दुनिया

आखिर इतना शरीफ क्यों बन रहा पाकिस्तान, जरा उसकी कमजोर नस को समझिए…


दिल्ली:

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस्लामाबाद जाने के बाद ऐसा लग रहा है कि मानो पाकिस्तान दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने (India Pakistan Relations) को बेताब है. ऐसा नहीं है कि पहले मौके नहीं थे, लेकिन पाकिस्तान कभी भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. भारत की तमाम कोशिशों के बावजूद उसने कभी न ही अच्छे पड़ोसी का फर्ज निभाया और न ही रिश्ते संवारने और सुधारने की छोटी सी भी कोशिश की. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान भारत से रिश्ते सुधारने को बेताब है. ये सिर्फ दिखावा मात्र है या फिर सच में वह ऐसा ही चाहता है?

ये भी पढ़ें-क्या पाकिस्तान में खेलने जाएगी टीम इंडिया? पाक विदेश मंत्री और एस जयशंकर की मुलाकात से मिला ये संकेत

अतीत भुलाकर आगे बढ़ें भारत-पाकिस्तान

 पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत और पाकिस्तान को अतीत को भूलकर अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए. के इस बयान को एस जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा के बाद भारत से रिश्तों को सुधारने की पहल के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने जयशंकर की यात्रा को ‘अच्छी शुरुआत’ बताया और उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष सकारात्मक रुख के साथ आगे बढ़ेंगे.

संबंध सुधारने पीएम मोदी पाकिस्तान भी गए

नवाज शरीफ ने दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की अचानक लाहौर यात्रा को भी याद किया और इसकी सहारना भी की. उन्होंने कहा कि मेरी मां से उनका मिलना बहुत बड़ी बात थी. हालांकि रिश्ते उतने मधुर रहे नहीं. नवाज दोनों देशों के बीच संबंधों में लंबे समय से जारी ठहराव से खुश नहीं हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों पक्षों को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना चाहिए. नवाज ने कहा कि हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते, न ही पाकिस्तान और न ही भारत, लेकिन हमें अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए. यहां तक कि उन्होंने दोनों देशों के बीच सेतु की भूमिका निभाने तक की बात कह दी.

यह भी पढ़ें :-  ईरान ने 12 एक्ट्रेस के फिल्मों और सीरियल में काम करने पर लगाया बैन, ड्रेस कोड के तोड़े थे नियम

75 साल खोए, अगले 75 न खोएं

नवाद शरीफ ने कहा कि भारत-पाकिस्तान ने 75 साल इसी तरह लड़ते हुए बिताए हैं,  हमें इसे अगले 7 5सालों तक नहीं चलने देना चाहिए. उन्होंने कहा कि पीएमएल-एन की सरकारों ने दोनों देशों के बीच के रिश्ते को चलाने के लिए कड़ी मेहनत की है. दोनों पक्षों को बैठकर चर्चा करनी चाहिए कि आगे कैसे बढ़ना है.

Latest and Breaking News on NDTV

क्रिकेट रिश्ते शुरू करने की उठ रही बात  

एस जयशंकर और पाकिस्तानी विदेश मंत्री की मुलाकात से ये लोगों में ये उम्मीद फिर से जगने लगी कि शायद दोनों देशों के बीच क्रिकेट रिश्ते फिर बहाल हो जाएं. अब नवाज शरीफ ने भी भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों को फिर से शुरू करने की वकालत की है. उनका कहना है कि अगर दोनों टीमें पड़ोसी देश में किसी बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में खेलती हैं तो वह भारत जरूर आना चाहेंगे. इतना ही नहीं नवाज शरीफ ने दोनों दोशों के बीच व्यापारिक संबंधों के महत्व पर भी जोर दिया.

Latest and Breaking News on NDTV

फिर याद आई अटल की लाहौर बस यात्रा

नवाज शरीफ ने 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दिल्ली-लाहौर बस यात्रा को भी याद किया. उन्होंने कहा कि वाजपेयी को आज भी लाहौर घोषणापत्र और उस समय उनके शब्दों के लिए याद किया जाता है. वह जब उस यात्रा के वीडियो देखते हैं तो उन सुखद यादों को महसूस करके बहुत अच्छा लगता है. 

