फ्रांस में गर्भपात को बनाया गया संवैधानिक अधिकार, बना ऐसा करने वाला पहला देश
नई दिल्ली:
फ्रांस ने सोमवार को अपने संविधान में गर्भपात के अधिकार को शामिल किया है और यह ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है. फ्रांस के इस कदम को महिला अधिकार समूहों ने ऐतिहासिक बताया है और गर्भपात विरोधी समूहों ने इसकी कड़ी आलोचना की है. पेरिस के ठीक बाहर, वर्सेल्स पैलेस की छत के नीचे, संसद के दोनों सदनों के एक विशेष संयुक्त वोट में, सांसदों और सीनेटरों ने 72 के मुकाबले 780 वोटों से इस कदम का भारी समर्थन किया है.
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जब मतदान के परिणाम की घोषणा एक विशाल स्क्रीन पर की गई तो पृष्ठभूमि में एफिल टॉवर चमक रहा था और “माईबॉडीमायचॉइस” संदेश प्रदर्शित हो रहा था, इसलिए पेरिस के बीचोंबीच इकट्ठे हुए गर्भपात अधिकार कार्यकर्ताओं ने खुशी मनाई और तालियां बजाईं. बता दें कि फ्रांस में गर्भपात को लोगों द्वारा स्वीकृत किया गया है. हालांकि, अमेरिका या फिर किसी भी अन्य देश में ऐसा नहीं है. पोल्स के मुताबिक 80 प्रतिशत फ्रेंच लोग मानते हैं कि गर्भपात लीगल होता है.
प्रधानमंत्री गेब्रियल अटल ने मतदान से पहले सांसदों से कहा, “हम सभी महिलाओं को एक संदेश भेज रहे हैं: आपका शरीर आपका है और कोई भी आपके लिए निर्णय नहीं ले सकता है”. फ्रांस में 1974 के कानून के बाद से महिलाओं को गर्भपात का कानूनी अधिकार प्राप्त है – जिसकी उस समय कई लोगों ने कड़ी आलोचना की थी. लेकिन 2022 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को मान्यता देने वाले रो बनाम वेड के फैसले को पलट दिया था. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने फ्रांस को अपने मूल कानून में स्पष्ट रूप से अधिकार की रक्षा करने वाला पहला देश बनने के लिए प्रेरित किया.
फोंडेशन डेस फेम्स अधिकार समूह की लॉरा स्लिमानी ने कहा, “यह अधिकार (गर्भपात का) संयुक्त राज्य अमेरिका में वापस ले लिया गया है और इसलिए हमें यह सोचने के लिए किसी ने अधिकृत नहीं किया कि फ्रांस इस जोखिम से मुक्त है.” स्लिमानी ने कहा, “इससे मेरी बहुत भावनाएं जुड़ी हैं, एक फेमिनिन एक्टिविस्ट और एक महिला के रूप में.”
सोमवार को हुए मतदान में फ्रांसीसी संविधान के अनुच्छेद 34 में यह प्रावधान किया गया कि “कानून उन स्थितियों को निर्धारित करता है जिनमें एक महिला को गर्भपात का सहारा लेने की स्वतंत्रता होती है”. फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की पार्टी के संसद के निचले सदन के प्रमुख येल ब्राउन-पिवेट ने कहा, “फ्रांस सबसे आगे है.”