देश

एक सपने का सच होना! 800 साल बाद फिर खड़ा हुआ नालंदा यूनिवर्सिटी; जानिए किन-किन कोर्सेज की होती है पढ़ाई

आधुनिक नालंदा  विश्वविद्यालय में अभी 6 स्कूल ऑफ स्टडीज हैं

इन विषयों में आप कर सकते हैं पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज

कुमारगुप्त प्रथम की थी नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना
427 ईस्वी में नालंदा यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी, इसे दुनिया का पहला रिहाइशी विश्वविद्यालय कहा जाता है. इसकी स्थापना का श्रेय गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम को दी जाती है. बाद में इसे हर्षवर्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला. इतिसासकारों के अनुसार इस यूनिवर्सिटी में 300 कमरे, 7 बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था. नालंदा यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी काफी बड़ी थी. जिसमें 3 लाख से अधिक किताबें हुआ करती थी.  यहां एक समय में 10,000 से अधिक छात्र और 2,700 से अधिक शिक्षक होते थे. छात्रों का चयन उनकी मेधा के आधार पर होता था और इनके लिए शिक्षा, रहना और खाना निःशुल्क था. इस विश्वविद्यालय में केवल भारत से ही नहीं, बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया आदि देशों से भी छात्र आते थे. 

पुराना विश्वविद्यालय परिसर जिसे अब नालंदा खंडहर कहा जाता है, युनेस्को का एक विश्व विरासत स्थल बन गया है. हजारों की संख्या में पर्यटक अब इस जगह पर जाते हैं.

बख्तियार खिलजी के आक्रमण में बर्बाद हो गया नालंदा विश्वविद्यालय 
कई इतिहासकारों का मानना रहा है कि 1193 में तुर्क-अफ़गान सैन्य जनरल बख्तियार खिलजी के आक्रमण ने नालंदा विश्वविद्यालय को बर्बाद कर दिया. यहां विश्वविद्यालय परिसर और खासकर इसकी लाइब्रेरी में आग लगा दी गयी, जिसमें पुस्तकालय की किताबें हफ्तों तक जलती रहीं थी.  

इसी नालंदा विश्वविद्यालय में हर्षवर्धन, धर्मपाल, वसुबन्धु, धर्मकीर्ति, नागार्जुन जैसे कई महान विद्वानों ने शिक्षा प्राप्त की थी. खुदाई में नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष 1.5 लाख वर्ग फीट में मिले हैं, जो इसके विशाल और विस्तृत परिसर का केवल 10 प्रतिशत हिस्सा माना जाता है.

प्रचीन नालंदा विश्वविद्यालय में किन विषयों की होती थी पढ़ाई? 
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में साहित्य, ज्योतिष, मनोविज्ञान, कानून, खगोलशास्त्र, विज्ञान, युद्धनीति, इतिहास, गणित, वास्तुकला, भाषाविज्ञान, अर्थशास्त्र, चिकित्सा आदि विषय पढ़ाए जाते थे. इस विश्वविद्यालय में एक ‘धर्म गूंज’ नाम की लाइब्रेरी थी, जिसका अर्थ ‘सत्य का पर्वत’ था. इसके 9 मंजिल थे और इसे तीन भागों में विभाजित किया गया था : रत्नरंजक, रत्नोदधि और रत्नसागर. 

यह भी पढ़ें :-  Bihar Floor Test LIVE UPDATES: बिहार विधानसभा में आज फ्लोर टेस्‍ट, नीतीश कुमार साबित करेंगे बहुमत, हलचल तेज

Latest and Breaking News on NDTV

17 देशों के सहयोग से बना है आधुनिक नालंदा यूनिवर्सिटी
अब प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की तर्ज पर नई नालंदा यूनिवर्सिटी बिहार के राजगीर में 25 नवंबर 2010 को स्थापित की गई. इस विश्वविद्यालय की स्थापना नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत की गई. इस अधिनियम में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए वर्ष 2007 में फिलीपीन में आयोजित दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णय को लागू करने का प्रावधान किया गया है. भारत के अलावा इस विश्वविद्यालय में जिन 17 अन्य देशों की भागीदारी है उनमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं. 

Latest and Breaking News on NDTV

प्राचीन ख्याती दिलाएगी सरकार
विदेश मंत्रालय ने नालंदा यूनिवर्सिटी को लेकर कहा है कि  सरकार वैसा ही वैभव दिलाना चाहती है, जैसा 800 साल पहले इस  विश्वविद्यालय का हुआ करता था.  सरकार विश्वविद्यालय को शिक्षा का नया केंद्र बनाना चाहती है. आधुनिक  विश्वविद्यालय में भी एक विशाल लाइब्रेरी का निर्माण किया गया है. 
 


NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button