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राज्यसभा के लिए सभी 12 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित, बहुमत के आंकड़े तक पहुंचा NDA


नई दिल्ली:

राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा के नौ और सहयोगी दलों के दो सदस्यों के निर्विरोध होने के बाद सत्तारूढ़ एनडीए सदन में बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गया. नौ और सदस्यों के जुड़ने के साथ राज्यसभा में भाजपा की ताकत 96 तक पहुंच गई है वहीं एनडीए 112 पर पहुंच गया है. निर्विरोध निर्वाचित होने वाले दो अन्य लोगों में एनडीए के सहयोगी एनसीपी अजित पवार गुट के नितिन पाटिल और राष्ट्रीय लोक मंच से उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं.

सत्तारूढ़ गठबंधन को छह नामांकित और एक निर्दलीय सदस्य का भी समर्थन हासिल है.

वहीं कांग्रेस का भी एक सदस्य निर्वाचित हुआ है, जिससे राज्यसभा में विपक्ष की संख्या 85 हो गई.

राज्यसभा में 245 सीटें हैं, हालांकि वर्तमान में आठ सीटें खाली हैं. चार जम्मू-कश्मीर से और चार मनोनीत. सदन की मौजूदा सदस्य संख्या 237 के साथ बहुमत का आंकड़ा 119 है.

निर्विरोध चुने गए भाजपा उम्मीदवारों में असम से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली, बिहार से मनन कुमार मिश्रा, हरियाणा से किरण चौधरी, मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन, महाराष्ट्र से धिर्य शील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता, त्रिपुरा से भट्टाचार्जी और राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू और राजीव शामिल हैं.

तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध चुने गए हैं. वहीं राकांपा अजित पवार गुट के नितिन पाटिल महाराष्ट्र से निर्वाचित हुए और आरएलएम के उपेंद्र कुशवाह बिहार से उच्च सदन में पहुंचे हैं.

एनडीए पिछले एक दशक से राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा हासिल करने की कोशिश कर रहा है. इससे उसके लिए विधेयकों को पारित कराना और आसान हो जाएगा.

पिछले कुछ सालों में, विपक्ष की बड़ी संख्या अक्सर विवादास्पद सरकारी विधेयकों को उच्च सदन में रोके रखती थी. उनमें से कुछ को नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और वाईएस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस जैसे गुटनिरपेक्ष दलों की मदद से पारित किया जा सका है.

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लेकिन अब, दोनों पार्टियां अपने-अपने राज्यों में सत्ता खो चुकी हैं, एक भाजपा के हाथों और एक उसके सहयोगी चंद्रबाबू नायडू के हाथों. इसीलिए उनके समर्थन को लेकर अब भरोसा नहीं किया जा सकता है.

बहुमत का आंकड़ा छूने के बाद अब बीजेपी को महत्वपूर्ण बिल पारित कराने के लिए बीजेडी, वायएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना होगा.

उधर, कांग्रेस की राज्य सभा में नेता विपक्ष की कुर्सी भी सुरक्षित रहेगी. राज्य सभा में कांग्रेस की संख्या एक बढ़कर 27 हो गई है, जो नेता विपक्ष की कुर्सी के लिए जरूरी 25 सीटों से दो अधिक है.



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