पाकिस्तान और श्रीलंका के बाद क्या अब नेपाल की है बारी, नेपाल के इस हिस्सों क्या निगल रहा है चीन?
नई दिल्ली:
दक्षिण एशिया में चीन लगातार अपने आक्रामक और विस्तावादी नीतियों के लिए जाना जाता है. चाहे बात श्रीलंका की करें या फिर मालदीव, म्यांमार या भूटान की, उसने बीते कुछ वर्षों में ये सभी देश चीन की इस नीति का सबसे सटीक उदाहरण है. अब उसके निशाने पर नेपाल है. बताया जा रहा है कि नेपाल के हुमला जिले के कई क्षेत्रों में चीन अतिक्रमण कर रहा है. कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि चीन ने उनके इलाकों में कंटीले तार और कई पक्की इमारतें बना ली हैं.
सूत्रों के अनुसार तिब्बती पठार की एक पहाड़ी पर ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अमर रहे’ का नारा लिखा दिया गया है. साथ ही साथ चीन की सेना नेपाल की इस गांव में रहने वाले लोगों पर दबाव डाल रही है कि वो निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की तस्वीरें ने लगाएं . चीन इन इलाकों पर कैमरे से नजर रखा जा रहा है. स्थानीय लोगों को आरोप है कि चीनी पुलिस और अन्य बल बगैर किसी रोक-टोक के उनके इलाकों में प्रवेश करते रहते हैं.
“चीन जो चाहे वो कर सकता है”
स्थानीय नेपाली लोगों का कहना है कि चीन एक शक्तिशाली देश है. वह जो चाहे कर सकता है. एक दिन हिल्सा भी निगल गया तो कौन परवाह करेगा कि यहां क्या हो रहा है. हालांकि, नेपाल की मौजूदा सरकार जिसे चीन का समर्थक भी माना जाता है, अपने यहां किसी भी तरह के अतिक्रमण को सिरे से खारिज कर रही है.
चीनी साजिश का हिस्सा है ये बाड़बंदी
नेपाल के हुमला में चीन जो बाड़बंदी कर रहा है, ये उसकी हजारों मील लंबे किलेबंदी नेटवर्क का सिर्फ एक हिस्सा है. इसे चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की सरकार दूरदराज के इलाकों में विद्रोही आबादी को नियंत्रित करने और कुछ मामलों में दूसरे देशों के हिस्सों में अतिक्रमण के लिए करती है. आपको बता दें बीते कुछ सालों में चीन ने दर्जनों बस्तियों को अपनी सीमा में शामिल कर लिया है. हालांकि, इसका कई जगहों पर विरोध भी हुआ है लेकिन इसके बावजूद भी ये तमाम बस्तियां अब चीन का हिस्सा मानी जा रही हैं. चीन की यह विस्तारवादी नीति गरीब और कमजोर देशों पर खास तौर पर भारी पड़ रही है.
वाशिंगटन में सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के चाइना पावर प्रोजेक्ट के फेलो ब्रायन हार्ट ने कहा कि शी जिनपिंग के तहत, चीन ने अपनी परिधि के साथ विवादित क्षेत्रों में अपने क्षेत्रीय दावों पर जोर देने के प्रयासों को दोगुना कर दिया है.
पहले भी चीन दूसरे इलाकों में कर चुका है अतिक्रमण
चीन की सीमाओं से लगने वाले इलाकों में क्षेत्र विस्तार को लेकर विवाद करना और विवादित क्षेत्रों में घुसपैठ करना, चीन की विस्तारवादी नीति का हिस्सा रहा है. इसके कई उदाहरण मौजूद हैं. अपने पूर्वी समुद्री क्षेत्र के पास, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलीपीन्स वाटर के रूप में मान्यता प्राप्त है, चीन ने मूंगा चट्टान को सैन्य अड्डे में बदल दिया ह. अपनी सुदूर पश्चिमी भूमि सीमा पर, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने विवादित पर्वतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर ली है.2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच LAC के पास हुए संघर्ष में दोनों ही देशों को काफी नुकसान (सैनिकों का) झेलना पड़ा था.चीन का सीमा विस्तार की नीति का अमेरिका ने भी जिक्र किया है. 2023 में अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा था कि चीन ने “भारत-प्रशांत क्षेत्र में अधिक खतरनाक, जबरदस्ती और उत्तेजक कार्रवाइयां अपनाई हैं.
नेपाल ने सिरे से नाकार
चीन द्वारा अतिक्रमण की खबरों के बीच नेपाल के विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा ने न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि उन्हें तिब्बत के साथ सीमा पर समस्याओं के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है. और सरकार का ध्यान भारत के साथ दक्षिणी सीमा पर अधिक है. जहां अधिक नेपाली रहते हैं. उन्होंने कहा कि हमने वास्तव में उत्तरी सीमा को देखने के बारे में ज्यादा नहीं सोचा है – कम से कम मैंने नहीं सोचा है.