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छोटे दलों का 'जोड़', निर्दलियों का 'गुणा' और 28 सीटों का 'घटाना'… समझिए कश्मीर के लिए BJP का सियासी गणित


नई दिल्ली/श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर में पूरे 10 साल बाद विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव है. वोटिंग तीन फेज में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगी. नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे. मिशन कश्मीर के लिए BJP ज़ोर शोर से जुटी हुई है. BJP का दावा है कि जम्मू-कश्मीर में अगली सरकार वही बनाएगी. ये दावा कइयों को चौंका भी रहा है, क्योंकि 90 सीटों पर हो रहे इस चुनाव में BJP ने सिर्फ 62 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं. 28 सीटें छोड़ दी हैं. आइए जानते हैं जम्मू-कश्मीर के लिए क्या है BJP का मैथेमेटिक्स:-

BJP का मिशन कश्मीर? 
BJP ने जम्मू-कश्मीर की 90 में से 62 सीटों पर कैंडिडेट का ऐलान किया है. पार्टी जम्मू की सभी 43 सीटों पर लड़ रही है. जबकि कश्मीर घाटी की 47 में से सिर्फ 19 पर उम्मीदवार उतारे गए हैं. घाटी की 28 सीटों पर पार्टी ने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया. ऐसे में BJP को छोटे दलों और निर्दलीयों के समर्थन की उम्मीद है.

साफ है कि BJP की पूरी रणनीति जम्मू क्षेत्र में उसके प्रदर्शन पर टिकी है. इसीलिए पार्टी जम्मू की सभी 43 सीटों पर पूरी ताकत लगा रही है. उसकी कोशिश जम्मू की अधिकतम सीटें जीतने की है. साथ ही अगर छोटे दलों और निर्दलीयों का साथ मिल गया, तो इससे कांग्रेस-NC, PDP के वोट काटेंगे.

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कश्मीर के किंगमेकर कौन?
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46. BJP ने जम्मू से कम से कम 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. बाकी सीटों के लिए कश्मीर के छोटे दलों, निर्दलीयों पर नजरें बनाए हुए है. BJP ने कश्मीर घाटी की सीटों पर जो बिसात बिछाई है, उससे लगता है कि चुनाव नतीजों के बाद छोटे दलों के नेता किंगमेकर बनकर उभर सकते हैं. इनमें इंजीनियर राशीद, सज्जाद लोन, अल्ताफ बुखारी, गुलाम नबी आजाद और कुछ निर्दलीय शामिल हैं. दूसरी ओर, उमर अब्दुल्ला कश्मीरी अवाम को आगाह कर रहे हैं कि वो प्रॉक्सी दलों और उम्मीदवारों से सचेत रहें.

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क्या कहते हैं जम्मू के चुनावी आंकड़ें?
-जम्मू में कुल 43 विधानसभा सीटें आती हैं.
-इनमें हिंदू बहुल 27 सीटें हैं. 16 मुस्लिम बहुल सीटें हैं.  
-2014 के विधानसभा चुनाव में BJP जम्मू में 25 सीटें जीती थी.
-2024 में पार्टी का लक्ष्य 35 सीटें जीतने का है. इसके लिए पार्टी को 80% स्ट्राइक रेट की दरकार होगी.

मिशन कश्मीर में कितना कड़ा मुकाबला?
कश्मीर में इस बार कड़ा मुकाबला होने जा रहा है. विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस ने गठबंधन किया है. दोनों पार्टियों के बीच कुल 85 सीटों पर गठबंधन हुआ है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 51 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. कांग्रेस ने 32 सीटों पर कैंडिडेट खड़े किए हैं. बाकी 5 सीटों पर दोस्ताना मुकाबला रहेगा. इसके साथ ही 1 सीट CPM और 1 सीट पैंथर्स पार्टी को दी गई है.

