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50,000 के लिए 4 टॉयलेट, खुले जख्म के साथ रहने को मजबूर : गाजा के रिलीफ कैंप की डरावनी तस्वीर

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दरअसल, एमिली कैलाहन पिछले बुधवार को गाजा से निकाले जाने के बाद अमेरिका लौट आईं. कैलाहन ने CNN के एंडरसन कूपर को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि गाजा में फिलहाल ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जिसे सुरक्षित कहा जाए. उन्होंने रिलीफ कैंपों के हालात को लेकर कहा, “50 हजार से ज्यादा लोगों वाले कैंप में सिर्फ 4 टॉयलेट हैं. इन टॉयलेट में एक दिन में सिर्फ 4 से 5 घंटे ही पानी की सप्लाई होती है. वहां खाना-पानी के लिए भी लोग तरस रहे हैं. ऐसे में आप वहां के हालात समझ सकते हैं.

कैलाहन आगे बताती हैं, “रिलीफ कैंप में लोग बुरी तरह जख्मी हालात में रहने को मजबूर हैं. हर मां-बाप अपने बच्चों के साथ हमारे पास आते हैं और मदद मांगते हैं. लेकिन हम मजबूर हैं. उनकी कोई मदद नहीं कर सकते.”

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यह पूछे जाने पर कि गाजा से वापस आकर कैसा महसूस हो रहा है? उन्होंने कहा, “मुझे स्पष्ट रूप से राहत महसूस हो रहा है, क्योंकि मैं अपने परिवार के साथ हूं. 26 दिनों में पहली बार सुरक्षित महसूस कर रही हूं. (लेकिन) मैं कितना भी खोजूं, खुशी नहीं मिल पा रही. क्योंकि मेरा सुरक्षित रहना, वहां के लोगों के पीछे छोड़ने का नतीजा है.” 

संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, गाजा पर इजरायल के जवाबी हमले में अब तक 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि इजरायल में 1400 लोगों की जान गई है.

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एमिली कैलाहन बताती हैं, “मुझे वहां से आना पड़ा, क्योंकि हालात बदतर होते  जा रहे थे. लोग अपने परिवार के सदस्यों को मरता देख आक्रोशित हो रहे थे. वो हमें अमेरिकी कहकर पुकारते थे. नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी करते थे.”    

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कैलाहन कहती हैं, “अगर स्थानीय फिलिस्तीनी कर्मचारी मदद नहीं करते, तो हम लोगों की मौत हो जाती. फिलिस्तीनियों ने एक पल के लिए भी हमारा साथ नहीं छोड़ा. हमें सुरक्षा दी. चारों तरफ बमबारी हो रही थी. गाजा में कोई जगह सुरक्षित नहीं है.”

उन्होंने कहा, “इजिप्ट में रफ़ाह बॉर्डर पार करने पर ये फिलिस्तीनी स्टाफ ही थे, जिन्होंने अधिकारियों से बात की. हमें बसों में बिठाया. उन्होंने हमारे लिए सब कुछ बलिदान कर दिया है. हम उन्हें हमें सीमा पार कराने के लिए लड़ते हुए देख रहे हैं, यह जानते हुए कि हम हम उन्हें अपने साथ नहीं ला रहे थे.”

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यह पूछे जाने पर कि क्या वह गाजा वापस जाएंगी? एमिली कैलाहन कहती हैं, “मेरा दिल गाजा में है. यह गाजा में ही रहेगा. जिन फिलीस्तीनी लोगों के साथ मैंने काम किया, वे मेरे जीवन में मिले सबसे अविश्वसनीय लोगों में से कुछ थे.” 

अमेरिकी नर्स ने कहा, “जब भी हमले होते थे तो फिलिस्तीनी स्टाफ हमारी रक्षा में खड़े हो जाते थे. वो कहते थे कि यह हमारा समुदाय है, हमारा परिवार है, ये हमारे दोस्त हैं. अगर वे हमें मारने जा रहे हैं, तो हम बचाकर मरेंगे. मैं ऐसे लोगों का कर्ज कभी नहीं चुका पाऊंगी.” 

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