आदि, नहीं शनि.. बच्चे के नाम पर मियां-बीवी में तलाक की नौबत, कोर्ट ने चुटकी में करवा दी सुलह
बच्चे के नाम पर पति-पत्नि में विवाद
मैसूरु:
मशहूर लेखक शेक्सपीयर की एक बड़ी चर्चित लाइन है- नाम में क्या रखा है? यकीनन ये भी आपने सुना होगा. या फिर आपने भी कभी-कभार इस लाइन का इस्तेमाल किया ही होगा. लेकिन नाम की अहमियत क्या है, इसका अंदाजा इससे हो जाएगा कि बच्चे के नाम को लेकर कि पति पत्नी में तलाक की नौबत आन पड़ी. हैरान मत होइए क्योंकि ऐसा सच में हुआ है. बच्चे के नाम को लेकर मामला इतना बढ़ा कि मामला अदालत जा पहुंचा, जहां आखिर में एक नाम तय होता है जिसे 4 जज और अन्य न्यायिक अधिकारियों की मौजूदगी में बच्चे के माता-पिता स्वीकार कर लेते हैं. तब जाकर पति-पत्नी एक-दूसरे को माला पहनाकर 3 साल की कड़वाहट को पीछे छोड़कर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते हैं.
क्या है मामला
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में मैसूर जिले के हुनसुर दंपत्ति के घर बच्चे का जन्म हुआ. बेटे का नाम रखने को लेकर दंपत्ति में विवाद शुरू हो गया. मां बनी महिला ने अपने बेटे को ‘आदि’ बुलाना शुरू कर दिया. हालांकि यह नाम किसी भी सरकारी एजेंसी के पास औपचारिक रूप से रजिस्ट्रर नहीं था. वहीं पति को बेटे का नाम पसंद नहीं आ रहा था. जिस वजह से मामला तूल पकड़ गया. असल में पति ऐसा नाम रखना चाहता था जो भगवान ‘शनि’ को दर्शाता हो. लगभग दो साल तक दंपति के बीच कोई रास्ता नहीं निकला.
कोर्ट ने कैसे कराई पति-पत्नी में सुलह
आखिरकार में पत्नी ने सीआरपीसी की धारा 125 के अदालत का दरवाजा खटखटाया. जहां सहायक सरकारी वकील सौम्या एमएन ने कहा कि उन्होंने कई सुझाव दिए जो दंपति को पसंद आएंगे. आखिरकार पति-पत्नी दोनों ही अदालत द्वारा चुने गए ‘आर्यवर्धन’ नाम पर सहमत हुए. शनिवार को हुनसूर जिले के आठवें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय में न्यायाधीशों, सहायक सरकारी अभियोजक और अधिवक्ताओं ने 3 साल के बच्चे को सबकी सहमति से नाम दिया. हुनसूर तालुक बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एस शिवने गौड़ा के अनुसार, बच्चे के नामकरण के बाद दंपति ने मतभेद भुला दिए. जिसके बाद पिछली कड़वीं बातों को भुलाकर मिठाइयां भी बांटी गई.