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अमेठी का सस्पेंस: संजय-कांशीराम समेत इन दिग्गजों की भी हुई थी हार, फिर राहुल गांधी को लेकर हंगामा क्यों?

अमेठी सीट गांधी परिवार की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती रही है. यहां से संजय गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुनाव जीत चुके हैं. राहुल गांधी 2004, 2009 और 2014 में इस सीट से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे. लेकिन 2019 के चुनाव में अमेठी में सबसे बड़ा उलटफेर देखा गया था. बीजेपी की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को कड़े मुकाबले में हरा दिया था. उसके बाद से बीजेपी राहुल गांधी की हार को मुद्दा बना रही है. स्मृति ईरानी कई मौकों पर तंज कसते हुए राहुल गांधी को चुनौती दे चुकी हैं. वैसे राहुल पहले नेता नहीं हैं, जिनकी हार अमेठी में हुई हो. उनसे पहले कई दिग्गज नेताओं को भी इस सीट पर हाल का सामना करना पड़ा था. ऐसे में सवाल है कि राहुल गांधी को लेकर हंगामा क्यों मचा है.

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अमेठी में कब-कब हारे दिग्गज?
साल    नेता                पार्टी
1977    संजय गांधी              कांग्रेस
1981    शरद यादव           लोक दल
1984    मेनका गांधी       संजय विचार मंच
1989    राजमोहन गांधी     जनता दल
1989     कांशीराम              बीएसपी
1998    कैप्टन सतीश शर्मा     कांग्रेस
1999    संजय सिंह             बीजेपी
2014    स्मृति इरानी            बीजेपी
2014    कुमार विश्वास       आम आदमी पार्टी
2019    राहुल गांधी           कांग्रेस

अमेठी में पोस्टर वॉर भी शुरू

20 मई को पांचवें चरण में अमेठी मतदान है, लेकिन उसके पहले अमेठी में पोस्टर वॉर भी शुरू हो गया है. अमेठी के कांग्रेस ऑफिस और गौरीगंज के कांग्रेस ऑफिस समेत अन्य जगहों पर राहुल गांधी के जीजा यानी प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा को अमेठी से चुनाव लड़वाने की मांग को लेकर पोस्टर लगाए गए हैं. इन पोस्टरों में लिखा गया है- ‘अमेठी की जनता करे पुकार, रॉबर्ट वाड्रा अबकी बार’… निवेदक अमेठी की जनता. हालांकि, विवाद के बाद ये पोस्टर हटा लिए गए हैं.

 

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अमेठी की सीट पर कांग्रेस की तरफ से अभी तक उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया गया है. कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि राहुल गांधी यहां से चुनाव लड़ सकते हैं. वहीं, कांग्रेस ने अपने गढ़ रायबरेली सीट पर भी सर्वे कराया है. यहां से प्रियंका गांधी वाड्रा अपना पहला चुनाव लड़ सकती हैं. सोनिया गांधी के राजस्थान से राज्यसभा जाने के बाद ये सीट खाली हुई है.

अमेठी से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं रॉबर्ट वाड्रा

दूसरी तरफ खुद रॉबर्ट वाड्रा भी कई बार अमेठी से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं. हाल ही में वाड्रा ने कहा था, ”अमेठी के लोग चाहते हैं कि मैं अपना पहला राजनीतिक कदम अमेठी में रखूं और यहां से सांसद बनूं. मौजूदा सांसद ने कुछ काम नहीं किया है. सिर्फ गांधी परिवार पर इल्जाम लगाया है. अमेठी के लोगों को यह एहसास हो गया है कि उन्होंने स्मृति जी को जिता कर गलती की है. वे लोग चाहते हैं कि अब यहां से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़े. वे मेरी तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं. गांधी परिवार ने शुरू से यहां के लोगों के लिए बहुत मेहनत की है. दिन-रात एक किया है. मैं तो चाहूंगा कि जो भी अमेठी का सांसद हो, वो अमेठी की प्रगति की बात करे. सुरक्षा की बात करे. भेदभाव की राजनीति न करे.”

