Jannah Theme License is not validated, Go to the theme options page to validate the license, You need a single license for each domain name.
दुनिया

अमेरिका ने AI चिप पर सख्त किए नियम, तो क्यों तिलमिला गया चीन, समझिए


नई दिल्ली:

अमेरिका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एडवांस कंप्यूटिंग चिप यानी AI चिप के निर्यात को लेकर नए नियमों का ऐलान किया है. इसका मकसद सहयोगी देशों को AI चिप के निर्यात में रियायत देना और चीन-रूस जैसे देशों पर इसकी पहुंच को कंट्रोल करना है. अपने कार्यकाल की समाप्ति के एक हफ्ते पहले राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके प्रशासन के इस कदम को टेक्नोलॉजी के बारे में राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को खत्म करने की एक बड़ी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. अमेरिकी सरकार के इस फैसले के मुताबिक, दक्षिण कोरिया समेत 20 प्रमुख अमेरिकी सहयोगियों और भागीदारों पर कोई चिप के निर्यात पर कोई बैन लागू नहीं होगा. दूसरी ओर, रूस और चीन जैसे देशों के लिए नए नियमों से उनकी कम्प्यूटेशनल ताकत की सीमा निर्धारित कर दी गई है. अमेरिका के इस कदम से चीन तिलमिला गया है.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी यानी व्यापार मंत्री जीना रायमोंडो ने कहा, “AI में अभी अमेरिका दुनिया को लीड कर रहा है. यह पॉलिसी दुनियाभर में एक विश्वसनीय टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम बनाने में मदद करेगी. ये हमें AI से जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों से बचाने की अनुमति देगी. साथ ही यह सुनिश्चित करेगी कि कंट्रोल इनोवेशन और अमेरिकी टेक्नोलॉजी के नेतृत्व पर बाधा न आए.” 

अमेरिका के नए नियमों का फायदा UVEU दर्जे वाले देशों, संस्थाओं को भी मिलेगा. लेकिन, नए नियम ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) के रूप में जाने जाने वाले चिप्स के निर्यात को प्रतिबंधित करता है. ये मूल रूप से ग्राफिक्स रेंडरिंग में तेजी लाने के लिए बनाए गए स्पेशलाइज्ड प्रोसेसर हैं.

अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जेक सुलिवन ने कहा, “नए प्रतिबंधों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि विदेशों में बेचे जाने वाले एडवांस सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल चीन, रूस और ऐसे देश न कर पाएं. हम ऐसे देशों से पैदा हुए गंभीर धोखाधड़ी को कम करना और संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों को रोकना चाहते हैं.”

यह भी पढ़ें :-  हमास या हिजबुल्लाह को मिटाने से इजरायल, US को सुरक्षा नहीं मिलेगी : ईरान के राजकुमार

वॉशिंगटन स्थित एडवाइजरी फर्म बीकन ग्लोबल स्ट्रैटेजीज़ के AI एक्सपर्ट दिव्यांश कौशिक के मुताबिक, यह सीमा करीब 50,000 H100 Nvidia GPU के बराबर है.” कौशिक बताते हैं, “50,000 H100 Nvidia GPU एक बहुत बड़ा पावर है. ये रिसर्च को बढ़ावा देने, पूरे AI एप्लिकेशंस को चलाने के लिए काफी है. इनमें ग्लोबल स्केल चैटबॉट सर्विस चलाना या धोखाधड़ी का पता लगाने या अमेज़ॅन या नेटफ्लिक्स जैसी बड़ी कंपनियों के लिए पर्सनलाइज्ड रिकॉमेंडेशन जैसे एडवांस रियल टाइम सिस्टम का मैनेजमेंट करना भी शामिल है.”

किन देशों को मिली रियायत?
अमेरिका के नए प्रतिबंधों से ऑस्ट्रेलिया, इटली, बेल्जियम, ब्रिटेन, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, साउथ कोरिया, स्पेन, स्वीडन, ताइवान को छूट मिली है.

चीन से क्या दिक्कत?
अमेरिका को लगता है कि अगर चीन को AI चिप मिलती है, तो इससे ड्रैगन की आर्मी ज्यादा ताकतवर हो जाएगी. टेक्नोलॉजी सेक्टर में भी चीन मजबूत हो जाएगा. यही वजह है कि अमेरिका की तरफ से इसको लेकर नया नियम लाया गया है.

चिप के लिए इतनी होड़ क्यों?
सेमीकंडक्टर चिप का मार्केट तेजी से फैल रहा है. इसे मॉर्डन गोल्ड भी कहते हैं. कोई भी चीज जो किसी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट पर चल रही हो, उसे सेमीकंडक्टर चिप की जरूरत होती है. इसमें फ्रिज, टीवी, ओवन, टोस्टर, वॉशिंग मशीन जैसे घरेलू उपकरणों से लेकर स्मार्टफोन, गाड़ियां, स्पेस सैटेलाइट, मिसाइल्स और कई तरह की मैन्युफैक्चरिंग मशीनें शामिल हैं.

