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आंबेडकर विवाद : TMC ने गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ दिया विशेषाधिकार हनन का नोटिस, PM मोदी का पलटवार


नई दिल्ली :

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की बाबा साहब आंबेडकर को लेकर मंगलवार को राज्‍यसभा में की गई टिप्‍पणी पर भारी विवाद के बीच तृणमूल कांग्रेस ने उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस (Privilege Notice) दिया है. साथ ही उनके खिलाफ संविधान के निर्माता की विरासत और संसद की गरिमा को कमजोर करने का आरोप लगाया है. राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने नियम 187 के तहत यह नोटिस दिया है. विशेषाधिकार हनन का नोटिस ऐसे वक्‍त में आया है जब विपक्ष गृह मंत्री पर अपने भाषण के दौरान राज्‍यसभा में दलित शख्सियत का अपमान करने का आरोप लगाया है. 

‘इतनी बार भगवान का नाम लेते तो…’ 

संविधान के 75 साल पूरे होने के अवसर पर संविधान पर आयोजित चर्चा के दौरान अपने संबोधन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक दिन पहले कहा था कि बाबा साहेब आंबेडकर का नाम लेना विपक्षी नेताओं के लिए अब एक फैशन बन गया है. उन्होंने कहा, “आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर कहना एक फैशन बन गया है. अगर वे इतनी बार भगवान का नाम लेते तो उन्हें स्वर्ग में जगह मिल जाती.” उन्‍होंने कहा, “उनका नाम 100 बार और लीजिए लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि उसके बारे में आपकी भावनाएं क्या हैं.” इसके साथ ही शाह ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार से असहमति के चलते आंबेडकर को पहले मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था. 

केंद्रीय गृह मंत्री की इस टिप्‍पणी से बड़ा विवाद खड़ा हो गया. कांग्रेस के साथ अन्‍य विपक्षी दलों के नेताओं ने शाह पर दलित शख्सियत का अपमान करने का आरोप लगाया. आज संसद की बैठक शुरू होने पर विपक्षी दलों के सांसदों ने बीआर आंबेडकर की तस्वीरों के साथ विरोध-प्रदर्शन किया. वहीं भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर एक शॉर्ट वीडियो क्लिप सर्कलेट करने का आरोप लगाया, जिसमें शाह की टिप्पणी नहीं दिखाई गई कि कैसे कांग्रेस ने बीआर आंबेडकर को दरकिनार कर दिया. इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने सत्तारूढ़ दल पर हमला तेज कर दिया और गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग की. 

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विपक्ष की सरकार को घेरने की कोशिश और शाह के इस्‍तीफे और माफी की मांग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में भाजपा नेताओं ने जवाबी हमले शुरू कर दिए. 

पीएम मोदी का जवाबी हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”कांग्रेस और उसका सड़ चुका इकोसिस्टम सोचता है कि उनके दुर्भावनापूर्ण झूठ कई सालों के कुकर्मों, विशेषकर डॉ. आंबेडकर के प्रति अपमान को छुपाया जा सकता है, तो वे गलत सोच रहे हैं! देश के लोगों ने बार-बार देखा है कि कैसे एक वंश के नेतृत्व वाली पार्टी ने डॉ. आंबेडकर की विरासत को मिटाने और एससी/एसटी समुदायों को अपमानित करने के लिए हरसंभव गंदी चाल चली है.”

  • पीएम मोदी ने आंबेडकर को लेकर लिखा, ” उन्हें (अंबेडकर) एक बार नहीं, बल्कि दो बार चुनाव में हराया. पंडित नेहरू ने उनके खिलाफ प्रचार किया और उनकी हार को प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाया. उन्हें भारत रत्न देने से इनकार किया. संसद के सेंट्रल हॉल में उनके गौरव को स्थान नहीं दिया.”
  • उन्होंने आगे कहा, ”कांग्रेस चाहे जितनी कोशिश कर ले. लेकिन, वह इस बात से इनकार नहीं कर सकती कि एससी/एसटी समुदायों के खिलाफ सबसे भयानक नरसंहार उनके शासन में हुए. वर्षों तक वह सत्ता में रहे, लेकिन, एससी-एसटी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए कोई काम नहीं किया.”
  • पीएम मोदी ने गृह मंत्री का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ”संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने डॉ. आंबेडकर का अपमान करने और एससी/एसटी समुदायों की अनदेखी करने के कांग्रेस के काले इतिहास को उजागर किया. उनके द्वारा प्रस्तुत तथ्यों से वे साफ तौर पर स्तब्ध हैं, यही कारण है कि अब नाटकबाजी में लिप्त हैं! दुख की बात है कि लोग सच्चाई जानते हैं.”
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ममता ने की गृह मंत्री की आलोचना

इससे पहले, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने गृह मंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि “मुखौटा गिर गया है.” उन्‍होंने कहा, “जैसा कि संसद संविधान के 75 गौरवशाली वर्षों पर विचार कर रही है, गृह मंत्री @AmitShah ने इस अवसर को डॉ. बाबा साहब आंबेडकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों के साथ कलंकित करने के लिए चुना, वह भी लोकतंत्र के मंदिर में. यह भाजपा की जातिवादी और दलित विरोधी मानसिकता का प्रदर्शन है. यदि 240 सीटों पर सिमटने के बाद उनका व्यवहार इस तरह का है, तो कल्पना कीजिए कि उनका 400 सीटों का सपना पूरा होता तो कितना नुकसान होता. डॉ. आंबेडकर के योगदान को पूरी तरह से मिटाने के लिए इतिहास को फिर से लिखा गया.”  

उन्‍होंने कहा, “गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी मार्गदर्शन और प्रेरणा के लिए बाबा साहब की ओर देखने वाले लाखों लोगों का अपमान है, लेकिन आप उस पार्टी से और क्या उम्मीद कर सकते हैं जिसने नफरत और कट्टरता को अपने अंदर समाहित कर लिया है? डॉ बाबा साहब आंबेडकर संविधान के जनक हैं, यह अपमानजनक है टिप्पणी न केवल उन पर बल्कि संविधान की मसौदा समिति के सभी सदस्यों पर सीधा प्रहार है, जो सभी जातियों, पंथों, नस्लों और धर्मों के सदस्यों के साथ भारत की विविधता में एकता का प्रतीक है.” 

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