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मुख्तार अंसारी पर दर्ज थे 65 केस, कुछ लोगों के बीच थी रॉबिनहुड जैसी इमेज; पढ़ें पूरी क्राइम हिस्ट्री

मुख्तार अंसारी को 7 मामलों में सजा मिल चुकी थी, जबकि 8 मामले में वह दोषी करार दिया गया था. अप्रैल 2023 में बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप में उसे 10 साल की सजा हुई. 13 मार्च 2024 को एक आर्म्स लाइसेंस केस में अंसारी को उम्रकैद की सजा मिली.

आइए जानते हैं कैसी थी मुख्तार अंसारी की क्रिमिनल हिस्ट्री और कैसा रहा उसका पॉलिटिकल करियर:- 

ऐसे अपराध की दुनिया में रखा कदम

गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है. पहली बार मुख्‍तार ने अपराध की दुनिया में साल 1988 में कदम रखा था. 25 अक्टूबर 1988 को आजमगढ़ के ढकवा के संजय प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्‍या की कोशिश का मुकदमा दर्ज कराया था. हालांकि, अगस्‍त 2007 में इस मामले में मुख्‍तार दोषमुक्‍त हो गया था.  

1990 के दशक में बना लिया अपना गैंग

1990 के दशक में मुख्तार अंसारी ने अपना गैंग बना लिया. उसने कोयला खनन, रेलवे जैसे कामों में 100 करोड़ का कारोबार खड़ा कर लिया. फिर वो गुंडा टैक्स, जबरन वसूली और अपहरण के धंधे में भी आ गया. उसका सिंडिकेट मऊ, गाजीपुर, बनारस और जौनपुर में एक्टिव था. पूर्वांचल में उस वक्त दो बड़े गैंग थे- ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी गैंग. 

ब्रजेश सिंह गैंग से शुरू हुई दुश्मनी

1990 में गाजीपुर में तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा करना शुरू कर दिया था. इस दौरान उनका मुख्‍तार गैंग से सामना हुआ. यहीं से ब्रजेश सिंह से दुश्‍मनी शुरू हो गई. ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमले भी कराए थे. 

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मुख्तार अंसारी पर दर्ज थे 65 केस

मुख्‍तार अंसारी पर हत्‍या, हत्‍या के प्रयास, धमकी, धोखाधड़ी और कई अन्‍य आपराधिक कृत्‍यों में कुल 65 मामले दर्ज थे. इनमें से 18 मामले हत्या के थे. उसके खिलाफ लखनऊ, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र, मऊ, आगरा, बाराबंकी, आजमगढ़ के अलावा नई दिल्‍ली और पंजाब में भी मुकदमे दर्ज थे. अंसारी के खिलाफ 2010 में कपिल देव सिंह की हत्या और 2009 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में मीर हसन नामक व्यक्ति की हत्या के प्रयास मामले में आरोप साबित हो चुके थे. 

मुख्तार अंसारी के खिलाफ ये है चर्चित केस

-24 जुलाई 1990 को शिवपुर के देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ बड़ागांव थाने में डिकैती और अपहरण का मामला दर्ज कराया. इस मामले में सितंबर 1990 को पुलिस ने कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी. 

-इसके बाद 3 अगस्त 1991 को अवधेश राय हत्‍याकांड में मुख्‍तार अंसारी के खिलाफ चेतगंज थाने में पूर्व विधायक अजय राय ने मुकदमा दर्ज कराया. 

– 23 जनवरी 1997 को अपहरण के मामले में वाराणसी के भेलूपुर थाने में मुख्‍तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया. इस मामले में वह निचली अदालत में दोषमुक्‍त हो चुका है.  

– 6 फरवरी 1998 को भेलूपुर थाने में मुख्तार अंसारी के खिलाफ NSA लगाया गया. 

– 1 दिसंबर 1997 को मुख्‍तार के खिलाफ धमकाने का मामला दर्ज किया गया. 

– 17 जनवरी 1999 को भेलूपुर थाने में मुख्तार के खिलाफ धमकाने और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया. 

– 20 जुलाई 2022 को कैंट थाने में आपराधिक साजिश समेत अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया गया. 

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कुछ लोगों के बीच थी रॉबिनहुड की इमेज 

मुख्तार अंसारी की मऊ में कुछ लोगों के बीच रॉबिनहुड की इमेज थी. मऊ के लोग कहते हैं कि बतौर विधायक मुख्तार अंसारी ने अपने इलाके में विकास के कई काम किए. सड़कों की मरम्मत कराई. स्कूल बनवाएं. अस्पताल खोले, बिजली-पानी का इंतजाम किया. गरीबों की मदद की. बताया जाता है कि विधायक रहते हुए मुख्तार अंसारी अपने क्षेत्र में विधायक निधी से 20 गुना ज़्यादा पैसा खर्च करता था.

2005 से जेल में बंद है मुख्‍तार 

अक्टूबर 2005 में मुख्‍तार अंसारी पर मऊ जिले में हिंसा भड़काने का आरोप लगा. इसी दौरान मुख्‍तार अंसारी ने गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था. 

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