आज हर इंडस्ट्री में ऑटोमेशन पर जोर है. जिसके लिए सेमीकंडक्टर चिप्स की जरूरत है. चिप्स के बाजार को जो देश नियंत्रित करेगा, वही कंज्यूमर गुड्स से लेकर रक्षा, स्पेस और हर तरह की मैन्युफैक्चरिंग को कंट्रोल करेगा. इसलिए चिप्स को लेकर देशों में होड़ मची हुई है.

यह भी पढ़ें :-  World Top 5: डोनाल्ड ट्रम्प समर्थित रिपब्लिकन माइक जॉनसन अमेरिकी सदन के अध्यक्ष चुने गए

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में दुनिया का हर देश इलेक्ट्रानिक सेमीकंडक्टर चिप्स के बाजार को कंट्रोल करना चाहता है. इस ताकत को समझते हुए ही भारत में भी सरकार ने सेमीकंडक्टर्स इंडस्ट्री स्थापित करने के लिए नई योजनाएं शुरू की हैं.

अमेरिका के फैसले से क्यों तिलमिलाया चीन?
दरअसल, चीन ने पूरी दुनिया को सस्ते इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस दिए हैं. चीन इलेक्ट्रॉनिक मार्केट में अपना दबदबा कायम करना चाहता है. इसलिए उसे सेमीकंडक्टर चिप्स की जरूरत है. चिप्स की मैन्युफैक्चरिंग हमेशा से ही बड़े पैमाने पर ताइवान, जापान और यूरोप में होती रही है. चीन हर साल जितना कच्चा माल इंपोर्ट नहीं करता, उससे कई गुना ज्यादा सेमीकंडक्टर इंपोर्ट करता है. शी जिनपिंग ने काफी साल पहले चीन को चिप मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बनाने की बात की थी. उसपर काम भी तेजी से शुरू कर दिया गया था.

चीन ने चिप्स की मैन्युफैक्चरिंग भी शुरू की है. अभी तक ड्रैगन सिर्फ 28 NM से बड़े चिप ही बना पाता है. छोटे चिप के लिए वह इंपोर्ट पर निर्भर है. अब अमेरिका के नए नियमों से उसे ताइवान और जापान समेत यूरोप के देशों से चिप इंपोर्ट करने में पहले से ज्यादा लिटिगेशन यानी कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ेगा.

चिप वॉर में चीन को कब-कब मिली अमेरिका से मात?
-2016 में अमेरिका ने चीन को चिप वॉर में पहली मात दी. तब चीन जर्मनी कंपनी एक्सट्रॉन को खरीदने वाला था. इस कंपनी के कुछ असेट अमेरिका में भी थे. अमेरिका का रक्षा विभाग इस कंपनी से चिप लेता था. तब तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक ऑर्डिनेस से चीन-जर्मन कंपनी की इस डील पर रोक लगा दी.

यह भी पढ़ें :-  सुपर स्कूपर्स प्लेनः जलते जंगल में लाखों लीटर पानी की बौछार कर रहा अमेरिका का यह बाहुबली क्या है?

-फिर इसी साल अमेरिका ने चिप्स को लेकर नया नियम बनाया. सरकार ने नियम बनाया कि कोई भी अमेरिकी नागरिक, ग्रीन कार्ड होल्डर या कंपनी चीन की सेमीकंडक्टर कंपनी को मदद देने से पहले या कोई भी डील करने से पहले अमेरिकी सरकार से परमिशन लेगी.

-फिर 9 अगस्त 2022 को जो बाइडेन सरकार ने यूनाइटेड स्टेट्स चिप्स एंड साइंस एक्ट पास किया और चीन की उड़ान पर कुछ हद तक लगाम लगाने की कोशिश की.

-जनवरी 2023 में चिप्स को लेकर अमेरिका, जापान और नीदरलैंड्स ने डील की. इसके तहत इन देशों में समझौता हुआ कि ये देश चीन को चिप मेकिंग टेक्नोलॉजी, मशीनें और सर्विस नहीं बेचेंगे.

-चीन को चिप वॉर में हराने के लिए अमेरिका के सबसे बड़े हथियार के तौर पर ASML सामने आया है. ये कंपनी लिथोग्राफी मशीन्स बनाती हैं. यानी चिप की प्रिंटिंग करती हैं. लेकिन, अमेरिका, जापान और नीदरलैंड्स में हुए समझौते के बाद ASML अब चीन की चिप मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को लिथोग्राफी मशीन्स नहीं बेच पाएगी.

 


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button