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2024 के लोकसभा चुनाव में किसे कितनी बढ़त?
2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-NC को 43 निर्वाचन क्षेत्रों में बढ़त मिली थी. BJP को 29 निर्वाचन क्षेत्रों पर बढ़त मिली. PDP को 5, निर्दलीय को 12 और सज्जाद लोन को 1 सीट पर बढ़त मिलती दिखी. जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की 6 सीटें आती हैं.

2014 विधानसभा चुनाव में किसे मिली कितनी सीटें?
-PDP: 28
-BJP: 25
-NC: 15
-कांग्रेस: 12
-सज्जाद लोन: 2
-अन्य: 3

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BJP ने घाटी में क्यों छोड़ी 28 सीटें?
पार्टी सूत्र बताते हैं कि यह गृह मंत्री अमित शाह और BJP नेता राम माधव की चुनावी रणनीति है. BJP ने दक्षिण कश्मीर की 16 विधानसभा सीटों से 8, मध्य कश्मीर की 15 सीटों से 6 और उत्तर कश्मीर की 16 सीटों से 5 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. BJP अब पूरी तरह जम्मू की 43 विधानसभा सीटों पर फोकस कर रही है. 

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फिर कैसे बना सकती है सरकार?
अगर चुनाव के बाद 35 से अधिक सीटें मिलती हैं, तो कश्मीर से जीतने वाले निर्दलियों की मदद से वह सरकार बना सकती है. भारतीय जनता पार्टी बची हुई 28 सीटों पर ऐसे निर्दलीय प्रत्याशी और छोटे दलों को समर्थन देगी, जिनके जीतने की उम्मीद हो सकती है. दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग से BJP उम्मीदवार रफीक वानी ने खुले तौर पर दावा किया कि नए क्षेत्रीय राजनीतिक दल और निर्दलीय हमारे हैं. उन्होंने अपने भाषण में इंजीनियर राशिद, सज्जाद लोन, अल्ताफ बुखारी और गुलाम नबी आजाद को अपना बताया था. विपक्ष का आरोप है कि कश्मीर की कई सीटों पर BJP के इशारे पर भारी तादाद में निर्दलियों ने पर्चा भरा है.

बता दें कि केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में परिसीमन हुआ. वहां कुल 114 सीटें हैं, मगर चुनाव 90 सीटों पर हो रहे हैं. 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हैं. इस हिसाब से जम्मू-कश्मीर में बहुमत का आंकड़ा 46 है.  

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
BJP प्रवक्ता शाजिया इल्मी कहती हैं, “उमर अब्दुल्ला घबराए हुए हैं. अपनी शिकस्त को रोकने के लिए वो इस बार दो जगहों से लड़ रहे हैं. BJP काफी क्लियर है कि अलगाववादी सोच और उससे जुड़े हुए लोगों के साथ वो कभी कोई समझौता नहीं कर सकती. कम उम्मीदवार उतारने की बात है, तो ये कोई चूक नहीं है. एक तय रणनीति के तहत ऐसा किया गया है. निश्चित तौर पर चुनाव में इसका फायदा मिलेगा.”

नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रवक्ता इफरा जान कहती हैं, “बारामूला में उमर अब्दुल्ला अगर चुनाव हारे, तो BJP कैंडिडेट से नहीं हारे. सवाल ये है कि इंजीनियर राशिद की जीतने की खुशी पर BJP इतनी खुश क्यों होती है? ये कश्मीर के आवाम को जरूर समझ आता है.”

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सीनियर जर्नलिस्ट जफर चौधरी कहते हैं, “2024 के चुनाव सीधे तौर पर 2019 के पहले की राजनीति और 2019 के बाद की राजनीति के बीच का मुकाबला है. आपके पास दो गुट हैं. दो विचारधाराएं हैं. एक तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का अलायंस है. दूसरी ओर BJP है. हालांकि, BJP ने किसी पार्टी के साथ अलायंस का ऐलान नहीं किया है. लेकिन सिर्फ 62 सीटों पर लड़ना और 28 सीटें छोड़ देना…ये एक तरह से वोट विभाजन करने की रणनीति ही है.”

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