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कुछ ही दिन बाद तो मुझे तुम्हारी गोद में लोरियां सुननी थीं मां लेकिन…

मां जितना आपको मेरे आने का इंतजार था उससे कहीं ज्यादा बीते 9 महीने से आपसे मिलने का इंतजार मैं कर रहा था… मैं सोचता था कितना अच्छा होगा जब आप मुझे लोरियां सुनाओगी, मैं रात में नींद से उठ-उठकर आपको और पापा को डिस्टर्ब करूंगा और आप दोनों हंसते हुए मुझे अपने गोद पर सुलाओगे. मैं आपके गर्भ में रहते हुए ये सुनता था कि मेरे आने पर आप क्या क्या करेंगे… कितना जश्न होगा कितने लोग बुलाए जाएंगे. मैं अदंर ही अंदर इतना खुश हो रहा था. लेकिन किसी वजह से जब मैं इस दुनिया में आया तो कुछ कमजोर था.

मुझे आगे किसी तरह की दिक्कत ना हो और मैं दूसरे बच्चों की तरह ही तंदरुस्त बना रहूं, इसके लिए मुझे पहले दिन से ही आपने वो सुविधाएं भी दीं. बड़े-बड़े डॉक्टरों के पास ले गए, बड़े-बड़े नर्सिंग होम में मुझे रखा. मैं हर बीतते दिन के साथ आपके साथ खेलने के लिए और मजबूत हो रहा था मां. 



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लेकिन मुझे कहां पता था कि जिस नर्सिंग होम में मुझे आपने और बेहतर होने के लिए भर्ती कराया था, मैं वहां से अब कभी आपके पास नहीं लौट पाऊंगा. मां मैं अब कभी नहीं लौटूंगा…ये सच है…ये वो सच है जो एक टीस बनकर आपके सीने में जिंदगी भर चुभेगा.

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उस काली रात एकाएक कुछ ऐसा हुआ कि जब तक मैं ये समझ पाता कि मेरे जिस्म को ये कौन जला रहा है तब तक मेरी सांस टूट गई. मां मुझे आपके पास आना था, आपके साथ खेलना था. आपसे ढेर सारी लोरियां सुननी थीं… पर अब कहां कर पाऊंगा मां. पर मैं फिर आउंगा…जरूर आऊंगा मां. मुझे माफ करना.

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