देश

झारखंड की 4 सीटें, चौथा चरण और मुद्दों की भरमार… BJP,कांग्रेस, JMM, किसका होगा बेड़ा पार?

चाईबासा (सिंहभूम) लोकसभा सीट

बीजेपी ने इस चुनाव 2019 में कांग्रेस के टिकट पर सिंहभूम सीट से जीतने वाली गीता कोड़ा को मैदान में उतारा है. वहीं झामुमो ने जोबा मांझी को मैदान में उतारा है. सिंहभूम की सभी पांच विधानसभा (सरायकेला, चाईबासा, मझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर और चक्रधरपुर) क्षेत्रों में झामुमो के विधायक हैं, लेकिन इन इलाकों में सड़क, पेयजल, शिक्षा और अन्य मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित हैं. बीजेपी की दलील है कि पीएम मोदी ने डीएमएफटी की शुरुआत की थी, लेकिन झामुमो के विधायकों ने डीएमएफटी में घोटाला किया. अपने चहेतों को करोड़ों का काम दिया. जबकि ज्यादातर काम अधूरे पड़े हैं.

वहीं, झामुमो की ओर से कहा जा रहा है कि बीजेपी सिर्फ जुमलेबाजी की सरकार है. बीजेपी कभी आदिवासियों की हितैषी नहीं हो सकती. बीजेपी ने आजतक जो भी घोषणाएं की, उसे धरातल पर नहीं उतारा. ईचा डैम इस इलाके का बड़ा मुद्दा है. वहीं बीजेपी का कहना है कि झामुमो की सरकार चाहती तो ईचा डैम के निर्माण पर रोक लग सकती थी. वहीं झामुमो का कहना है कि यह केंद्र सरकार की ही योजना है. अगर बीजेपी चाहती तो इस योजना को बंद करा सकती थी. इसकी वजह से 87 गांव विस्थापित हो रहे हैं. खास बात ये है कि सिंहभूम में ‘हो’ समाज बहुत एग्रेसिव स्थिति में है. पहली बार सिंहभूम में आदिवासी समाज बंटा हुआ दिख रहा है. इससे पहले के चुनावों में आदिवासी समाज के बीच खाई कभी नजर नहीं आई थी.

खूंटी लोकसभा सीट

खूंटी में सीधा मुकाबला बीजेपी के अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा के बीच है. वैसे यहां कुल सात प्रत्याशी किस्मत आजमाने चुनावी मैदान में उतरे हैं. कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय मुद्दों पर ही फोकस कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि खूंटी से लगातार पलायन हो रहा है. यहां रोजगार नहीं मिल रहा. वहीं बीजेपी प्रत्याशी और केंद्र में मंत्री अर्जुन मुंडा की ओर से मोदी की गारंटी की बात की जा रही है. कोरोना काल में हुए काम, राम मंदिर का निर्माण, युवाओं को कुशल बनाकर रोजगार के अवसर मुहैया कराना, एकलव्य विद्यालयों की स्थापना का जिक्र हो रहा है. साथ ही पीएम मोदी के कार्यकाल में देश स्तर पर हुए कार्यों का बखान किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें :-  राम मंदिर को लेकर बीजेपी-RSS की आज अहम बैठक, लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर भी होगी चर्चा

निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उचकीं बबीता कच्छप को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि वह इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती हैं, क्योंकि वह खूंटी में चर्चित पथलगड़ी आंदोलन का नेतृत्व कर चुकी हैं. इसी वजह से 2019 के चुनाव में आंदोलन प्रभावित इलाकों के लोगों ने वोट बहिष्कार किया था और सभी सरकारी दस्तावेज जला दिए थे.  हालांकि अभी तक पत्थलगड़ी समर्थकों का स्टैंड समझ से परे हैं कि वे किसकी तरफ झुकेंगे.

