पीएम मोदी की डिग्री: मानहानि मामले में अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह की स्थगन अर्जियां खारिज

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एस जे पांचाल ने आम आदमी पार्टी (आप) के इन नेताओं की तरफ से उनके वकीलों द्वारा दायर स्थगन अर्जियों को खारिज कर दिया. अदालत ने केजरीवाल की याचिका पर अपना आदेश बृहस्पतिवार के लिए सुरक्षित रख लिया, जिसमें कहा गया था कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197 के तहत मंजूरी के बिना उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि वह लोक सेवक हैं.
दोनों नेता प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री के संबंध में अपने ‘‘व्यंग्यात्मक” और ‘‘अपमानजनक” बयानों के सिलसिले में गुजरात विश्वविद्यालय (जीयू) द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले का सामना कर रहे हैं.
केजरीवाल और सिंह ने इस आधार पर मामले में स्थगन की मांग करते हुए अर्जियां दायर की हैं कि समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाएं गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं और अगले साल फरवरी में सुनवाई की संभावना है.
स्थगन अर्जियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए गुजरात विश्वविद्यालय के वकील अमित नायर ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मुकदमे पर कोई रोक नहीं लगाई है और मामले में जिन गवाहों से पूछताछ की जानी है वे अदालत में मौजूद हैं.
नायर ने इस मामले में केजरीवाल की उस दलील को भी चुनौती दी कि चूंकि वह लोक सेवक हैं, इसलिए सीआरपीसी की धारा 197 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी ली जानी चाहिए थी.
उन्होंने कहा कि अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल आधिकारिक कार्य के निर्वहन की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए वर्तमान मामले में ऐसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि यह अर्जी मामले को लटकाने की एक रणनीति है. अदालत ने बृहस्पतिवार तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.
केजरीवाल और सिंह ने सत्र अदालत में उनकी पुनरीक्षण याचिका के निपटारे तक उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था.अदालत ने यह कहते हुए दोनों नेताओं को तलब किया था कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 (मानहानि) के तहत मामला बनता प्रतीत होता है.
उच्च न्यायालय द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री पर मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश को रद्द करने के बाद जीयू के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने दोनों नेताओं के खिलाफ उनकी टिप्पणियों पर मानहानि का मामला दायर किया था.
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