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डॉग लवर्स का ऐसा शो जहां कुत्तों का पिज्जा, बर्गर भी और उनकी रैंप वॉक भी

आज जितना सोशल मीडिया का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से नई और पुरानी पीढ़ी में जनरेशन गैप भी बढ़ रहा है. जिसकी वजह से युवाओं और उनके माता पिता के बीच संवाद की कमी आ रही है. अलगाव के इन हालातों में जहां एक ओर युवाओं को जीवन में विषम परिस्थिति का सामना करने में कठिनाई आ रही है. वहीं बुजुर्गों में अकेलेपन की वजह से अवसाद और डिप्रेशन जैसी स्थिति पैदा हो जाती है.

अकेलापन के लिए कारगर उपाय हैं पालतू पशु

एक्सपर्ट की राय है कि पालतू पशु पक्षी इस समस्या का एक कारगर उपाय हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिला मेरठ के इस डॉग शो में, जहां सैकड़ों परिवार अपने पालतू कुत्तों को लिए और महंगी एंट्री फीस भरकर उनका मनोरंजन कराने के लिए पहुंचे. जानकारी के मुताबिक इस शो की फीस 700 रुपये थी. Petcom 4.0 नामक इस डॉग शो के आयोजकों ने भी कुत्तों की खातिरदारी की विशेष व्यवस्था की थी. रैंप वॉक पर फैशन शो सहित विभिन्न तरह की खेल प्रतियोगिताएं रखी गई थी. जीतने वाले कुत्तों को डिलीशियस फूड पैकेट दिए गए. डॉग फेयर के दौरान भी कुत्तों के खानपान का विशेष ध्यान रखा गया, जिसमें डॉग पिज्जा, बर्गर और कटलेट तैयार किए गए थे.

डॉग शो में दिखे कई लोग

इस कार्निवल में रिटायर्ड प्रोफेसर कंचन गिरी भी अपने पेट डॉग का मनोरंजन कराने के लिए पहुंची. इनके बच्चों की शादी हो चुकी है और जॉब की वजह से वो दूसरे शहरों में रहते हैं. कंचन पुरी और उनके पति मेरठ में अकेले रहते हैं. ऐसे में उनका पालतू कुत्ता उन्हें कभी अकेलापन महसूस नहीं होने देता. 

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ये मानते हैं एनिमल लवर्स

एनिमल लवर्स मानते हैं कि आज भले ही सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से जनरेशन गैप बढ़ा हैं, परिवारों में प्रेम की कमी आई है, बावजूद इसके अपने पालतू पशु पक्षियों के प्रति प्रेम और बढ़ा है. एक्सपर्ट मानते हैं प्रेम और स्नेह करना हमारे अंतर्मन का स्वाभाविक गुण है, जब भी हमारे मन को अपने भीतर पनप रहे प्रेम और स्नेह के लिए कोई आलम्बन मिल जाता है, तो मन को एक सुकून महसूस होता है.

बैचलर्स में भी हैं पेट एनिमल्स के लिए क्रेज

आज अपने बुजुर्गों से अलग रह रहे न्यूक्लियर परिवारों में और बैचलर्स में भी पेट एनिमल के प्रति खासा क्रेज दिखता है. इस डॉग शो के आयोजक अभिनव चार साल से सिंगल हैं.  अभिनव मानते है कि ब्रेकअप जैसी दुखदाई मनोस्थिति में भी एक पेट सच्चा साथी साबित होता है. अभिनव का तो कुत्ता प्रेम इस कदर जागा कि वो हर साल डॉग शो का आयोजन करते हैं.

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इस डॉग शो में विशेष अतिथि के रूप में आए अजीत कुमार 20 वर्षों से अपने स्कूल के स्टूडेंट्स और उनके माता पिता की काउंसिलिंग करते आए हैं. अजीत कुमार मानते हैं कि पालतू जीव जन्तु अवसाद की स्थिति में एक कारगर हीलिंग की तरह काम करते हैं. कुत्तों के अलावा कुछ लोग मछली और पक्षी पालना भी पसंद करते हैं. कभी कभी ऐसा भी देखने में आया है कि पालतू कुत्ते खो जाते हैं, और पक्षी उड़ जाते हैं, ऐसे परिवारों में घर के एक सदस्य के खो जाने जैसा गमगीन माहौल बन जाता हैं. जिसका उदाहरण हैं मेरठ और बुलंदशहर के वो परिवार जिनके पालतू तोते पिछले दिनों उड़कर खो गए. इन पक्षियों को खोजने वाले को मेरठ के परिवार ने 10 हजार और बुलंदशहर के परिवार ने तो 1 लाख का इनाम देने के पोस्टर छपवा दिए.

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