उत्तराखंड सुरंग में अब भी फंसे हुए हैं 40 मजदूर, रेस्क्यू में लग सकते हैं दो और दिन
नई दिल्ली:
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में लगभग 40 मजदूर एक निर्माणाधीन सुरंग के अंदर 24 घंटे से अधिक समय से फंसे हुए हैं. सुरंग का दौरा करने वाले आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों को निकालने में दो दिन और लग सकते हैं.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
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फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने और उन्हें निकालने के लिए लगभग 60 मीटर का एक रास्ता बनाया गया है. अधिकारियों ने कहा कि सुरंग को अवरुद्ध करने वाले लगभग 20 मीटर स्लैब को हटा दिया गया है और 35 मीटर मार्ग को साफ किया जाना बाकी है.
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रविवार को सुरंग के अंदर लगभग 265 मीटर के स्ट्रक्चर के आकार को मोडिफाइ करने की प्रक्रिया और रीप्रोफाइलिंग के लिए लगभग 40 श्रमिकों को तैनात किया गया था. उनसे लगभग 50 से 55 मीटर दूर सुरंग का एक हिस्सा ढह गया, जिससे वे अंदर फंस गए.
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घटना की सूचना मिलते ही बचाव कार्य शुरू हो गया. बचाव टीमों की प्राथमिकताओं में से एक फंसे हुए श्रमिकों को भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करना था.
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फंसे हुए हिस्से में पाइप के जरिए दवाइयां, खाना, पानी, बिजली और ऑक्सीजन जैसी जरूरी चीजें पहुंचाई गईं. बचाव दल ने वॉकी-टॉकीज़ के साथ श्रमिकों के साथ सफलतापूर्वक संचार स्थापित किया.
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शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, क्षेत्र में भूस्खलन के कारण एक इमारत ढह गई. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ढीली मिट्टी के कारण मलबा गिर रहा है, जिसके कारण बचाव कार्य में देरी हो रही है.
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ढीले मलबे के कारण बचाव कार्यों में देरी हो रही है, उसे रोका जा रहा है और ध्वस्त सुरंग के 40 मीटर तक शॉटक्रेटिंग के साथ खुदाई शुरू हो गई है.
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शॉटक्रेटिंग किसी संरचना पर उच्च वेग से कंक्रीट का छिड़काव करने का एक तरीका है. बचाव दल ने मजदूरों को निकालने के लिए दो अहम कदम उठाए हैं.
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शॉटक्रेटिंग-21 मीटर मलबे के साथ-साथ गंदगी को हटाया जा रहा है. मलबा गिरने से खुदाई का काम 14 मीटर तक कम हो गया है.
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बचाव दल फंसे हुए श्रमिकों को निकालने के लिए मलबे के ढेर में सुराख करके हाइड्रोलिक जैक का उपयोग कर 900 मिमी व्यास वाला एक पाइप डालने की योजना बना रहे हैं. इस ऑपरेशन के लिए आवश्यक सभी सामग्री और मशीनरी जुटाई जा रही है. सिंचाई विभाग के विशेषज्ञ भी ऑपरेशन में शामिल हो गए हैं.
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4.5 किमी लंबी सुरंग सिल्क्यारा को गंगोत्री-यमनोत्री अक्ष से जोड़ती है और केंद्र की चारधाम महामार्ग परियोजना का एक हिस्सा है. कर्मचारी सुरंग में 400 मीटर के बफर जोन में फंसे हुए हैं और कथित तौर पर सुरक्षित हैं.