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जीजाजी की नज़र है सीट पर- स्मृति ईरानी

वहीं, एक दिन पहले अमेठी से मौजूदा बीजेपी सांसद स्मृति ईरानी ने भी इस मामले को लेकर कांग्रेस पर तंज कसे थे. उन्होंने कहा था कि जीजा जी (रॉबर्ट वाड्रा) की नज़र इस सीट पर है. साले साहब (राहुल गांधी) क्या करेंगे…? एक समय था, जब बसों में सफ़र करने वाले लोग अपनी सीट पर निशानी लगाने के लिए अपना रूमाल छोड़ दिया करते थे, ताकि उस पर कोई न बैठे… राहुल गांधी भी रूमाल से अपनी सीट पर निशान लगाने आएंगे, क्योंकि उनके जीजा जी की नज़र इस सीट पर है.”

कांग्रेस परिवार की फितरत पर उठाए सवाल

स्मृति ईरानी ने इस दौरान कांग्रेस परिवार की फितरत पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “लोगों को रंग बदलते तो देखा है, लेकिन परिवार बदलते नहीं देखा है. राहुल गांधी यहां से वायनाड गए और उसे अपना परिवार बता दिया. राहुल गांधी वो व्यक्ति हैं, जिसे मातृभूमि और मातृभाषा दोनों से बैर है. इन्हें अगर हिंदी में नाम लिखकर दे दिया जाए, तो ये उसे पढ़ भी नहीं सकते हैं.”

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अमेठी सीट पर हमेशा गांधी परिवार का दबदबा रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी यहां से लगातार तीन बार सांसद रहे. लेकिन, 2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी ने इस बार भी स्मृति ईरानी को यहां से प्रत्याशी बनाया है.

अमेठी में आते हैं 5 विधानसभा क्षेत्र

अमेठी में 5 विधानसभा क्षेत्र तिलोई, सलोन, जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी हैं. इनमें से तीन सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि दो सीटें सपा ने जीती थी. हालांकि, हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में दोनों सपा विधायक बीजेपी के पक्ष में दिखाई दिए. इस तरह से अब ये पांचों सीटें बीजेपी के प्रभाव वाली हो गई हैं. 

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समझिए जातिगत समीकरण

अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र 1967 में बनाया गया था. तभी से अमेठी नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ रहा है. संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी इस सीट से सांसद चुने गए थे. 2013 में अमेठी की जनसंख्या 15,00,000 थी. जातिगत समीकरण के अनुसार यहां 66.5 प्रतिशत हिंदू हैं और मुस्लिम 33.04 प्रतिशत हैं. 

2019 में कैसे रहे नतीजे?

2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों की बात करें, तो स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. स्मृति ईरानी को 4 लाख 68 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. राहुल गांधी को 4 लाख 13 हजार वोट मिले. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, इस सीट पर बीजेपी को कुल वोट का 49.71 प्रतिशत और राहुल गांधी को 43.84 प्रतिशत वोट मिला. तीसरे नंबर पर एक निर्दलीय प्रत्याशी रहा था. 

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कैसे गिरता गया राहुल का वोट प्रतिशत?

साल 2004 के लोकसभा चुनाव से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले राहुल गांधी को अमेठी की जनता ने सिर-आंखों पर बैठाया. पहली बार उन्हें करीब 67 प्रतिशत वोट मिले, जो कि साल 2009 में 72 प्रतिशत तक पहुंच गए. साल 2014 में अमेठी में बीजेपी ने स्मृति ईरानी की एंट्री कराई. मोदी लहर में राहुल गांधी का वोट प्रतिशत घटकर 47 तक पहुंच गया था. जबकि स्मृति ईरानी को करीब 34 प्रतिशत वोट मिले. इससे स्मृति के लिए जमीन तैयार हो गई. 2019 में उन्होंने राहुल गांधी को चुनाव में हरा दिया. 

 

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