जीवनसाथी की मौत के बाद दोबारा की शादी तो बच्चे पर किसका हक? SC के बड़े फैसलों पर एक नजर
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बच्चे की कस्टडी पर सुप्रीम कोर्ट की राय
जीवनसाथी की मौत के बाद अगर कोई दोबारा शादी कर ले तो बच्चे पर किसका हक होगा, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि बच्चे की कस्टडी के मामले में पिता उसका स्वाभाविक अभिभावक है. नाना-नानी का दावा पिता से ज्यादा नहीं हो सकता. बच्चे की भलाई इसी में है कि वह अपने पिता के पास रहे. पिता का दूसरी शादी करना बच्चे की कस्टडी ना देने का आधार नहीं हो सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, पिता ही है बच्चे का प्राकृतिक अभिभावक, दूसरी शादी से कम नहीं होता अधिकार
वैसे भारत में बच्चे की कस्टडी के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम फैसले सुनाए हैं.
- 6 सितंबर, 2024 को SC ने कहा कि अदालतें बच्चे को चल संपत्ति नहीं मान सकती.
- उन पर पड़ने वाले मानसिक प्रभाव पर विचार किए बिना बच्चे की कस्टडी ट्रांसफर नहीं कर सकती.
- मई 2024 को SC ने बच्चे के हित में उसकी कस्टडी पिता के बजाय नानी को सौंप दी. कोर्ट ने कहा कि छोटे बच्चे को नानी-नाना से वापस लिया जाना उस बच्चे को मानसिक तौर पर परेशान कर सकता है.
- बच्चे और पिता के बीच लगाव के रिश्ते को धीरे-धीरे बढ़ाया जाना चाहिए, उसके बाद बच्चे की कस्टडी पिता को सौंपने पर विचार होना चाहिए
- 1962 में गोलकनाथ फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था कि बच्चे की कस्टडी का फैसला बच्चे के सर्वोत्तम हित में लिया जाना चाहिए,फिर कई फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने इसे दोहराया
- 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चे की कस्टडी के मामलों में बच्चे को उस माता-पिता के साथ रहने की अनुमति देनी चाहिए, जो उसकी देखभाल और पालन-पोषण के लिए सबसे अच्छी स्थिति में हो.
- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने खुदकुशी करने वाले टेकी अतुल सुभाष की मां की याचिका खारिज की.उन्होंने अपने पोते की कस्टडी मांगी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बच्चे के लिए अनजान कहते हुए इस मांग को ठुकरा दिया.