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अमेरिका ने चीन को कसना शुरू किया, विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ड्रैगन को दी चेतावनी


वॉशिंगटन:

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका की सत्ता संभालते ही उनके सभी सहयोगी भी पूरी तरह से एक्शन मोड में हैं. ट्रंप ने अपनी विदेश नीति को और मजबूत करने के लिए मार्को रुबियो को चुना है. क्‍वाड विदेश मंत्रियों की पहली बैठक (QUAD Summit) में अमेरिका के विदेश मंत्री के सख्त तेवर देखने को मिले, या ये कहना भी गलत नहीं होगा कि ट्रंप ने अमेरिका की कुर्सी पर काबिज होते ही चीन को कसना (US Warns China) शुरू कर दिया है. उनके विदेश मंत्री रुबियो ने ड्रैगन को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि कोई भी एकतरफा कार्रवाई, जिससे बलपूर्वक या जबरदस्ती यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया जाता है, अमेरिका उसके पूरी तरह से विरोध में हैं.

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क्‍वाड देशों एक संयुक्‍त बयान में कहा, “हम चारों देशों का यह दृढ़ विश्वास है कि समुद्री क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों में अंतरराष्‍ट्रीय कानून, आर्थिक अवसर, शांति, स्थिरता और सुरक्षा, भारत-प्रशांत के लोगों के विकास और समृद्धि को दर्शाता है. हम किसी भी एकतरफा कार्रवाई का भी दृढ़ता से विरोध करते हैं जो बलपूर्वक या जबरदस्ती यथास्थिति को बदलने का प्रयास करती है.”

अमेरिका की चीन को सख्त चेतावनी

बता दें कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो मंगलवार को अपने कामकाज के पहले दिन क्वाड देशों की पहली बैठक में शामिल हुए. इस बैठक में अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया शामिल रहे. उन्होंने इन सभी देशों के साथ मिलकर एशिया में बलपूर्वक कार्रवाई के खिलाफ चीन को सख्त चेतावनी दे डाली. उन्होंने साफ किया कि समुद्री क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने की कोशिश वाली चीन की कोई भी एकतरफा कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

(क्वाड देशों की बैठक)

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चीनी आक्रामकता के खिलाफ़ कोडवर्ड

अमेरिकी विदेश मंत्री ने वॉशिंगटन में हुई बैठक में क्वाड देशों के सहयोगियों के साथ चीन के खिलाफ़ जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई. बता दें कि रुबियो और उनके समकक्षों ने एक संयुक्त बयान जारी कर स्वतंत्र और ओपन इंडो-पैसिफिक” की दिशा में काम करने का वादा किया. इस दौरान उन्होंने चीनी आक्रामकता के खिलाफ़ एक कोडवर्ड का इस्तेमाल किया. इस कोडवर्ड का इस्तेमाल बाइडेन प्रशासन भी करता रहा है. 

क्वाड के सभी सहयोगियों ने दोहराया कि वे एक ऐसे क्षेत्र का समर्थन करते हैं “जहां कानून के शासन, लोकतांत्रिक मूल्य, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखा जाता है और उसकी रक्षा की जाती है” क्‍वाड के विदेश मंत्रियों ने इस साल अंत में क्‍वाड लीडरशिप समिट के भारत में आयोजन की पुष्टि की. 

क्‍वाड के काम में तेजी लाने का संकल्‍प 

भारत और अमेरिका दोनों ही देश चीन के खिलाफ मुखर रहे हैं.  ट्रंप के भारत के साथ कैसे रिश्ते हैं, इसे इस बात से ही समझा जा सकता है कि अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मज़बूत रिश्ता देखने को मिला था. पीएम मोदी जब अमेरिका आए तो ट्रंप ने उनका भव्य स्वागत किया और जब ट्रंप भारत आए तो वहां भी दोनों के रिश्ते में गर्मजोशी देखी गई थी. 
 

(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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