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आसमान में हवाओं में चल रहा 'अजब युद्ध', समझिए क्यों हो रही इतनी भारी बारिश


नई दिल्ली:

उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में भारी बारिश होने के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है लेकिन हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि इस तरह की चीजें क्यों हो रही हैं. अचानक ही इतनी अधिक मात्रा में बारिश होने की वजह से उत्तर भारत के कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई. इतना ही नहीं इस वजह से लोगों को काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है यह जानना भी बेहद जरूरी है. जानकारी के मुताबिक एक साथ दो वेदर फेनोमिनन के आने के कारण इस तरह की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं. 

क्या होता है मल्टीसिस्टम इंटरेक्शन

जब दो या दो से अधिक मौसम संबंधी सिस्टम एक साथ आते हैं तो इसकी वजह से औसत से अधिक मात्रा में बारिश होने लगती है. इसका सबसे सामान्य उदाहरण वेस्टर्न डिस्टरबेंस का पूर्वोत्तर की ओर से आ रही हवाओं के साथ मिलना है. जैसे कि मानसून या फिर बंगाल की खाड़ी से आ रहा लो-प्रेशर सिस्टम आदि.

साल मल्टीसिस्टम इंटरनेक्शन
जुलाई 2023 वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और मानसून के कारण 100 एमएम से अधिक बारिश दर्ज. हिमाचल प्रदेश में तबाही
अक्टूबर 2022 एक दिन में 74 एमएम से अधिक बारिश. पहाड़ों में अधिक बारिश
जून 2013 वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और मानसून के कारण केदारनाथ और उत्तराखंड में मची थी तबाही.

शुक्रवार को क्यों हुई इतनी बारिश

आसमान में चलने वाली हवाओं के कारण ऐसा परिस्थिति उत्पन्न हुई थी. जानकारी के मुताबिक हवा की एक स्थिति हरियाणा के ऊपर थी और एक अन्य स्थिति राजस्थान-गुजरात में थी जिसने मानसून की हवाओं को दिल्ली की और बढ़ाने का काम किया. दिल्ली के ऊपर ऊपरी वायुमंडल में हवाओं के विचलन ने निचले वायुमंडल में अभिसरण को बढ़ावा दिया, जिससे तीव्र तूफान की परिस्थितियां बन गईं. इस घटना का अधिकतर असर मध्य दिल्ली पर पड़ा. 

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बता दें, राष्ट्रीय राजधानी में मानसून आगमन के पहले दिन शुक्रवार की सुबह 228.10 मिलीमीटर बारिश हुई थी, जो 1936 के बाद जून माह में अब तक की सर्वाधिक वर्षा है. बारिश से शहर के कई हिस्सों में जलभराव की स्थिति हो गई थी और इस वजह से कई लोगों की जान भी चली गई.

एक ही दिन में इतनी बारिश होने का कारण

इतनी अधिक बारिश क्यों हुई, जो 1996 के बाद से सफदरजंग में एक दिन में सबसे अधिक और 1936 के बाद से जून में सबसे अधिक थी? मृत्युंजय  महापात्र ने बताया, “उस समय, दो परिसंचरण, एक हरियाणा और दूसरा दक्षिण राजस्थान-गुजरात पर, अरब सागर से कुछ नमी ला रहे थे. उसी समय, ओडिशा तट के पास बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक कम दबाव प्रणाली थी जो दक्षिण-पश्चिम मानसून को सक्रिय कर रही थी और इन हवाओं को उत्तर-पश्चिम भारत की ओर धकेल रही थी. उत्तर में परिसंचरण ने भी मानसून को इस क्षेत्र की ओर आकर्षित किया, जिससे यह दिल्ली-एनसीआर की ओर तेजी से आगे बढ़ा.

उन्होंने कहा कि इस मिश्रण में अंतिम हिस्सा दिल्ली के ऊपर वायुमंडल की ऊपरी परतों में एक उच्च दबाव प्रणाली थी, जो निचली परतों में हवाओं के अभिसरण का कारण बना, जिससे तीव्र गरज के साथ बारिश की परिस्थितियां बनीं. आईएमडी प्रमुख ने कहा, “यह एक बहु-स्तरीय अंतर्क्रिया थी, जिसने बहुत ही संकीर्ण क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा की. तकनीकी शब्दों में, यह एक मेसोस्केल संवहन प्रणाली थी.”

दिल्ली एनसीआर में इस हफ्ते कैसा रहेगा मौसम

1 जुलाई से 3 जुलाई के बीच दिल्ली एनसीआर में अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है. इसके साथ ही दिल्ली के कई हिस्सों में बिजली कड़कने के साथ भारी बारिश होने की संभावना है. वहीं 4 से 6 जुलाई तक दिल्ली का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस रह सकता है और इस दौरान भी दिल्ली एनसीआर में बादल छाए रहने और हल्की बारिश होने की संभावना है.

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