लोहरदगा लोकसभा सीट

लोहरदगा सीट पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है. इस बार झामुमो के बागी विधायक चमरा लिंडा ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है. वैसे सीधे तौर पर देखें तो मुकाबला कांग्रेस के सुखदेव भगत और बीजेपी के समीर उरांव के बीच है. यहां 59 प्रतिशत आदिवासी हैं, इनमें सबसे ज्यादा उरांव समाज के लोग हैं. दोनों प्रत्याशी उरांव समाज से आते हैं. रही बात मुद्दों की तो कांग्रेस बीजेपी पर पलायन, सरना धर्म कोड, बदहाल शिक्षा व्यवस्था और धर्म के नाम पर वोट मांगने का आरोप लगा रही है. लोकतंत्र और संविधान के खतरे में होने की बात की जा रही है. कांग्रेस कह रही है कि बॉक्साइट पर आधारित बड़े उद्योग की जगह मध्यम और लघु उद्योग को बढ़ावा देने की जरूरत है.

वहीं बीजेपी की ओर से मोदी की गारंटी का जिक्र हो रहा है. सभी को साथ लेकर चलने की बात की जा रही है. सभी के विकास की बात हो रही है. बीजेपी प्रत्याशी समीर उरांव बार-बार कह रहे हैं कि चुनाव जीतने पर पलायन की समस्या को खत्म करेंगे. गुमला को रेलवे से जोड़ने की कोशिश होगी.

यह भी पढ़ें :-  Delhi Liquor Policy Case: केजरीवाल-सिसोदिया समेत अब तक हुई 16 गिरफ्तारियां, 3 आरोपी बन गए सरकारी गवाह

पलामू लोकसभा सीट

पलामू लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें हैं. इनमें से चार विधानसभा सीटों पर बीजेपी, एक पर झामुमो और एक पर एनसीपी का कब्जा है. इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट आरजेडी के खाते में गई है. पार्टी ने ममता भुइंया को उम्मीदवार बनाया है. आरजेडी ने पलायन और सुखाड़ को मुद्दा बनाया है, इसके लिए उसने केंद्र की बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. इस सीट पर अंतिम बार उपचुनाव में आरजेडी प्रत्याशी घूरन राम की जीत हुई थी. इस बार घूरन राम बीजेपी में हैं. ममता भुइंया पहली बार चुनाव लड़ रही हैं. भुइंया अनुसूचित जाति बहुल इस इलाके में ममता भुइंया अपने वोट बैंक को एकजुट करने की कोशिश में जुटी हैं.

वहीं, बीजेपी प्रत्याशी और पिछले दो बार से सांसद रहे राज्य के पूर्व डीजीपी वीडी राम भरोसा दिला रहा हैं कि इस बार पलायन की समस्या को खत्म करने पर विशेष जोर दिया जाएगा. साथ ही पलामू में कारखाने  स्थापित किए जाएंगे, ताकि स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल सके. उनकी दलील है कि उनकी बदौलत सोन पाइप लाइन परियोजना स्वीकृत हो गयी है, इससे करीब 13 प्रखंडों में पानी की समस्या खत्म हो जाएगी. वह मोदी की गारंटी का भी हवाला देकर वोट मांग रहे हैं.

कुल मिलाकर देखें तो बीजेपी प्रत्याशी मोदी की गारंटी के नाम पर वोट मांग रहे हैं. वहीं इंडिया गठबंधन के तहत झामुमो, कांग्रेस और आरजेडी के प्रत्याशी स्थानीय मुद्दों को उठा रहे हैं.


ये भी पढ़ें-In-depth : चार चरण… 20 दिन, एंट्री के साथ ही केजरीवाल के बयान से चढ़ा चुनावी पारा; जमानत से राहत या आफत?

यह भी पढ़ें :-  The Hindkeshariइलेक्शन कार्निवल: मैनपुरी में BJP या सपा? किसके सिर सजेगा जीत का ताज, क्या है जनता का मूड?

ये भी पढ़ें-Fourth Phase Poll : 10 राज्यों की 96 सीटों पर थमा प्रचार, 13 मई को मतदान; कई दिग्गजों के भाग्य का होगा फैसला

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button