देश

बाइडन की कोठी में बैठेंगे PM मोदी समेत QUAD के 4 यार, चीन के लिए चक्रव्यूह!


नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 से 23 सितंबर तक अमेरिका की यात्रा पर हैं. इस दौरान वह वहां क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.इस बार क्वाड शिखर सम्मेलन का आयोजन अमेरिका के डेलावेयर में किया जा रहा है. क्वाड के इस समूह में भारत के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल हैं. ‘क्वाड ‘शुरू से चीन के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होता आया है. आपको बता दें कि इस समूह की स्थापना का मूल मंत्र समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करना रहा है. क्वाड से भारत को भी फायदा है. इस ग्रुप में शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की समुद्री ताक और बढ़ी है. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि क्वाड के इन चार दोस्तों (भारत,अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) के और करीब आने से चीन की नींद क्यों उड़ी हुई है. आइये जानते हैं आखिर क्वाड ने क्यों और कैसे चीन को बेचैन कर दिया है…

क्वाड का आखिर काम क्या है ? 

अगर बात क्वाड को बनाने के पीछे की मकसद की करें तो इसका निर्माण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थायित्व को बनाए रखने के लिए किया गया था. इसका मकसद नियम आधारित व्यवस्था बनाना, नेविगेशन की स्वाधीनता और इंटरनेशनल लॉ का सम्मान करना भी है. वैसे तो क्वाड कोई सैन्य गठबंधन नहीं है फिर भी यह मालाबार जैसे सैन्य अभ्यास की सहूलियत देता है. असल में क्वाड को इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने का एक तरीका भी माना जाता है. 

Latest and Breaking News on NDTV

क्यों बेचैन है चीन ? 

जानकार मानते हैं कि क्वाड की वजह से चीन पर भारत की आर्थिक निर्भरता में कमी आई है. क्वाड के देश भारत के वैश्विक व्यापार के लिए क्वाड के जरिए महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाती है. क्वाड के सप्लाई चेन से जुड़कर भारत अपनी उत्पादन क्षमता को और मजबूत कर रहा है. क्वाड का गठन 2007 में हुआ था, लेकिन बीच में ऑस्ट्रेलिया के इससे बाहर आने के बाद ये प्रभाव में नहीं आ सका. इसके बाद 2017 में इसे दोबारा एक्टिव किया गया. सन 2004 में जब हिंद महासागर में सुनामी आई थी, तो बड़े पैमाने पर तटीय देश प्रभावित हुए थे. इसके बाद भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने प्रभावित देशों की मदद की थी. सन 2007 से लेकर 2010 के बीच क्‍वाड शिखर सम्मेलन की बैठकें होती रहीं. इसके बाद बैठकें बंद हो गईं. इस बीच चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर काफी दबाव बनाया, इसका नतीजा यह हुआ कि ऑस्ट्रेलिया ने इस संगठन से दूरियां बना ली थीं.

यह भी पढ़ें :-  "सहमति नहीं..." : जो बाइडेन के गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने पर एस जयशंकर

Latest and Breaking News on NDTV

ड्रैगन के लिए ऐसे भी बढ़ाई रही है चुनौती

चीन ने बीते कुछ सालों में साउथ-ईस्ट एशिया में बेहद आक्रमक तरीके से अपना विस्तार किया है. इसका कुछ हद तक साउथ-ईस्ट एशिया के अलग-अलग देशों पर भी पड़ा है.भारत को भी इसकी जानकारी है. भारत भी बीते लंबे समय से चीन के प्रभाव को कम करने की दिशा में लगातार सकारात्मक बदलाव के साथ आगे बढ़ रहा है. ऐसे में क्वाड भारत को वैकल्पित कनेक्टिविटी वाली परियोजनाओं और क्षेत्रीय विकास के प्रयास करने के लिए और प्रेरित करता है. क्वाड के जरिए ही भारत की पहुंच महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी और कच्चे माल तक पहुंच सुनिश्चित हो रही है. यह मंच भारत को वैश्विव सप्लाई चेन से जोड़कर सेमीकंडक्टर, 5जी, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में अपनी क्षमता बढ़ाने में मदद दे रहा है. 



Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button