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हत्या के बाद शवों के टुकड़े करने का था शौक… दिल्ली पुलिस ने सीरियल किलर चंद्रकांत को कुछ यूं किया गिरफ्तार


नई दिल्ली:

दिल्ली की क्राइम ब्रांच ने सीरियल किलर चंद्रकांत झा को गिरफ्तार कर लिया है. वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा था और साल 2023 में पैरोल पर रिहा हुआ था. लेकिन झा ने आत्मसमर्पण नहीं किया. चंद्रकांत झा पर पुलिस ने 50,000 रुपये का इनाम रखा था. उसे तीन महीने से अधिक समय तक चले एक ऑपरेशन के बाद गिरफ्तार किया गया है. सीरियल किलर चंद्रकांत झा ने साल 2006 और 2007 में सिलसिलेवार हत्याओं से दिल्ली को दहला दिया था. उस पर ‘नेटफ्लिक्स’ पर एक डॉक्यूमेंट्री ‘इंडियन प्रीडेटर, द बुचर ऑफ डेल्ही’ बनाई गई थी.

क्या है पूरा मामला

क्राइम ब्रांच के डीसीपी संजय सेन के मुताबिक आरोपी चंद्रकांत झा फरार था और अपने पिछले अपराध पैटर्न को देखते हुए समाज के लिए खतरा था. इसलिए उसे पकड़ने के लिए, आईएससी, क्राइम ब्रांच की एक टीम बनाई गई थी. इस टीम ने कई महीने तक लगातार काम किया. पुलिस ने चंद्रकांत झा का पता लगाने के लिए हर संभव कोशिश की. ऑपरेशन के दौरान पुलिस ने आरोपी के रिश्तेदारों से संपर्क किया गया और हर छोटी-छोटी जानकारी पर काम किया. उसके पूरे परिवार के मोबाइल नंबरों को भी सर्विलांस पर रखा गया.

सुराग पाने के लिए उसके पिछले अपराध स्थलों की भी रेकी की गई. इसके अलावा, रिक्शा चालकों, बैटरी रिक्शा चालकों और छोटे परिवहन वाहकों की भी जांच की गई. टीम ने दिल्ली एनसीआर, हरियाणा, यूपी और बिहार में कई फल और सब्जी मंडियों का भी दौरा किया क्योंकि आरोपी पहले मंडियों में काम करता था. आखिरकार, महीनों की मेहनत रंग लाई और हेड कॉन्सटेबल नवीन ने एक ऐसे मोबाइल नंबर का पता लगाया जिसकी गतिविधि बेहद संदिग्ध थी. 17 जनवरी 2025 को चंद्रकांत झा को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से पकड़ा गया. वो दिल्ली से बिहार भागने की कोशिश कर रहा था.

  • चंद्रकांत झा बिहार के घोषई गांव का रहना वाला है.
  • वो केवल 8वीं कक्षा तक पढ़ा हैं.
  • 1990 में दिल्ली आ गया और आजादपुर मंडी के पास रहने लगा.
  • वह पैसे कामने के लिए कई प्रकार के छोटे-मोटे काम करता था.
  • उसकी पहली शादी कुछ ही दिन चल पाई थी.
  • उसकी दूसरी शादी से उसकी पांच बेटियां थीं. उसे 7 हत्याओं, आर्म्स एक्ट, घर में चोरी और चोट पहुंचाने सहित 13 मामलों में गिरफ्तार किया गया था.
  • पैरोल के बाद वह कई जगहों पर छिपता रहा और अलीपुर में अपने परिवार से मिलने आया.
  • वापस जाते समय अलर्ट टीम ने उसे पकड़ लिया.
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सिलसिलेवार हत्याओं से दहल उठी थी दिल्ली

साल 2006 और 2007 में सिलसिलेवार हत्याओं से दिल्ली दहल उठी थी. चंद्रकांत झा एक पैटर्न के तहत पीड़ितों का सिर काटकर उन्हें मार डालता था. उसके बाद उनके शरीर के हिस्सों को काट देता था. इन युवकों के क्षत-विक्षत शवों को केंद्रीय तिहाड़ जेल के बाहर फेंक देता था.  इसके अलावा दिल्ली के आसपास कई जगहों पर भी शव के टुकड़े फेंकता था. वह यहीं नहीं रुका और क्षत-विक्षत शव फेंकने के बाद वह पुलिस को अपराध और उस स्थान के बारे में बताता था. जहां उसने क्षत-विक्षत शव फेंके होते थे. साथ ही वो वहां एक लेटर छोड़ता था, जिसमें कानून प्रवर्तन एजेंसियों को चुनौती देता था.

