देश

विश्व युद्ध 2 के बाद क्या यूरोप फिर बनेगा शक्तिशाली? समझिए दुनिया का पावर बैलेंस कैसे बदल रहा  

World Power Shift And Europe: दुनिया में पावर बैलेंस विश्व युद्ध 2 के 80 साल बाद फिर से नये समीकरण गढ़ने लगा है. अमेरिका और रूस साथ आते दिख रहे हैं तो अब तक अमेरिका के जिगरी साथी यूरोप के देश अब खुद को ताकतवर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. तात्कालिक कारण बने हैं यूक्रेन वाले जेलेंस्की. जेलेंस्की रूस के सामने झुकने को तैयारी नहीं हैं. यहां तक की अमेरिका से भी भिड़ गए हैं. यूरोप भी अमेरिका के बदले स्टैंड से खुश नहीं है. फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश उनके जरिए अपने गौरवशाली इतिहास को वापस पाना चाहते हैं. मगर, सबसे अहम है उनके लिए रूस को रोकना.  चीन और भारत इस समय शांत बैठे हुए हैं. हालांकि, चीन की यूरोप और अमेरिका दोनों से खटपट चल रही है, वहीं भारत रूस, अमेरिका और यूरोप तीनों को साधे हुए हैं. ऐसे में पूरी दुनिया इस समय नये समीकरण साध रही है. 

विश्व युद्ध 2 तक यूरोप ही दुनिया के सभी फैसले लेता था. ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, इटली जैसे देशों का दुनिया में दबदबा था. अचानक अमेरिका की एंट्री हुई और उसने जापान पर परमाणु बम दागने के बाद से वो सुपरपावर का तमगा लेकर चल रहा था. अमेरिका के पास अभी भी जर्मनी और ब्रिटेन सहित पूरे यूरोप में 30 से अधिक सैन्य अड्डे हैं, जहाँ 60,000 से अधिक सैन्यकर्मी तैनात हैं. ऐसे में बगैर अमेरिका अभी यूरोप की ताकत बहुत ज्यादा तो नहीं ही है.

Latest and Breaking News on NDTV

फिर भी व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ तीखी बहस के बाद ब्रिटेन पहुंचे ज़ेलेंस्की का ब्रिटेन में शाही स्वागत किया गया. यूक्रेनी राष्ट्रपति ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर द्वारा आयोजित एक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए लंदन में हैं. जेलेंस्की इस बातचीत पर से चाहेंगे कि रूस के साथ किसी भी शांति समझौते के लिए यूरोप और यूक्रेन सुरक्षा गारंटर के रूप में अमेरिका को किस तरह से वापस ला सकते हैं. व्हाइट हाउस विवाद के बाद से, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, स्पेन, पोलैंड और नीदरलैंड सहित कई देशों के यूरोपीय नेताओं ने यूक्रेन का समर्थन करते हुए सोशल मीडिया संदेश पोस्ट किए हैं.

यह भी पढ़ें :-  'डिजिटल अरेस्ट' में IIT बोम्बे के छात्र से 7 लाख रुपये की ठगी, मामले की जांच में जुटी पुलिस

रूस के साथ ट्रंप प्रशासन की दुबई में वन टू वन मीटिंग ने यूरोप को डरा दिया है. उन्हें डर है कि संयुक्त राज्य अमेरिका यूरोप को पूरी तरह से उनके भाग्य पर छोड़ सकता है. उन्हें चिंता है कि अगर ट्रंप प्रशासन यूक्रेन पर कमजोर शांति समझौते के लिए दबाव डालता है, तो इससे रूस का हौसला बढ़ जाएगा, जिससे मॉस्को बाकी यूरोप के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा. अमेरिका के रुख में बदलाव ने यूरोप के लिए अधिक आत्मनिर्भरता हासिल करना भी पहले से कहीं अधिक जरूरी बना दिया है.

Latest and Breaking News on NDTV

द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, तीन साल पहले युद्ध शुरू होने के बाद से अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूक्रेन की सहायता पर लगभग 114 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं, जबकि यूरोप ने 132 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं. अमेरिकी समर्थन के बिना, यदि रूस युद्धविराम समझौते को तोड़ता है, तो रूसी बलों को रोकने की संभावना काफी कम हो जाएगी. इसीलिए, शुक्रवार की घटना के बावजूद, जेलेंस्की अभी भी रूस से लड़ने के लिए वाशिंगटन से सुरक्षा गारंटी की मांग कर रहे हैं.

यूरोप को अपनी सुरक्षा की टेंशन

बदली परिस्थितियों को देखते हुए यूरोपीय देश इस सप्ताह रक्षा पर चर्चा करने के लिए बैठक कर रहे हैं. पहले ये चर्चा रविवार को लंदन में होगी, और फिर गुरुवार को ब्रुसेल्स में होगी. इसमें यूक्रेन के लिए संभावित सुरक्षा गारंटी को अधिक स्पष्ट रूप से एक्सप्लेन भी किया जाएगा. एनवाईटी की रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय संघ के देश हाल के वर्षों में अपने सैन्य खर्च में वृद्धि कर रहे हैं.हालांकि, फ्रांस और जर्मनी सहित कुछ नाटो देश अभी भी रक्षा पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का 2 प्रतिशत या अधिक खर्च करने के लक्ष्य से पीछे हैं. इसके कारण नाटो भी पूरी तरह अमेरिका के भरोसे ही है. ट्रंप के अमेरिका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह चाहता है कि यूरोप अपनी रक्षा पर अधिक खर्च करे, और यूक्रेन में शांति बनाए रखने के लिए भी खर्च करे. 

यह भी पढ़ें :-  जर्मनी में फरवरी में होंगे चुनाव, इससे पहले बिजली पर क्यों उठ गया सियासी बवंडर?

Latest and Breaking News on NDTV

हालांकि, यूरोप को वास्तव में सैन्य रूप से स्वतंत्र होने के लिए आवश्यक हथियार प्रणालियों और क्षमताओं का निर्माण करने में कई साल लगेंगे, लेकिन शुक्रवार के विवाद ने यूरोप को तेजी से मजबूत बनने के लिए मजबूर कर दिया है. कुछ यूरोपीय नेताओं को उम्मीद है कि जो देश यूक्रेन के लिए रक्षा खर्च और समर्थन बढ़ाने के लिए अनिच्छुक रहे हैं, वे भी अब अधिक खर्च करेंगे. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, “एक शक्तिशाली यूरोप, हमें इसकी पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है. जरूरत अब है.”

ये भी पढ़ें

जेलेंस्की क्या जानबूझकर ट्रंप से भिड़े? अमेरिका की सिनेटर ने जो बताया वो हैरान कर देगा 

ट्रंप और जेलेंस्की ने बहस के बाद क्या कहा? इटली, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी सहित कौन देश किसके साथ

मुझे डिक्टेट मत करो… ट्रंप और जेलेंस्की के बीच व्हाइट हाउस में ‘तू-तू, मैं-मैं’ का पूरा किस्सा पढ़िए


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button