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अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद उत्तराधिकारी की तलाश तेज, दौड़ में हैं ये नेता


नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि वो अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि वो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तब तक नहीं बैठेंगे, जब तक जनता उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट नहीं दे देती.इसके बाद सोमवार को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा अभी सीएम के नाम पर चर्चा नहीं हुई है. इस पर फैसला केजरीवाल के इस्तीफे के बाद विधायक दल की बैठक में लिया जाएगा. आप की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक भी सोमवार को होने वाली है. केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद से उनके संभावित उत्तराधिकारियों के नाम की चर्चा तेज हो गई है. आइए जानते हैं कि आप का कौन सा नेता हो सकता है अरविंद केजरीवाल का उत्तराधिकारी.

आतिशी मार्लेना

दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदारों में एक नाम सबसे आगे है, वह है कालकाजी की विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी का. अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद से ही आतिशी अपने सरकारी दायित्व के साथ-साथ पार्टी के कामकाज में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. पार्टी के कार्यक्रमों की वह प्रमुख चेहरा हैं. आप में उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो दिल्ली सरकार में पीडब्लूडी, शिक्षा, उच्च शिक्षा, योजना, बिजली और जल संसाधन जैसे  13 विभागों की मंत्री हैं. वो बहुत पहले से पार्टी में सक्रिय रही हैं. उन्होंने 2013 के चुनाम में आम आदमी पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र तैयार करने में भी बड़ी भूमिका निभाई थी.

अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से संदेश भेजकर कहा था कि 15 अगस्त को उनकी गैरमौजूदगी में आतिशी ही झंडा फहराएंगी. लेकिन उनकी सलाह को नकारते हुए उपाराज्यपाल वीके सक्सेना ने परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को झंडा फहराने के लिए अधिकृत किया. केजरीवाल की ओर से झंडा फहराने के लिए आतिशी को अधिकृत करना उनकी पार्टी में हैसियत बताने के लिए काफी है. वो पार्टी और सरकार की ओर से अक्सर मीडिया से भी मुखातिब होती रहती हैं. मीडिया में वो दिल्ली सरकार और आप का प्रमुख चेहरा हैं. 

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गोपाल राय 

मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदारों में एक नाम आप के दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय का भी है. वो दिल्ली सरकार में मंत्री भी हैं. उनके पास वन-पर्यावरण के साथ-साथ सामान्य प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं.गोपाल राय अरविंद केजरीवाल से तभी से जुड़े हुए हैं, जबसे वे जंतर-मंतर पर अण्णा हजारे के साथ आमरण अनशन किया था. पूर्वी उत्तर प्रदेश से आने वाले गोपाल राय दिल्ली में पूर्वांचल के नेताओं में प्रमुख चेहरा हैं. गोपाल राय को सीएम बनाने से बाकी के नेताओं के पास पार्टी का काम करने के लिए पर्याप्त अवसर होंगे. 

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कुलदीप कुमार

अरविंद के इस्तीफा देने की जानकारी सामने के बाद से ही एक चर्चा यह भी है कि आप किसी दलित को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा सकती है.चर्चा यह है कि आप कोंडली से विधायक कुलदीप कुमार को सीएम की कुर्सी पर बैठा दे.आप को इस बाद की उम्मीद है कि किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाने से उसके वोट बैंक में इजाफा होगा. अगर ऐसा होता है तो पहली बार दिल्ली में सीएम की कुर्सी पर कोई दलित बैठेगा.इसका असर भी दूरगामी होगा.अभी हरियाणा विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं और नवंबर में महाराष्ट्र का चुनाव प्रस्तावित हैं. इन दोनों राज्यों में दलित वोटर अधिक संख्या में हैं. आप अपने इस कदम से दलित वोटों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर सकती है. 

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साल 1952 से अबतक दिल्ली में सात मुख्यमंत्री बन चुके हैं. लेकिन इनमें से कोई भी दलित नहीं रहा है. लोकसभा चुनाव में आप ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले कुलदीप कुमार को पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था.पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट एक सामान्य सीट है. लेकिन वह जीत नहीं पाए थे. कुलदीप कुमार अरविंद केजरीवाल के काफी करीबी नेताओं में शामिल हैं. 

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सुनीता केजरीवाल 

दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के रूप में जिस व्यक्ति का नाम सबसे आगे है, वह हैं अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल.वो भी अरविंद की ही तरह भारतीय राजस्व सेवा की पूर्व अधिकारी हैं. उन्होंने 2016 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से वो राजनीति में सक्रिय होने लगीं. लोकसभा चुनाव में उन्होंने दिल्ली में कई रोड शो और रैलियां कीं. वो हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी सक्रिय हैं.वहां उन्होंने कई रैलियों को संबोधित किया और रोड शो किए हैं.इस दौरान वो अरविंद केजरीवाल को हरियाणा बेटा और बीजेपी का सताया हुई बताने से नहीं चूकती हैं.

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अरविंद केजरीवाल को अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाने में कोई कानूनी अड़चन नहीं आएगी. सुनीता केजरीवाल अभी विधायक नहीं हैं. लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने की राह में यह बाधा नहीं आएगी. दरअसल सीएम बनने के बाद छह महीने में सदन की सदस्यता लेनी होती है. दिल्ली विधानसभा का चुनाव अगले साल फरवरी तक होना है, ऐसे में बिना विधायक बने भी सुनीता सीएम की कुर्सी पर चुनाव तक बैठ सकती हैं. सुनीता केजरीवाल के सीएम बनने की राह में बाधा है, परिवारवाद का आरोप. शराब नीति के आरोपों को झेल रहे अरविंद केजरीवाल परिवारवाद का आरोप शायद ही सामना करना चाहें. आप और मनीष सिसोदिया पहले ही कह चुके हैं कि अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद सुनीता केजरीवाल का भूमिका स्वत:खत्म हो जाएगी. 

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