पहली हत्या – शुरुआत में वो चोरियों में शामिल था, लेकिन साल 1998 में उसने आदर्श नगर इलाके में मंगल उर्फ ​​औरंगजेब नाम के शख्स की हत्या कर. शरीर के हिस्सों को काटकर अलग-अलग स्थानों पर फेंककर सनसनी फैला दी. आरोपी को उसी साल 1998 में गिरफ्तार किया गया और 2002 तक जेल में था.

दूसरी हत्या: जून 2003 के महीने में, उसने अपने एक साथी शेखर पर शराबी और झूठा होने का आरोप लगाते हुए उसकी हत्या कर दी. उसने हैदरपुर इलाके में उसकी हत्या कर दी और शव को थाना अलीपुर इलाके में फेंक दिया. 

तीसरी हत्या: नवंबर, 2003 में, उसने बिहार निवासी उमेश नाम के शख्स की हत्या कर दी थी, जो उसके साथ रह रहा था और उस पर झूठ बोलने और धोखा देने का आरोप लगाया था. उसने सनसनी फैलाने के लिए शव को तिहाड़ जेल के गेट नंबर 1 के पास फेंक दिया.

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चौथी हत्या: नवंबर 2005 में, उसने भागल पुर, बिहार निवासी गुड्डु नामक व्यक्ति की हत्या कर दी. क्योंकि उसे उसकी आदतें पसंद नहीं थीं. जिसमें गांजा पीना और फिजूलखर्ची शामिल थी. उसके शव को मंगोल पुरी थाना क्षेत्र में सुलभ शौचालय के पास फेंक दिया था.

पांचवीं हत्या: अक्टूबर 2006 में, उसने आज़ाद पुर निवासी अपने सहयोगी अमित की हत्या कर दी. उसने आरोप लगाया कि वह महिला उत्पीड़न में लिप्त था और उसे उसकी आदतें पसंद नहीं थीं. शव को फिर तिहाड़ जेल के सामने फेंक दिया गया. 

छठी हत्या: अप्रैल 2007 में, उसने अपने सहयोगी उपेन्द्र की हत्या कर दी. जिसका कथित तौर पर उसके दोस्त की बेटी के साथ प्रेम संबंध था और उसने उसे इस संबंध को जारी न रखने की चेतावनी दी थी. जब वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो उसने उसकी हत्या कर दी और उसका शव तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 के पास फेंक दिया.

सातवीं हत्या: इसके बाद मई 2007 में उसने अपने साथी दिलीप की हत्या कर दी, क्योंकि उसे उसकी नॉनवेज खाने की आदत पसंद नहीं थी. उसने शव को तिहाड़ जेल के गेट नंबर 1 के पास फेंक दिया था.

हत्या करने का पैटर्न

आरोपी एक क्रूर हत्यारा है. वो अक्सर उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले लड़कों को काम ढूंढने, खाना उपलब्ध कराने के बहाने साथ रखता था. आरोपी अपने साथ रहने वालों की छोटी-छोटी इच्छाओं जैसे शराब पीना, मांस खाना, किसी महिला से संबंध रखना, झूठ बोलना पर आपत्ति जताता था.

इस तरह से करता था

हत्या आरोपी सबसे पहले बहाने से पीड़ितों के हाथ बांध देता था. उनके हाथ बांधने के बाद वह उन्हें सजा देता था. पीड़ितों को लगता था कि आरोपी कोई छोटी सजा देकर छोड़ देगा.  हालांकि आरोपी एक खास चाकू की मदद से पीड़ितों का गला काटता था और फिर सिर, पैर और हाथ काट देता था. इसके बाद वह शव को एक प्लास्टिक बैग में पैक कर देता था. शव वाले प्लास्टिक बैग को अपने साइकिल-रिक्शा में ले जाता था. जिसमें स्कूटर का इंजन लगा होता था.

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पुलिस को देता था चुनौती

तड़के वह शव को पहले से चिन्हित स्थानों पर फेंक देता था. शरीर को काटने और पैक करने का पूरा वो बहुत ही प्रोफेशनल तरीके से करता था. जिसके चलते खून ज्यादा नजर नहीं आता था. झा शवों के साथ पत्र रखकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों को चुनौती देता था, पुलिस पत्र में लिखता था  “तुम्हारा बाप ,जीजाजी  ये भी पढ़ें- ‘उस दिन मौत मेरे से 20 मिनट ही…’, बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने बयां किया अपना दर्द, सुनिए क्या कुछ कहा


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