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Analysis: लोकसभा चुनाव पहले चरण के वोटिंग ट्रेंड के क्या हैं मायने? क्या कम मतदान BJP के 'मिशन 370' के लिए खतरा

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok sabha election 2024) के लिए 7 चरण में देश में मतदान होने हैं. पहले चरण के लिए देश की 21 राज्यों की 102 सीटों पर लगभग 60 प्रतिशत वोट डाले गए हैं. पिछले चुनाव की तुलना में मतदान का प्रतिशत इस चुनाव में कम देखने को मिला है. पिछले चुनाव में लगभग 70 प्रतिशत मतदान हुए थे. देश के किसी भी राज्य में मतदान का आंकड़ा 80 प्रतिशत तक नहीं पहुंचा है. सबसे अधिक त्रिपुरा में 79.9 प्रतिशत वोट डाले गए. बंगाल में लगभग 78 प्रतिशत मतदान की सूचना है. वहीं पूरे देश में सबसे कम मतदान बिहार में देखने को मिला. बिहार में महज 47.50 प्रतिशत वोटिंग की खबर है. ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि वोटर्स मतदान केंद्र तक क्यों नहीं पहुंचे? 

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मतदाताओं में 2019 और 2014 वाला नहीं दिखा उत्साह

भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता बढ़ सकती है क्योंकि राष्ट्रीय राजनीति में मोदी युग के उदय के बाद वोट प्रतिशत में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली थी. 2014 और 2019 में मत प्रतिशत अच्छे रहे थे. इस चुनाव में बीजेपी ने अपने लिए मिशन 370 का लक्ष्य रखा है. बीजेपी की तरफ से इस बात के दावे लगातार होते रहे हैं कि पार्टी आसानी से इस लक्ष्य तक पहुंच जाएगी.

जानकार मतदान प्रतिशत में गिरावट के बाद सवाल उठा रहे हैं कि क्या बीजेपी नेताओ की तरह ही बीजेपी वोटर्स भी कहीं अति आत्मविश्वास के शिकार तो नहीं हो गए? क्या बीजेपी के वोटर्स मतदान केंद्र तक नहीं पहुंचे? हालांकि इसे लेकर कोई विस्तृत डेटा अभी सामने नहीं आया है जिसके आधार पर इस बात के दावे किए जाए कि किस क्षेत्र के वोटर्स का टर्नआउट अधिक रहा है और किसका कम.

उत्तर भारत के राज्यों में भी कम वोटिंग के क्या हो सकते हैं परिणाम?

बीजेपी की तरफ से मिशन 370 को लेकर यह माना जा रहा था कि बीजेपी अपने मजबूत राज्य यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश में पहले से ही बेहतर हालात में है. वहीं उसे उम्मीद है कि इन राज्यों में वो एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करेगी और 2014, 2019 की तरह ही शानदार प्रदर्शन करेगी. हालांकि मतदान प्रतिशत में हुई बड़ी गिरावट के बाद बीजेपी नेतृत्व की परेशानी बढ़ सकती है. 

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क्या मिशन साउथ के चक्कर में नॉर्थ के राज्यों में होगा नुकसान?

बीजेपी इस चुनाव में मिशन साउथ को लेकर बेहद एक्टिव नजर आयी है. पीएम मोदी की तरफ से दक्षिण के राज्यों में लगातार सभा की जा रही है. बीजेपी को 370 के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए किसी भी हालत में दक्षिण भारत के राज्यों में भी उत्तर भारत की सफलता के साथ ही अच्छा प्रदर्शन करना होगा. हालांकि ऐसे में सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या मिशन साउथ के चक्कर में बीजेपी की तैयारी राजस्थान, यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में कमी रह गयी. 

बीजेपी के मजबूत राज्यों में भी वोटर्स में क्यों नहीं है उत्साह? 

बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर लगभग 53 प्रतिशत मतदान हुए थे वहीं इस चुनाव में लगभग 47 प्रतिशत वोट ही पड़े हैं. बात अगर उत्तर प्रदेश की करें तो इस चरण में जिन सीटों पर मतदान हुए हैं उन सीटों पर पिछले चुनाव में लगभग 67 प्रतिशत मतदान हुए थे. वहीं इस बार 57 प्रतिशत वोट ही पड़े हैं. मध्य प्रदेश में भी पिछले चुनाव की तुलना में इस चुनाव में वोट प्रतिशत में भारी गिरावट देखने को मिले हैं. मध्य प्रदेश में पिछले चुनाव में 75 प्रतिशत वोट डाले गए थे वहीं इस चुनाव में महज 63 प्रतिशत वोट पड़े हैं. राजस्थान में 2019 के चुनाव मे 64 प्रतिशत वोट पड़े थे वहीं इसबार यह आंकड़ा महज 50 प्रतिशत के आसपास रहा है. 

कम मतदान से कई बार सत्ताधारी दलों को हुआ है फायदा

हालांकि एक तरफ जहां कम मतदान को लेकर कुछ जानकार बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बता रहे हैं. वहीं कुछ आंकड़ें बताते हैं कि चुनाव में कम मतदान होना इस बात के संकेत हो सकते हैं कि जनता बदलाव नहीं चाहती है. कई बार ऐसा देखा गया है कि जब बंपर वोटिंग हुई है तो सत्ता में बदलाव हुए हैं. सरकार को बदलने के लिए अधिक मतदान होते रहे हैं.

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