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सपा के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन के घर पर हमला, अखिलेश ने की निंदा

उत्तर प्रदेश के आगरा में दक्षिणपंथी संगठन से जुड़े लोगों ने राणा सांगा के बारे में विवादित बयान देने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन के घर पर बुधवार को हमला किया. पुलिस के मुताबिक मामले में कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. अधिकारियों ने दावा किया कि पुलिस ने शहर में कई स्थानों पर हमलावरों को रोकने की कोशिश की और उनके प्रयासों से एक बड़ी घटना को टालने में मदद मिली.

यह घटना उस समय हुई जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा में मौजूद थे. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना की निंदा करते हुए मामले में आदित्यनाथ और उनकी सरकार पर निशाना साधा. करणी सेना के अध्यक्ष सूरज पाल सिंह अमू ने राणा सांगा पर विवादित टिप्पणी करने वाले सपा के राज्यसभा सदस्य और उनकी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से माफी की मांग की. अमू ने यह भी स्वीकार किया कि उनके कार्यकर्ताओं को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए था.

रामजी लाल सुमन के बेटे रणजीत ने आरोप लगाया कि करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हरिपर्वत चौराहे के पास स्थित उनके घर में घुसकर खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए. उन्होंने कहा कि लाठी-डंडे और तलवार लिए हमलावरों ने परिसर में खड़ी कारों में भी तोड़फोड़ की.

इस घटना के एक वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी उत्पात मचा रही भीड़ से भिड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. रणजीत ने कहा, ‘‘सोशल मीडिया पर कई दिनों से मेरे पिता के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है. दो दिन से यह धमकी दी जा रही थी कि आवास का घेराव किया जाएगा.”

रणजीत ने आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासन को इसकी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि धमकी देने वालों को संरक्षण दिया. हमले के कई घंटे के बाद सहायक पुलिस आयुक्त संजीव त्यागी ने इस घटना के बारे में संवाददाताओं को बताया कि कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने शहर में कई स्थानों पर हमलावरों को रोकने की कोशिश की और उनके प्रयासों से एक बड़ी घटना को टालने में मदद मिली.

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उन्होंने कहा, ‘भीड़ सपा सांसद के एक बयान से नाराज थी. करणी सेना के बैनर तले लोग सांसद के घर पहुंचे थे, पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कई जगहों पर अवरोधक लगाए थे और उन्हें अलग-अलग जगहों पर रोका गया. कुछ को हिरासत में भी लिया गया.’

त्यागी ने कहा, ‘सांसद के आवास पर पुलिस की टीम तैनात थी जहां कुछ लोग अपनी पहचान छिपाकर पहुंचे और माननीय सांसद के घर पर पत्थर फेंके और तोड़फोड़ की. पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए हल्का बल प्रयोग किया, उन्हें हिरासत में लिया और वापस भेज दिया. आगे की कानूनी कार्यवाही चल रही है.’

हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या के बारे में अधिकारी ने कहा कि उनकी गिनती अभी नहीं हुई है क्योंकि हिरासत में लिए गए लोगों को अलग-अलग जगहों पर रखा गया है. उन्होंने दावा किया, ‘पुलिस ने उन्हें कई जगहों पर रोकने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी पहचान छिपाकर अलग-अलग रास्तों से सांसद के घर तक पहुंच गए. पुलिस के प्रयासों की वजह से ही एक बड़ी घटना टल गई.’

हाल में सुमन का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि राणा सांगा ‘गद्दार’ थे, जिन्होंने बाबर को इब्राहिम लोदी को हराने के लिए आमंत्रित किया था. राणा सांगा 1508 से 1528 तक मेवाड़ के शासक थे.

सुमन की टिप्पणी का जिक्र करते हुए करणी सेना प्रमुख अमू ने मांग की कि राज्यसभा सदस्य और उनकी पार्टी के प्रमुख को माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने दावा किया कि सुमन की टिप्पणी से मुगलों को हराने वाले नायक का अपमान हुआ है.

सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो में अमू ने कहा, ‘करणी सेना के कार्यकर्ताओं को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए, अपना विरोध लोकतांत्रिक रखना चाहिए और पुलिस और प्रशासन का सहयोग करना चाहिए. जहां तक सांसद के घर को हुए नुकसान का सवाल है, हम उन्हें नयी कुर्सियां ​​मुहैया कराएंगे और क्षतिग्रस्त कारों के विंडशील्ड बदलवाएंगे.”