सोशल मीडिया

सोशल मीडिया

अमन शांति की हर कोशिश हुई बेकार

भारत ने पाकिस्तान संग रिश्ते सुधारने और अमन शांति बनाए रखने की बहुत कोशिशें की, लेकिन सब बेकार साबित हुईं. पाकिस्तान हमेशा ही ऐसी कोशिशों पर पानी डालता रहा है. वाजपेयी और नवाज शरीफ के बीच इस द्विपक्षीय मसौदे पर  हस्ताक्षर हुए थे कि दोनों देशों के बीच जंग नहीं होगी. लेकिन हुआ क्या कुछ ही महीनों में पाकिस्तान ने भारत को कारगिल युद्ध का जख्म दे दिया.  इस तरह भारत की शांति की कोशिश जाया हो गई. 

Latest and Breaking News on NDTV

लाहौर समझौता तोड़ा, करगिल का जख्म दिया

नवाज शरीफ ने खुद इस बात को स्वीकार किया था कि लाहौर समझौते पर पाकिस्तान ने पानी डाल दिया. उन्होंने माना था कि 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए उसके बाद वाजपेयी वहां गए और उनके साथ समझौता किया. लेकिन पाकिस्तान ने उस समझौते का उल्लंघन किया,यह उनकी गलती थी.

यह भी पढ़ें :-  गाजा में युद्ध के लिए अमेरिका जिम्मेदार, इजरायल को बनाया औजार : हिजबुल्ला चीफ

कंगाली से बेबस और लाचार पाकिस्तान  

पाकिस्तान पिछले काफी समय से कंगाली से जूझ रहा है. उसकी आर्थित स्थिति ठीक नहीं है. सितंबर महीने में खबर आई थी कि खर्चों में कटौती करने के लिए उसने 1.5 लाख नौकरियों तक में कटौती कर दी. इकना ही नहीं 6 मंत्रालय भंग किए और दो मंत्रालयों के विलय की बात कही थी. ऐसा इसलिए क्यों कि उसके पास इनको चलाने के लिए फंड ही नहीं था, ऐसा उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज उधार लेने के लिए दिखाने की कोशिश की. पहले भी खबरें आती रही हैं कि पाकिस्तान में खाने-पीने की चीजों की कीमतें आसमान छू रही है.

भारी कर्ज के बोझ तले दबा पाकिस्तान

पाकिस्तान कर्ज के भारी बोझ तले दबा हुआ है. उस पर कर्ज इतना हो गया है कि ब्याज देने तक के पैसे नहीं हैं. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, उस पर  वित्त वर्ष 2025 के लिए उस पर  26.2 बिलियन डॉलर का कर्ज है. IMF की रिपोर्ट के मुताबिक,  उसकी 40.5 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे है. साल 2022 में आर्थित जटिलता सूचकांक में वह 85वें नंबर पर था.  पाकिस्तान की जीडीपी फिलहाल 1.9 % पर थमी हुई है. इसका अनुमान भी पहले ही जता दिया गया था. हो सकता है कि 2025 में यह कुछ हद तक मजबूत हो जाए. फिलहाल हालात बिल्किल अलग हैं.

पाकिस्तान को 12 महीने में चुकाना है इतना कर्ज

कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान के पास पहले ही पैसा नहीं है अब उसे अगले 12 महीनों में 30.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज चुकाना है. इनमें कई अहम लोन भी शामिल हैं, ये बात केंद्रीय बैंक ने कही है. पैसा तो है ही नहीं ऐसे में ये कर्ज चुकाना पाकिस्तान के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा. क्या कर्ज में दबे पाकिस्तान के तेवर अब ढीले पड़ने लगे है, इसी वजह से वह रिश्तों में सुधार की वकालत कर रहा है.

यह भी पढ़ें :-  Explainer: चीन ने बनाया इतना बड़ा बांध कि पृथ्वी की धुरी पर घूमने की गति घट गई!


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button