देश

करीब एक तिहाई सांसद तो सिर्फ इस वजह से हार जाते हैं चुनाव… : रामगोपाल यादव का दावा


नई दिल्ली:

राज्यसभा में सपा के नेता रामगोपाल यादव ने बुधवार को दावा किया कि एक तिहाई लोकसभा सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) यानी सांसद निधि के कारण चुनाव हार जाते हैं और उन्होंने इसकी राशि वर्तमान पांच करोड़ रूपये से बढ़ाकर कम से कम 20 करोड़ रुपये प्रति वर्ष किए जाने अन्यथा इसे समाप्त किए जाने का सुझाव दिया. उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान इस मामले को उठाते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के रामगोपाल यादव ने कहा कि सांसद निधि, खासकर लोकसभा के सदस्यों के लिए एक संकट बन गयी है और इनमें से करीब एक तिहाई सांसद तो सिर्फ सांसद निधि के कारण चुनाव हार जाते हैं.

सांसद निधि के तहत प्रत्येक सांसद को अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए पांच करोड़ रुपये मिलते हैं. राज्यसभा के सदस्य अपने राज्य (जहां से वह निर्वाचित हुआ है) के किसी एक अथवा अधिक जिलों में इस निधि से विकास कार्यों की सिफारिश कर सकता है.

यादव ने कहा, ‘‘सांसद निधि सभी (सांसदों) के लिए संकट बन गयी है, खासकर लोकसभा के सदस्यों के लिए। लोकसभा के एक तिहाई सांसद सिर्फ सांसद निधि के कारण चुनाव हार जाते हैं.”

उन्होंने कहा कि लोग ये समझते हैं कि पता नहीं सांसदों को कितना पैसा मिलता है क्योंकि गांव का एक प्रधान आता है और 10 करोड़ का काम दे जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘रोजाना सौ से दो सौ लोग सांसदों के खिलाफ हो जाते हैं.”

सपा के वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि जब सांसद निधि की शुरुआत की गई थी तब एक किलोमीटर सीसी रोड (साढ़े तीन मीटर चौड़ी) 13 लाख रुपये में बनती थी लेकिन अब यही सड़क एक करोड़ 10 लाख रुपये में बन रही है.

यह भी पढ़ें :-  नरेंद्र मोदी आज शाम को लेंगे प्रधानमंत्री पद की शपथ, देखें कैबिनेट के संभावित मंत्रियों की लिस्ट

उन्होंने कहा कि पहले हैंडपंप 15,000 रूपये में लगता था लेकिन अब यह 85,000 रूपये में लग रहा है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में विधायकों को पांच करोड़ रूपये, दिल्ली में 10 करोड़ रूपये और केरल में सात करोड़ रूपये की निधि मिलती है जबकि सांसदों को अब भी सांसद निधि में पांच करोड़ रूपये ही मिल रहे हैं.

यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सभा क्षेत्र आते हैं जबकि कुछ संसदीय क्षेत्रों में छह विधानसभा क्षेत्र भी आते हैं. उन्होंने कहा कि सांसदों को पांच करोड़ रूपये मिलते हैं और उसमें भी 18 प्रतिशत जीएसटी कट जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘तो 4 करोड़ 10 लाख रूपये बचे. उत्तर प्रदेश में एक सांसद एक साल में एक विधानसभा क्षेत्र में एक किलोमीटर सड़क भी नहीं बनवा सकता. सबके सामने समस्या है.” यादव ने सांसद निधि से किए जाने वाले विकास कार्यो में होने वाले खर्च के लिए निगरानी तंत्र की कमी का मुद्दा भी उठाया.


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button