काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला रखा सुरक्षित
खास बातें
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय में आज हुई सुनवाई
- न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने संबद्ध पक्षों की दलील सुनीं
- दलीलें सुनने के बाद निर्णय रखा गया सुरक्षित
प्रयागराज:
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर वाराणसी की अदालत में दायर वाद की पोषणीयता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया. न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया.
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वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 1991 में वाराणसी की अदालत में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती दी थी. इस वाद में उस स्थान पर प्राचीन मंदिर बहाल करने की मांग की गई है जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है. वाद में दलील दी गई है कि वह मस्जिद, उस मंदिर का हिस्सा है.
इससे पूर्व, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने 28 अगस्त, 2023 को इस मामले को न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया से अपने पास यह कहते हुए मंगा लिया था कि रोस्टर के मुताबिक, इस मामले पर सुनवाई उनके (प्रकाश पाडिया के) न्यायिक क्षेत्र में नहीं था, उन्होंने दो वर्षों से अधिक समय तक इस पर सुनवाई की थी.
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि एकल न्यायाधीश से इस मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश की अदालत में भेजने का निर्णय न्यायिक संपत्ति, न्यायिक अनुशासन और पारदर्शिता के हित में प्रशासनिक स्तर पर लिया गया था.
मुख्य न्यायाधीश दिवाकर 22 नवंबर, 2023 को सेवानिवृत्त हो गए थे और उनकी सेवानिवृत्ति के बाद इस मामले को न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.
अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के वकील एसएफए नकवी के मुताबिक, इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद का एक समग्र सर्वेक्षण करने का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दिए गए निर्देश को भी चुनौती दी गई है. यह निर्देश वाराणसी की एक अदालत ने आठ अप्रैल, 2021 को दिया था.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)