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3 थके हुए दोस्त और… रूस, ईरान, हिजबुल्लाह ने असद को अकेला क्यों छोड़ा? सीरिया की पूरी कहानी समझिए


बेरूत:

सीरिया में हुए तख्तापलट के पीछे हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) का सबसे बड़ा हाथ रहा है. एचटीएस जो उत्तर-पश्चिम में एक गुट है, उसने फ्री सीरियन आर्मी और कई दूसरे छोटे गुटों के साथ मोर्चा संभालाते हुए राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से बेदखल किया है. हयात तहरीर अल-शाम और उसके सहयोगी विद्रोही गुटों की ओर से पिछले दिनों एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया गया था. जिसके बाद से विद्रोही गुटों और सरकारी बलों में लड़ाई शुरू हुई थी. रणनीति के तहत एचटीएस और अन्य विद्रोही गुटों ने सीरिया के प्रमुख शहरों पर कब्जा करना शुरू किया. लेप्पो, हमा और होम्स पर कब्जा करते हुए विद्रोही सीरिया की राजधानी दमिश्क में दाखिल हुए और तख्तापलट कर दिया. जिसके साथ ही राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन का अंत हो गया.

आखिर क्यों कमजोर पड़े असद 

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक सीरिया में तख्तापलट की मुख्य वजह इस साल शुरू हुआ विद्रोह था. कमजोर हुई सेना समेत रूस और ईरान जैसे सहयोगियों से घटता सपोर्ट एचटीएस के लिए फायदेमंद साबित हुआ. एचटीएस की अगवुाई में विपक्षी ताकतों ने इन कमजोरियों का फायदा उठाया.

असद सरकार बीते 10 सालों से ईरानियों और रूसियों की मदद पर टिकी थी. इसलिए उन्होंने सही समय चुना है. रूस इस समय यूक्रेन में व्यस्त हैं. इजरायली हमले से ईरानियों को भारी नुकसान हुआ है और उनका प्रॉक्सी हिजबुल्लाह, जो पड़ोसी देश लेबनान में है. उसके भी हालात ठीक नहीं है.

ऐसी खबरें हैं कि हिजबुल्लाह ने कुछ लड़ाके भेजे थे. यहां तक ​​कि इराक ने भी कथित तौर पर लगभग 300 लोगों को भेजा था. लेकिन उससे कोई मदद नहीं मिली. विद्रोहियों को तुर्की लोगों का सपोर्ट हासिल था. तुर्की उनका समर्थन करता रहा है.

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सीरिया को गृहयुद्ध में झोंका

34 साल की उम्र में विदेश से डॉक्टर की पढ़ाई किए हुए असद, बेहद सौम्य स्वभाव के और टेक्नो सेवी लगते थे. साल 2000 के वक्त जब असद के शासन की सीरिया में एंट्री हुई थी तो माना जाता था कि वे अपने पिता कि छवि से उलट देश में कई बड़े बदलाव लाएंगे और संघर्षों को खत्म करेंगे.

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  • 59 वर्षीय बशर अल-असद ने अपने पिता हाफ़िज़ अल-असद की मृत्यु के बाद 2000 में सत्ता संभाली.
  • साल 2011 के विरोध प्रदर्शनों का सामना करते हुए उन्होंने अपने पिता के क्रूर तरीकों को अपनाया.
  • बशर अल-असद ने  सीरिया को गृहयुद्ध में झोंका दिया.
  • जिसमें कथित तौर पर पांच लाख लोग मारे गए और आधी जनसंख्या को बेघर होना पड़ा.

बीते नवंबर में विपक्षी ताकतों के हैरान करने देने वाले हमले की वजह से असद की सेना का पतन बेहद तेजी से हुआ. कई संघर्षों से घिरे सीरिया को उसके सहयोगी-रूस, ईरान और हिजबुल्लाह के कम होते सपोर्ट ने असद परिवार के दशकों के शासन का अंत कर दिया.

रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के कमांडर अबू मोहम्मद अल-जुलानी का कहना है कि सभी राज्य संस्थाएं अल-असद के प्रधानमंत्री की निगरानी में तब तक रहेंगी जब तक उन्हें आधिकारिक रूप से सौंप नहीं दिया जाता.

असद सरकार के पतन के बाद बड़ी संख्या में नागरिक सड़कों पर उतर आए और ‘क्रांति ध्वज’ लहराने लगे. यह एक पुराना ध्वज था जिसका उपयोग सीरिया में बशर अल-असद के दिवंगत पिता हाफिज अल-असद के शासन से पहले किया जाता था.

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रूस ने दी शरण

दमिश्क में विद्रहियों के कब्जे से पहले ही सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद ने देश को छोड़ दिया था. जानकारी के अनुसार वो परिवार के साथ मॉस्को में है और उन्हें शरण दी गई है.


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