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बंगाल में 5 लाख OBC सर्टिफिकेट होंगे रद्द, जानिए कलकत्ता हाईकोर्ट का यह फैसला ममता के लिए क्यों है बड़ा झटका

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 37 वर्गों को दिए गए ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) आरक्षण (OBC Reservation Cancel) रद्द कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले से पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी खफा नजर आ रही है. सीएम ममता बनर्जी अदालत के फैसले को मानने को ही तैयार नहीं हैं. इसलिए कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने साफ लहजे में कहा है कि ओबीसी दर्जा रद्द करने और ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द करने का अदालत का फैसले को वो स्वीकार नहीं करेंगी. दमदम लोकसभा क्षेत्र के खड़दह में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी के तेवर काफी आक्रामक रहे. कलकत्ता हाई कोर्ट ने कई वर्गों के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दर्जे को रद्द करते हुए जो सुनाया है, उसके बारे में यहां विस्तार से जानिए.

कलकत्ता हाई कोर्ट ने फैसले में क्या-क्या कहा, यहां जानें

  • कलकत्ता हाई कोर्ट ने (Calcutta High Court) पश्चिम बंगाल में 37 वर्गों को दिए गए ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) आरक्षण (OBC Reservation Cancel) रद्द करते हुए इस प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया. साथ ही कहा, “उसका मानना है कि मुसलमानों के 77 वर्गों को पिछड़ों के तौर पर चुना जाना पूरे मुस्लिम समुदाय का अपमान है.”
  • पीठ ने कहा कि अदालत का मन इस संदेह से मुक्त नहीं है कि ‘‘राजनीतिक लाभ के लिए उक्त समुदाय (मुसलमान) को वस्तु के रूप में समझा गया.” कोर्ट ने ये भी कहा, ‘‘यह उन घटनाओं की श्रृंखला से स्पष्ट है जिनके फलस्वरूप 77 वर्गों को ओबीसी श्रेणियों में डाला गया और उन्हें इस श्रेणी में डालकर वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया.”
  • फैसले में कोर्ट ने भी कहा कि यह अदालत इस संदेह को अनदेखा नहीं कर सकती कि “उक्त समुदाय (मुसलमानों) को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एक साधन माना गया. राज्य के आरक्षण अधिनियम 2012 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन वर्गों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है.
  • कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) (सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) कानून, 2012 के तहत ओबीसी के तौर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने वाले 37 वर्गों को संबंधित सूची से हटा दिया.
  • कोर्ट ने इस तरह के वर्गीकरण की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट की अवैधता के चलते 77 वर्गों को ओबीसी की सूची से हटाया, अन्य 37 वर्गों को पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग का परामर्श न लेने के कारण हटाया गया. पीठ ने 11 मई, 2012 के एक कार्यकारी आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें कई उप-वर्ग बनाए गए थे.
  • न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने 211 पृष्ठ के अपने आदेश में स्पष्ट किया कि 2010 से पहले ओबीसी के 66 वर्गों को वर्गीकृत करने वाले राज्य सरकार के कार्यकारी आदेशों में हस्तक्षेप नहीं किया गया, क्योंकि इन्हें याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गई थी.
  • अदालत ने आयोग से परामर्श न लेने के आधार पर सितंबर 2010 के एक कार्यकारी आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसके जरिए ओबीसी आरक्षण सात प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत कर दिया गया था। इसमें ए श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत और बी श्रेणी के लिए सात प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था.
  • पीठ ने कहा कि आरक्षण के प्रतिशत में 10 प्रतिशत वृद्धि वर्ष 2010 के बाद वर्गों को शामिल करने के कारण हुई. इसने कहा कि चुनावी लाभ के लिए मुस्लिम समुदाय के वर्गों को ओबीसी के रूप में मान्यता देना उन्हें संबंधित राजनीतिक प्रतिष्ठान की दया पर छोड़ देगा और इससे वे अन्य अधिकारों से वंचित रह सकते हैं. कोर्ट ने कहा, “इसलिए ऐसा आरक्षण लोकतंत्र और समग्र रूप से भारत के संविधान का भी अपमान है.”
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कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले से बंगाल के मुस्लिमों पर क्या असर

इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट का जो फैसला आया है, उस फैसले से बंगाल के मुस्लिमों के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है.कोर्ट का ये फैसला ममता सरकार के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है. ममता सरकार ने साल 2012 में एक कानून लागू किया था. इस कानून में ओबीसी वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान था. कोर्ट ने 2012 के उस कानून के एक प्रावधान को भी रद्द कर दिया है. इनमें कई जातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग शामिल था.

कोर्ट के फैसले का असर करीब 5 लाख लोगों पर होगा. माना जा रहा है कि इसमें एक बड़ा हिस्सा मुस्लिमों का होगा.  ममता सरकार के वोट बैंक पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है. सरकार के वादे के मुताबिक, जिन लोगों को आरक्षण का फायदा मिल रहा था, वह अब नहीं मिलेगा तो इन समुदायों की ममता सरकार से नाराजगी तो निश्चित है. इसका असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है. ममता सरकार को मुस्लिम समुदायों की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है.



अमित शाह का ममता पर पलटवार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर हमलावर नजर आए. उन्होंने बुधवार को ममता बनर्जी पर वोट बैंक की राजनीति के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने और घुसपैठियों को राज्य की जनसांख्यिकी बदलने की अनुमति देकर ‘पाप करने का’ आरोप लगाया. शाह ने यहां तक कह दिया कि बंगाल में बीजेपी के 30 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के बाद तृणमूल कांग्रेस बिखर जाएगी और ममता बनर्जी सरकार की विदाई हो जाएगी.

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