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अमित शाह का ‘फर्जी वीडियो’ : तेलंगाना के कांग्रेस नेताओं को एक और नोटिस जारी

अधिकारी ने बताया कि इन नेताओं को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत समन भेज कर पिछले सप्ताह जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था लेकिन वे पेश नहीं हुए.

अधिकारियों ने बताया कि टीपीसीसी अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के वकील को छोड़कर, अब तक कोई भी पुलिस के सामने पेश नहीं हुआ है.

बीरेड्डी को न्‍यायिक हिरासत में भेजा 

पुलिस ने शुक्रवार को तेलंगाना के हैदराबाद निवासी बीरेड्डी को गिरफ्तार किया था जो सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर ‘स्पिरिट ऑफ कांग्रेस’ नामक अकाउंट का संचालन करते थे. पुलिस हिरासत में तीन दिन की पूछताछ के बाद उन्हें सोमवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल फोन और एक लैपटॉप को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है. ऐसा संदेह है कि उन्होंने अपने मोबाइल फोन से वीडियो अपलोड किया था.”

रेड्डी (37) को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने मजिस्ट्रेट नेहा गर्ग की अदालत के समक्ष पेश करते हुए उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का अनुरोध किया.

पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपी से आगे की पूछताछ की जरूरत नहीं है. हालांकि, न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपी को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजते हुए जेल अधिकारियों को उन्हें मंगलवार को मामले की नियमित सुनवाई के लिए पेश करने का निर्देश दिया.

सुनवाई के दौरान रेड्डी ने अदालत के समक्ष जमानत याचिका भी दायर की, जिस पर न्यायाधीश ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और मामले को सात मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

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विभिन्‍न धाराओं के तहत दर्ज की गई है प्राथमिकी

गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की एक शिकायत पर दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153ए ( धर्म, नस्ल, जन्म स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच द्वेष को बढ़ावा देना), 465 (जालसाजी), 469 (प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जालसाजी), 171जी (चुनाव के संबंध में गलत बयानी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.

यह शिकायत शाह के छेड़छाड़ किए गए वीडियो के बारे में थी, जिसमें तेलंगाना में धार्मिक आधार पर मुसलमानों के लिए कोटा खत्म करने की प्रतिबद्धता का संकेत देने वाले उनके बयानों को बदल दिया गया था ताकि ऐसा लगे कि वह सभी आरक्षणों को खत्म करने की वकालत कर रहे थे.

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(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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