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कन्नौज में अखिलेश यादव को BJP के सुब्रत पाठक से मिल रही है कड़ी टक्कर, क्या BSP उम्मीदवार बना पाएंगे तीसरा कोण?

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की कन्नौज सीट पर इस बार दिलचस्प चुनावी लड़ाई है. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चौथी बार यहां से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और उनके चुनाव में उतरने से कन्नौज सीट हाई प्रोफाइल हो गई है. उन्हें चुनौती दे रहे हैं बीजेपी के सांसद और दूसरी बार उम्मीदवार बने सुब्रत पाठक जिन्होंने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को 2019 में 12000 वोट से चुनाव हराया था. बसपा के अकेले चुनाव लड़ने से इस बार कन्नौज में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है और मुस्लिम और दलित वोटो के बंटने की आंशका है. 

मुलायम सिंह यादव परिवार का गढ़ माने जाने वाले कन्नौज सीट पर इस बार कांटे की टक्कर है. इस सीट पर बीजेपी के मौजूदा सांसद और उम्मीदवार सुब्रत पाठक को चुनौती देने सीधे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव मैदान में है.इस सीट पर पिछले 6 लोकसभा चुनाव में पांच बार अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव ने चुनाव जीता है.

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कन्नौज की जनता का मिलेगा समर्थन: अखिलेश यादव

The Hindkeshariको दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने कन्नौज में ही राजनीति की ABCD सीखी. अखिलेश ने दावा  कि उनके सांसद रहते यहां विकास की कई योजनाएं लागू की गई और उन्हें इस बार फिर जनता का समर्थन मिलेगा.  2024 के चुनाव 2019 के चुनाव से कैसे अलग है के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि मैं इंडिया गठबंधन इसलिए बनाया कि देश में जनता बदलाव चाहती है. मैंने बसपा के साथ गठबंधन किया जिससे कि बहुजन समाज हमारे साथ आए. आज उससे भी बड़ी लड़ाई है. संविधान को खतरा है संविधान जो हमें अधिकार देता है. BJP आज संविधान को बदलना चाहती है.अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी 400 सीट चाहती है जिससे कि वह संविधान को बदल सके.  

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कन्नौज सीट पर इस बार राजनीतिक समीकरण बदले हैं. 2019 में समाजवादी पार्टी उम्मीदवार और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने बसपा के साथ चुनाव लड़ा था और करीब 12000 वोटो से चुनाव हार गई थी. इस बार बसपा अलग चुनाव लड़ रही है और सपा कांग्रेस के साथ है.

बीजेपी नेता सुब्रत पाठक ने क्या कहा? 

बीजेपी नेता सुब्रत पाठक ने कहा कि नाम बड़े और दर्शन छोटे! उनके पिताजी बड़े आदमी थे. इसमें मेरा क्या कसूर की मेरे पिताजी मुलायम सिंह यादव नहीं बल्कि कन्नौज के एक साधारण व्यक्ति थे. पिछली बार सपा और बसपा के साथ आने से सपा का सवा लाख वोट बढ़ गया था. इस बार सपा और कांग्रेस के साथ आने से सपा का कन्नौज में 50,000 वोट घट गया है.

कन्नौज सीट का क्या है समीकरण? 

कन्नौज सीट पर करीब 3 से 3.25 लाख दलित वोटर हैं जबकि 2.75 लाख मुस्लिम मतदाता है. बसपा ने इस बार एक मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है. इमरान बिन जफ़र बीएसपी की तरफ से मैदान में हैं. बसपा द्वारा मुस्लिम उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारने से मुस्लिम वोट कुछ बाटेंगे, साथ ही दलित वोट भी बटेगा. इस बार चुनाव में अखिलेश यादव की साख दांव पर है.देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस बार कन्नौज की जनता का समर्थन किसे मिलता है. 

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