अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने रतन टाटा को ऐसे किया याद, बताईं व्यक्तित्व की ये खूबियां
नई दिल्ली:
भारत के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार देर रात निधन हो गया था. वो 86 साल के थे. रतन टाटा के निधन पर अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने एक लेख लिखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने लिखा है कि देश के एक अरब 40 करोड़ लोग रतन टाटा के निधन पर शोक में डूबे हुए हैं.गौतम अदाणी ने लिखा है कि रतन टाटा को केवल एक महान उद्योगपति बताना, उनको कम करके आकना होगा.उन्होंने लिखा है कि रतन टाटा एक असाधारण इंसान थे, जिनमें व्यावसायिक सीमाओं के बाहर भी असाधारण क्षमताएं थी. शायद ही कोई एक ऐसा क्षेत्र हो, जिसपर उन्होंने अपनी छाप न छोड़ी हो.
रतन टाटा का व्यक्तित्व
गौतम अदाणी ने लिखा है, ”यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उनकी जीवन यात्रा और काम ने देश-दुनिया में उद्यमियों की कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है. मैं उन अनगिनत लोगों में से एक हूं जिन्हें उनके व्यक्तित्व से बहुत अधिक लाभ हुआ है.”उन्होंने लिखा है कि रतन टाटा के व्यक्तित्व को लिखने में वैसे तो हजारों पन्ने कम पड़ जाएंगे, लेकिन मैं संक्षेप में तीन प्रमुख क्षेत्रों को आपसे साझा कर रहा हूं, जहां उन्होंने मेरे व्यावसायिक निर्णयों और दर्शन को आकार दिया. सबसे पहला, हमारे अंतरराष्ट्रीय उद्यम रतन टाटा से बहुत प्रभावित हैं.रतन टाटा भारत और भारतीयों की क्षमता पर विश्वास करने वाले पहले लोगों में से एक थे.
उन्होंने लिखा है कि रतन टाटा की विरासतों में से एक जो मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, वह यह है कि उन्होंने टाटा और कॉर्पोरेट इंडिया को कैसे ग्लोबल बनाया. वह दुनिया को यह बताने वाले पहले लोगों में से एक थे, जिन्होंने बताया कि भारत मजबूती से खड़ा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकता है. उन्होंने न केवल एक बड़ी कंपनी का निर्माण करने बल्कि हमारी विरासत, संस्कृति और गौरव में निहित भारतीयता की छाप दुनिया के हर कोने में छोड़ी.उन्होंने लिखा है कि टेटली, कोरस और जगुआर लैंड रोवर के अधिग्रहण मेरे लिए प्रेरणास्रोत थे. इसके बाद ही हमने यह फैसला किया कि हम अपने देश से बाहर निकलेंगे.उसके बाद से हम ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, इजरायल होते हुए हम अफ्रीका तक पहुंचे हैं.
सफलता का अर्थ क्या होता है
दूसरा, नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विकास में हमारे सामने कई चुनौतियां थीं.यह एक कभी न पूरी होने वाली परियोजना थी.जब मैं इसका मूल्यांकन कर रहा था,उस महत्वपूर्ण क्षण में रतन टाटा के शब्दों ने मुझे प्रोत्साहित किया.उन शब्दों ने मेरे सोच की दिशा बदल दी.अब जब यह हवाईअड्डा जल्द ही हकीकत बनने जा रहा है, ऐसे में उनकी बहुत याद आएगी.
और अंत में उनके लिए सफलता का मायने कभी भी केवल मुनाफा कमाना नहीं था, बल्कि वह उद्देश्य था. राष्ट्र निर्माण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता और उनके इस विश्वास कि व्यवसायों को अधिक से अधिक लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहिए,इसने हमारे ऊपर एक अमिट छाप छोड़ी है.भारत में बुनियादी ढांचा विकास का एक बड़ा डेवलपर्स होने की वजह से हमारे लिए भारत की सेवा से बड़ा कोई उद्देश्य नहीं है.हमारे इन प्रयासों के पीछे विचार यह है कि हम जो करते हैं, उसका फायदा हर भारतीय को मिलना चाहिए.इसी दर्शन पर चलते हुए हमने धारावी के कायाकल्प की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को अपने हाथ में लिया है. रतन टाटा की मानवीय नजरिए ने हमें ‘अच्छाई के साथ विकास’ के दृष्टिकोण को अपनाने के लिए प्रेरित किया है.
रतन टाटा के निधन से मैंने न केवल एक गुरु और अपना ध्रुव तारा उत्तर सितारा खो दिया है,बल्कि देश ने भी अपने सबसे प्रतिभाशाली और मानवतावादी बेटों में से एक को खो दिया है.उनके निधन पर जिस तरह दुख की लहर चली,उससे पता चलता है कि वह कितने विशाल व्यक्ति थे.अनगिनत लोगों पर उनका कितना गहरा प्रभाव था.ईश्वर उन्हें शांति दे. हम भी उनके जैसा ही बनने का प्रयास करें. यही उस असाधारण आत्मा के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
ये भी पढें: इजरायली टैंक ने लेबनान में UN के ‘ब्लू हेलमेट’ बेस पर दागे गोले, जानें फिर क्या हुआ : 10 पॉइंट्स