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'आजादी का अमृत महोत्सव' जन आंदोलन बन गया: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान और इसके साथ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के समापन को चिह्नित करने वाले कार्यक्रम में भाग लिया और इस दौरान उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों से लाई गई मिट्टी को एक विशालकाय अमृत कलश में अर्पित किया और उसका तिलक भी लगाया. 

राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों की ओर से ‘एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत’ की भावना को प्रतिबिंबित करते हुए विभिन्न हिस्सों की मिट्टी दिल्ली लाई गई है. 

प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के दौरान अमृत वाटिका और अमृत महोत्‍सव स्‍मारक का उद्घाटन किया और देश के युवाओं के लिए ‘मेरा युवा भारत’ मंच की शुरुआत भी की. 

उन्होंने 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने का संकल्प दोहराया और युवाओं से इस दिशा में काम करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि दांडी यात्रा लोगों को एक साथ लाई, और इसी तरह ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ ने लोगों की भागीदारी के पैमाने के साथ नया इतिहास बनाया.

यह कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्‍सव के समापन समारोह के उपलक्ष्‍य में किया गया. 

कार्यक्रम के दौरान मौजूद सभी लोगों ने मिट्टी की पोटली हाथ में लेकर, पिछले स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी की ओर से किए गए ‘पंच प्रणों’ के आह्वान के अनुरूप भारत को 2047 तक आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करने, गुलामी की मानसिकता को जड़ से उखाड़ फेंकने और देश की समृद्ध विरासत पर गर्व करने की शपथ ली. 

प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित वहां मौजूद सभी केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों व नेताओं ने भी यह शपथ ली. 

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इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देश भर से आए हजारों अमृत कलश यात्रियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि जैसे दांडी यात्रा शुरू होने के बाद देशवासी उससे जुड़ते गए, वैसे ही आजादी के अमृत महोत्सव ने जनभागीदारी का ऐसा हुजूम देखा कि नया इतिहास बन गया. 

उन्होंने ‘मेरा युवा भारत’ संगठन की नींव रखे जाने का जिक्र करते हुए कहा कि 21वीं सदी में राष्ट्र निर्माण के लिए यह बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है. 

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के युवा कैसे संगठित होकर हर लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण ‘मेरी माटी-मेरा देश’ अभियान है. इस अभियान में गांव-गांव, गली गली से कोटि-कोटि देश के युवा जुड़े हैं. देश भर में लाखों आयोजन हुए और अनगिनत भारतीयों ने अपने हाथों से अपने आंगन व अपने खेत की मिट्टी अमृत कलश में डाली है.”

मोदी ने कहा कि बड़ी-बड़ी सभ्यताएं समाप्त हो गईं, लेकिन भारत की मिट्टी में वह चेतना और प्राण शक्ति है, जिसने इस राष्ट्र को अनादि काल से आज तक बचा कर रखा है. 

उन्होंने कहा, ‘‘यह वह माटी है, जो देश के कोने-कोने से आत्मीयता और आध्यात्मिक हर प्रकार से हमारी आत्मा को जोड़ती है. इस मिट्टी की सौगंध खाकर हमारे वीरों ने आजादी की लड़ाई लड़ी. देश भर के कोने से जो मिट्टी यहां पहुंची है, वह हमें कर्तव्य भाव की याद दिलाती रहेगी. यह मिट्टी विकसित भारत के हमारे संकल्प के सिद्धि के लिए और अधिक परिश्रम को प्रेरित करती रहेगी.”

प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत महोत्सव ने इतिहास के छूटे हुए पन्नों को भविष्य की पीढ़ियों से जोड़ दिया है और साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों का जिला वार एक बहुत बड़ा डेटाबेस भी तैयार हुआ है.

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‘मेरी माटी-मेरा देश’ अभियान में 36 राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों में 2,30,000 से अधिक ‘शिलापट्ट’ निर्मित किये गए हैं और इसके समर्थन में पंच-प्रण को दर्शाने वाली लगभग चार करोड़ सेल्‍फी सोशल मीडिया पर अपलोड की गई हैं.

मोदी ने कहा, ”1,000 दिनों की अवधि में देश ने कोविड महामारी का सफलतापूर्वक मुकाबला करने, विकसित भारत का खाका तैयार करने, पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने, चंद्रयान -3, एशियाई खेलों और एशियाई पैरा खेलों में 100 से अधिक पदक जीतने, नया संसद भवन तैयार करने और महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने जैसी कई उपलब्धियां हासिल की.’

उन्होंने कहा, ‘हमने राजपथ से कर्तव्य पथ तक की यात्रा भी पूरी की. हमने गुलामी के कई प्रतीकों को हटाया और आजाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा कर्तव्य पथ के एक छोर पर स्थापित की गई.’

मोदी ने कहा कि जिस प्रकार देश का कोई भी क्षेत्र या समुदाय स्वतंत्रता संग्राम से अछूता नहीं रहा, उसी प्रकार देश ने अमृत महोत्सव को हर किसी का त्योहार बनाया.

उन्होंने कहा कि ‘अमृत महोत्सव’ का सबसे सकारात्मक प्रभाव युवा पीढ़ी पर पड़ा है, जिन्होंने गुलामी का अनुभव नहीं किया है. 

उन्होंने कहा कि ‘अमृत महोत्सव’ ने लोगों को यह भी याद दिलाया कि विदेशी शासन के दौरान संघर्षों या आंदोलन से कोई भी वर्ग या क्षेत्र अछूता नहीं था. 

केंद्रीय गृह मंत्री शाह, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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