उन्होंने कहा, ‘‘अखिलेश यादव और रामजी लाल सुमन को तुरंत माफी मांगनी चाहिए. हम शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जारी रखेंगे. अगर सांसदों को बोलने की आजादी है तो हमें भी इसका अधिकार है.”

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राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सक्रिय करणी सेना फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर उत्पन्न विवाद और राजपूत समुदाय के लिए जाति-आधारित आरक्षण की मांग के दौरान हिंसक विरोध प्रदर्शनों में शामिल रही है.

इस बीच, उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव ने राणा सांगा पर टिप्पणी करने के लिए सपा राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन से इस्तीफे की मांग की है.

अपर्णा यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘उन्होंने (सुमन) राणा सांगा पर जो कुछ भी कहा, उसमें ऐतिहासिक साक्ष्यों का अभाव है. यह खुद को चर्चा में बनाए रखने का प्रयास अधिक प्रतीत होता है. उन्हें या तो माफी मांगनी चाहिए या यह दावा करने के लिए इस्तीफा दे देना चाहिए कि राणा सांगा ने बाबर को यहां आने और भारत पर शासन करने के लिए आमंत्रित किया था.’

अपर्णा सपा संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की बहू हैं. उन्होंने कहा, ‘सपा सांसद के दावे का समर्थन करने के लिए कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है. मुझे लगता है कि उन्हें और पूरे विपक्ष को भारत के इतिहास के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहिए जो ऐसे कई राजाओं की कहानियों से भरा है जिन्होंने अपनी भूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और भारत की संप्रभुता की रक्षा की.’

वहीं, सांसद के आवास पर हमले को लेकर सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और उनकी सरकार पर निशाना साधा है. अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आगरा में मुख्यमंत्री की मौजूदगी के बावजूद, पीडीए (पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक वर्ग) के एक सांसद के घर पर कुछ लोगों द्वारा तोड़फोड़ की हिंसक वारदात जब रोकी नहीं जा सकती है, तो फिर ‘जीरो टॉलरेंस’ तो ज़ीरो होना ही है.”

आदित्यनाथ को ‘आउटगोइंग सीएम’ बताते हुए सपा प्रमुख ने पोस्ट में कहा, ‘क्या मुख्यमंत्री जी का प्रभाव दिन पर दिन घट रहा है या फिर ‘आउटगोइंग सीएम’ की अब कोई सुन नहीं रहा है? अगर वह अभी भी मुख्यमंत्री हैं तो तुंरत कार्रवाई करें और दोषियों को एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से पहचानकर दंडित करें, नहीं तो मान लिया जाएगा कि पीडीए सांसद के खिलाफ़ ये सब उनकी अनुमति से हुआ है. निंदनीय!”

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यादव ने इससे पहले एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘सपा सामाजिक न्याय और समतामूलक समाज की स्थापना में विश्वास करती है. हम कमज़ोर से कमज़ोर हर एक व्यक्ति को भी सम्मान दिलाना चाहते हैं. हमारा उद्देश्य किसी इतिहास पुरुष का अपमान करना नहीं हो सकता. सपा मेवाड़ के राजा राणा सांगा की वीरता और राष्ट्रभक्ति पर कोई सवाल नहीं कर रही.”

उन्होंने सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘भाजपा ने इतिहास के कुछ विषयों को सदैव राजनीतिक लाभ उठाने के लिए और देश को धार्मिक-जातिगत आधार पर विभाजित करने के लिए इस्तेमाल किया है. हमारे सांसद ने सिर्फ एक पक्षीय लिखे गये इतिहास और एक पक्षीय की गई व्याख्या का उदाहरण देने की कोशिश की है.”

उन्होंने कहा, ‘हमारा कोई भी प्रयास राजपूत समाज या किसी अन्य समाज का अपमान करना नहीं है. आज के समय में बीते कल की, मतलब ‘इतिहास’ की घटनाओं की व्याख्या नहीं की जा सकती. राज काज के निर्णय अपने समय की परिस्थितियों की मांग के हिसाब से लिए जाते थे.”

सपा प्रमुख ने पोस्ट में कहा, ‘‘इतिहास की घटनाओं के आधार पर आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं चल सकती. भाजपा सरकार को अपनी भेदभाव वाली आदत को सुधार कर जनता के रोज़ी-रोज़गार, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर कुछ ध्यान देना चाहिए. भाजपा दरारवादी पार्टी है.”


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