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अखिलेश-डिंपल संसद में मिलकर करेंगे सरकार पर 'डबल अटैक'! जानें लोकसभा में कब-कब बनी पति-पत्नी वाली जोड़ी

धर्मेंद्र और हेमा मालिनी भी एक वक्त में एक साथ संसद में रहे
वहीं अभिनेता धर्मेंद्र और अभिनेत्री हेमा मालिनी भी एक वक्त में एक साथ संसद में रहे हैं. हालांकि दोनों अलग-अलग सदन में थे. धर्मेंद्र जहां बीकानेर से चुनाव जीतकर 2004 से 2009 तक लोकसभा में थे, तो वहीं 2003 से 2009 तक हेमा मालिनी राज्यसभा की सदस्य थीं.

अखिलेश के नेतृत्व में यूपी में सपा की चमत्कारिक वापसी ने राजनीतिक पंडितों को भी हैरान कर दिया. पीएम मोदी की लोकप्रियता और बीजेपी द्वारा राम मंदिर निर्माण का श्रेय लेने के बावजूद सपा का शानदार चुनावी प्रदर्शन जमीनी स्तर पर अखिलेश की लोकप्रियता और उनकी राजनीतिक सूझबूझ को दर्शाता है.

समाजवादी पार्टी की स्थापना के बाद लोकसभा चुनावों में ये अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश ने न केवल अपनी पारिवारिक एकता कायम की, बल्कि 2019 में बसपा से गठबंधन के बावजूद सिर्फ पांच सीटें जीतने वाली सपा ने अकेले (यादव) परिवार में ही पांच सीटें हासिल कर ली हैं।

चुनाव से पहले अखिलेश ने चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ तालमेल बिठाया और उन्होंने पार्टी को अपने पारंपरिक मतदाताओं तक पहुंचने में मदद की, जिनमें से अधिकांश यादव जाति से हैं और राज्य के पूर्वी और मध्य भागों में फैले हुए हैं.

यूपी में शानदार प्रदर्शन कर 80 में से 37 सीट जीतने वाले सपा अध्यक्ष अभी से बीजेपी और एनडीए पर हमलावर हैं. उन्होंने कहा कि एनडीए ने भले ही सरकार बना ली है. लेकिन, इसके बावजूद भी उनके चेहरों पर खुशी नहीं दिखाई दे रही है. जिन्होंने शपथ ली, वो भी खुश नहीं हैं. सरकार बनाने वाले भी खुश नजर नहीं आ रहे. वहीं जनता में भी खुशी का एहसास नहीं है.
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लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने कहा, “जब सपा देश में तीसरे नंबर पर पहुंची है, तो हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ी है. सदन चलेगा तो वहां जनता और संविधान के सवालों को रखा जाएगा.”

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बड़ी जीत और बढ़े मनोबल के साथ अखिलेश अभी से हुंकार भरने लगे हैं. उन्होंने कहा, “ये बीजेपी की मनमर्जी के खिलाफ जनता की मर्जी की जीत हुई है. समाजवादी पार्टी का पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) वास्तविक एजेंडा है, जिसमें सामाजिक न्याय की अवधारणा है. ये एक पड़ाव है, पार्टी की लड़ाई लंबी है. अब हमें 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी करनी है.”


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