देश

Analysis: BJP के मिशन-80 के लिए OBC वोट बैंक कितना जरूरी? क्या SP-कांग्रेस की रणनीति बिगाड़ेगी काम

यूपी में किस समुदाय का कितना वोट शेयर?
OBC– 42%
यादव– 11%
कुर्मी- 5%
कोइरी-मौर्य-कुशवाहा-सैनी– 4%
जाट– 2%
अन्य OBC– 16%

BJP का कैसा बना OBC वोट बैंक पर दबदबा?

BJP ने 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017, 2022 के यूपी विधानसभा में OBC वोटबैंक में सेंधमारी की थी. इसमें उसे अच्छी-खासी सफलता भी मिली. कई सपा नेता और समर्थक BJP के खेमे में आ गए थे. इस बार BJP OBC वोट बैंक को लेकर अपना दायरा बढ़ाना चाहती है. OBC वोट बैंक में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए BJP यूपी में ‘ओबीसी महाकुंभ’ जैसे आयोजन करने वाली है. इसका मकसद गैर-यादव पिछड़ी जाति के लोगों को एकसाथ लाना है. इसी मकसद को पूरा करने के लिए ओम प्रकाश राजभर को NDA में लाया गया. संजय निषाद, जयंत चौधरी और अनुप्रिया पटेल ऐसे ही उदाहरण हैं. इनपर NDA के लिए OBC वोट बैंक बढ़ाने का दारोमदार (जिम्मेदारी) है.

पार्टी से कहा था पैसे वाले को न दें टिकट… : इंदौर से उम्मीदवार अक्षय कांति बम के BJP में जाने पर बोले कांग्रेस कार्यकर्ता

OBC वोट को मेंटेन रखना BJP के लिए कितनी बड़ी चुनौती?

पिछले चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि BJP को OBC का बंपर वोट मिला. इस लोकसभा चुनाव में OBC वोट को मेंटेन रखना BJP के लिए बड़ी चुनौती है. 2014 में सपा और बसपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. तब अगर यादवों के वोट को छोड़ दिया जाए, तो बाकी OBC जातियों में BJP और सपा के बीच 35 से 70 फीसदी का अंतर है. 2019 में जब सपा-बसपा साथ थे, तब भी ये 50 से 84 फीसदी का अंतर है. विरोधियों के लिए इस अंतर को पाटना इतना आसान नहीं होगा. 

यह भी पढ़ें :-  Bihar Election Results 2024 Live : मुंगेर में ललन सिंह कुमारी अनीता से आगे चल रहे हैं

OBC वोटर्स को पास लाने में जुटे अखिलेश यादव

सपा के सामने लोकसभा चुनाव में OBC वोटर्स को वापस पाने की चुनौती है. इसके लिए पार्टी की रणनीतियां भी साफ है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) का नारा भी दिया है. सपा खासतौर पर जाति जनगणना पर जोर दे रही है. जबकि BJP इसे नकारती आई है.

Analysis: BJP या कांग्रेस… मुसलमानों का सच्चा ‘हमदर्द’ कौन? क्या वाकई बदल रहा है मुस्लिम वोटिंग पैटर्न

OBC समुदाय को लुभाने में मायावती भी पीछे नहीं

यूपी के OBC वोटर्स को लुभाने में बसपा सुप्रीमो मायावती भी पीछे नहीं हैं. साल 2007 में जब उनकी पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ यूपी में सरकार बनाई थी, तब उन्हें अच्छी-खासी मात्रा में वोट मिले थे. बसपा और सपा ने साथ मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. इसका फायदा बसपा को मिला. उसके OBC वोट बैंक के शेयर में इजाफा हुआ था. अब 2024 के इलेक्शन में OBC वोट बैंक को साधने के लिए मायावती ने जाति जनगणना की मांग का समर्थन किया है. इतना ही नहीं, उन्होंने महिला आरक्षण बिल में OBC कोटे की मांग भी की है, ताकि जनता के बीच ये मैसेज जाए कि बसपा ही यूपी में OBC समुदाय के बारे में सोचती है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, “OBC वोट बैंक को मेंटेन रखना BJP के लिए मुश्किल नहीं है. क्योंकि BJP ने OBC वोट बैंक को यूपी में दो हिस्सों में बांट दिया है. पहला- यादव (जिसकी आबादी करीब 10% है). दूसरा- नॉन-यादव OBC. ये दोनों को साधकर BJP अपना दबदबा बनाने में कामयाब रही है. नॉन-यादव ओबीसी करीब 30 फीसदी हैं. इनमें हजारों सब-कास्ट (उप-जातियां) हैं. इन छोटे-छोटे जातियों के नेताओं को BJP ने रिप्रेजेंटेशन दिया है. ओम प्रकाश राजभर, संजय निषाद इसके उदाहरण हैं. योगी सरकार में 40 से 50 फीसदी मंत्री इसी समुदाय से आते हैं. इसकी वजह से नॉन-यादवों में BJP की एक मजबूत पकड़ हो गई है. इसबार सपा ने टिकट बंटवारे में जरूर नॉन-यादव OBC को मौका दिया है. लेकिन साफ है कि BJP के दबदबे को तोड़ना सपा या किसी और पार्टी के लिए इतना आसान नहीं है.”  

यह भी पढ़ें :-  "आपके पुत्र कैसे हैं... आपको रोक भी नहीं रहे": बीमार लालू यादव के चुनावी प्रचार करने पर JDU का प्रहार

वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं, “BJP के दबदबे को तोड़ना या OBC वोटों के अंतर को पाटना विरोधियों के लिए बड़ा मुश्किल है. विपक्ष को उतना समय भी नहीं मिला, जिससे वो ग्राउंड पर मेहनत कर सके. पिछले पांच साल में कांग्रेस और सपा के कई लोग NDA में चले गए. ऐसे में सारा सियासी गणित जटिल है. शायद इसलिए राहुल गांधी ने जो जातीय जनगणना की बात कही है, उसे लेकर ज्यादा झुकाव नहीं हुआ है.”

Ground Report: राहुल गांधी के अमेठी से नहीं उतरने पर क्या नाराज हैं वोटर्स? कैसा है कांग्रेस के गढ़ का मिजाज

बता दें कि विपक्षी दलों के INDIA अलायंस में कांग्रेस ने जातिगत जनगणना के मुद्दे को जोर शोर से उठाया है. लेकिन माना जाता है कि बीजेपी को इस तरह की जनगणना से डर यह है कि इससे अगड़ी जातियों के उसके वोटर नाराज़ हो सकते हैं. इसके अलावा बीजेपी का परंपरागत हिंदू वोट बैंक इससे बिखर सकता है.

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button