सरकारी नौकरी में कोटे को लेकर आंदोलन : बांग्लादेश ने सभी विश्वविद्यालयों को बंद रखने का किया आग्रह
बांग्लादेश में सरकारी नौकरी को लेकर हो रही हिंसा में मंगलवार को 6 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें तीन छात्र भी शामिल है. सरकारी नौकरी को लेकर बढ़ती हुई हिंसा और प्रोटेस्ट के चलते बुधवार को सभी विश्वविद्यालयों को बंद रखने का आग्रह किया गया है. इसी के साथ पुलिस ने विपक्ष पार्टी के मेन हेडक्वाटर पर भी हिंसा भड़काने के कथित आरोप के चलते रेड की.
विश्विद्यालयों कों बंद रखने का आग्रह
जानकारी के मुताबिक ढाका यूनिवर्सिटी इस हिंसा का केंद्र है और इस वजह से ढाका यूनिवर्सिटी में सभी क्लास को रद्द कर दिया गया है और साथ ही वहां छात्रों के डोर्म को भी अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है. यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने सभी पब्लिक और प्राइवेट यूनिवर्सिटी से अन्य नोटिस जारी किए जाने तक क्लास रद्द करने का आग्रह किया है. यूनिवर्सिटी ग्रांट ने ऐसा इसलिए किया है ताकि छात्रों को सुरक्षित रखा जा सके. लेकिन इस रिक्वेस्ट में किसी तरह की लीगल फोर्स इन्वॉल्व नहीं है और इस वजह से यह नहीं कहा जा सकता है कि कितनी यूनिवर्सिटी इसका पालन करेंगी.
इन इलाकों में हो रहा है आंदोलन
वहीं छात्र आंदोलन ढाका, चट्टोग्राम और रंगपुर में हो रहा है. बीती रात को ढाका पुलिस ने विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के हेडक्वाटर पर रेड की थी और आरोप लगाया था कि इस हिंसा में उसका भी हाथ है. इस पर बीएनपी के वरिष्ठ नेता रूहुल कबीर रिजवी ने सरकार पर जानबूझ कर रेड कराने का आरोप लगाया ताकि लोगों का ध्यान आंदोलन से हटाया जा सके.
पुलिस बल किए गए हैं तैनात
बुधवार को पुलिस और बीएनपी उस वक्त आपने-सामने हो गई थी जब ढाका में मंगलवार को आंदोलन में मरने वाले 6 लोगों का अंतिमसंस्कार किया जा रहा था. सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर ढाका और अन्य यूनिवर्सिटी में आंदोलन किया जा रहा है और इस वजह से पुलिस को भी कैंपस में तैनात किया गया है. साथ ही ढाका और अन्य बड़े शहरों में सड़कों पर पार्लियामेंट फोर्स को तैनात किया गया है.
आवामी लीग ने भी विपक्ष पर लगाए आरोप
आवामी लीग पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि विपक्ष, प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ इस आंदोलन का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है.
सरकारी नौकरी में कोटे पर क्यों है विवाद
सरकारी नौकरी में कोटा, 1971 में बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में शहीद होने वाले सिपाहियों के परिजनों के लिए शुरु किया गया था. आंदोलनकर्ताओं का कहना है कि इससे प्रधानमंत्री शेख हसीना की आवामी लीग के समर्थकों को फायदा मिल रहा है. इस वजह से आंदोलनकर्ताओं की मांग है कि मेरिट के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाए. एक अदालत ने इस कोटे को 2018 में हुए आंदोलन के बाद बैन कर दिया था लेकिन बांग्लादेश की हाई कोर्ट ने जून 2024 में बैन को हटा दिया और इस वजह से एक बार फिर सरकारी नौकरी को लेकर दंगे शुरू हो गए हैं.