि इसे सरकारी संपत्ति माना गया, तो वह राजस्व रिकॉर्ड को अपडेट करेगा. 

4. संपत्ति के वक्फ होने का निर्धारण करने का अधिकार: अधिनियम वक्फ बोर्ड को इस बात की जांच और निर्धारण करने का अधिकार देता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं. विधेयक इस प्रविधान को हटा देता है. 

5. वक्फ का सर्वेक्षण: अधिनियम वक्फ का सर्वेक्षण करने के लिए एक सर्वे आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान करता है. विधेयक इसके बजाय कलेक्टरों को सर्वेक्षण करने का अधिकार देता है. लंबित सर्वेक्षण राज्य के राजस्व कानूनों के अनुसार होंगे. 

6. केंद्रीय वक्फ परिषद: यह अधिनियम केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन करता है, जो केंद्रीय और राज्य सरकारों तथा वक्फ बोर्डों को सलाह देती है. वक्फ मामलों के  मंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं. अधिनियम में यह आवश्यक है कि सभी परिषद के सदस्य मुसलमान हों और दो सदस्य महिलाएं हों. विधेयक के अनुसार, दो सदस्यों को गैर-मुस्लिम होना आवश्यक है. परिषद में सांसद, पूर्व न्यायाधीश और प्रतिष्ठित व्यक्तियों को अधिनियम के अनुसार नियुक्त किया जा सकता है, जिनका मुसलमान होना आवश्यक नहीं है.

वक्‍फ बोर्ड में कौन होगा सदस्‍य?

– मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि,
– इस्लामी कानून के विद्वान, तथा
– वक्फ बोर्डों के अध्यक्ष
– मुस्लिम सदस्यों में से दो महिलाएं होनी चाहिए. 

वक्फ बोर्ड: अधिनियम में राज्य स्तर पर मुस्लिम: (i) सांसद, (ii) विधायक और एमएलसी, और (iii) बार काउंसिल के सदस्यों से वक्फ बोर्ड में प्रत्येक से दो सदस्यों के चुनाव की व्यवस्था है. नया विधेयक इसके बजाय राज्य सरकार को उपरोक्त पृष्ठभूमि से एक व्यक्ति को बोर्ड में नामित करने का अधिकार देता है, वे मुसलमान नहीं भी हो सकते हैं. यह भी जोड़ता है कि बोर्ड में: (i) दो गैर-मुस्लिम सदस्य होने चाहिए, और (ii) शिया, सुन्नी, और मुस्लिम के पिछड़े वर्गों में से कम से कम एक सदस्य होना चाहिए. इसमें यह भी शामिल है कि यदि राज्य में बोहरा और आगाखानी समुदायों के पास वक्फ है, तो एक-एक सदस्य का होना अनिवार्य है. अधिनियम के अनुसार कम से कम दो महिला सदस्य होनी चाहिए. विधेयक में कहा गया है कि दो मुस्लिम सदस्य महिलाएं होनी चाहिए.

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इस बिल से आएगी पारदर्शिता : कौसर जहां 

दिल्‍ली हज कमेटी की चेयरमैन कौसर जहां ने कहा कि इस बिल से सिर्फ पारदर्शिता आएगी और कमजोर मुस्लिमों को उनका हक मिलेगा. 

वहीं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील महमूद पराचा कहते हैं कि बिल को सांसद ही पास कराएंगे. ईमेल भेजने से न कोई बिल रुक सकता है और न बन सकता है. उन्‍होंने कहा कि जो सांसद चाहेंगे वही होगा. 


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