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अग्निपथ योजना पर लगे रोक, सेना को शुरू करनी चाहिए स्थायी नियुक्तियां : कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा


रोहतक:

कांग्रेस (Congress) ने सेना में अग्निपथ योजना (Agnipath Yojna) को पूरी तरह से खत्म कर पुरानी भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग दोहराई है. कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और लोकसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अग्निपथ योजना में बदलाव के सुझावों को खारिज करती है. कांग्रेस मांग करती है कि केंद्र सरकार इस योजना को पूरी तरह से वापस ले.

नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा (Deepender Singh Hooda) ने कहा, “पिछले 3-4 दिनों से तमाम अखबारों और खबरों में ये आ रहा है कि सेनाओं का आंतरिक सर्वे किया गया है, जिसमें अग्निवीर योजना को लेकर हमारे देश की सेनाएं बहुत सी खामियों का सामना कर रही हैं. इन खामियों को किस तरह से ठीक किया जाए. इन सभी अटकलों को लेकर सर्वे को अखबारों ने प्रकाशित की है.”

उन्होंने कहा, “कुछ बातें निकलकर आई हैं कि अग्निपथ योजना की जो खामियां हैं उन्हें कैसे दूर किया जाए…उदाहरण के तौर पर कार्यकाल को 4 से बढ़ाकर 7 साल किया जाएगा. या 25 फीसदी अग्निवीरों की जगह 60 से 70 फीसदी अग्निवीरों को नौकरी पर रखा जाएग. या ट्रेनिंग का वक्त 24 हफ्ते से बढ़ाकर 37 से 42 हफ्ते तक किया जाएगा.”

अग्निपथ न देश के हित में और न फौज के
दीपेंद्र हुड्डा ने ये भी कहा, “कांग्रेस पहले दिन से कहती आ रही है कि अग्निपथ योजना न तो देश के हित में है और न ही फौज के हित में है. न ही देश की सुरक्षा के हित में है. कांग्रेस की पहले दिन से मांग रही है कि ये योजना रोकी जाए और फौज की पक्की भर्ती शुरू की जाए.”

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जनमानस ने योजना को किया खारिज
कांग्रेस सांसद ने कहा, “चुनाव के नतीजे भी यह दर्शाते हैं कि देश के जनमानस ने इस योजना को खारिज कर दिया है. यह योजना देश की सेना के लिए बड़ी घातक साबित हुई है. सेना की आंतरिक रिपोर्ट में सामने आया है कि अग्निपथ योजना से सेना के मनोबल, आपसी भाईचारे और एक-दूसरे के लिए मर-मिटने की भावना में गिरावट आई है. अग्निवीरों को मिलने वाले प्रशिक्षण का समय पर्याप्त नहीं है. अग्निवीर से सेना भर्ती में कमी आई है, जिससे 2035 तक सेना में भारी शॉर्टफॉल देखने को मिलेगा.”

2022 में शुरू हुई थी अग्निपथ योजना
सरकार ने 2022 में अग्निपथ योजना लॉन्च की. इसके तहत थल सेना, नौसेना और वायुसेना में 4 साल के लिए नौजवानों को कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती किया जाता है. इन्हें अग्निवीर कहा जाएगा. 4 साल में छह महीने की ट्रेनिंग भी शामिल है. 4  साल बाद जवानों को उनकी कार्यक्षमता के आधार पर रेटिंग दी जाएगी. इसी मेरिट के आधार पर 25% अग्निवीरों को परमानेंट सर्विस में लिया जाएगा. बाकी लोग वापस सिविल दुनिया में आ जाएंगे. 

अग्निवीर के लिए क्या है योग्यता
अग्निवीर बनने के लिए 17.5 साल से 21 साल का होना जरूरी है. साथ ही कम से कम 10वीं पास होना जरूरी है. 10वीं पास भर्ती होने वाले अग्निवीरों को 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद 12वीं के समकक्ष सर्टिफिकेट दिया जाएगा. वर्तमान में मेडिकल को छोड़कर हर कैडर में इस योजना के तहत भर्ती की जा रही है. अग्निवीरों की सेवा कभी भी समाप्त की जा सकती है. हालांकि, ये खुद से चार साल के पहले सेवा नहीं छोड़ सकते. लेकिन कुछ खास मामलों में सक्षम अधिकारी की अनुमति से ऐसा संभव है.
 

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