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Analysis : 6 नए चेहरों के सहारे BJP लगा पाएगी दिल्ली की हैट्रिक? या AAP-कांग्रेस मिलकर रोक देंगे रफ्तार?

दिल्ली में किस सीट से किस पार्टी का उम्मीदवार?

-नई दिल्ली सीट पर BJP ने दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को मौका दिया है. INDIA अलायंस से AAP ने सोमनाथ भारती को उतारा है.

-चांदनी चौक से प्रवीण खंडेलवाल BJP उम्मीदवार हैं. INDIA अलायंस से कांग्रेस ने जेपी अग्रवाल पर दांव खेला है.

-पूर्वी दिल्ली सीट से BJP ने हर्ष मल्होत्रा को टिकट दिया है, जबकि AAP से कुलदीप कुमार मैदान में हैं.

-उत्तर-पूर्वी दिल्ली से BJP ने एक बार फिर से मनोज तिवारी को मौका दिया है, जबकि इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर कन्हैया कुमार अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं.

-उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से योगेंद्र चंदौलिया BJP के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस ने यहां से उदित राज को उतारा है.

-पश्चिमी दिल्ली से BJP ने कमलजीत शहरावत को मौका दिया है. AAP ने महाबल मिश्रा पर भरोसा जताया है.

– दक्षिणी दिल्ली से रामवीर सिंह बिधूड़ी BJP के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं, जबकि AAP ने सहीराम पहलनवान को मौका दिया है.

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2004 और 2009 के इलेक्शन में टॉप गियर में कांग्रेस    

2004 औ 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने टॉप परफॉर्मेंस दिया था. पार्टी ने 2004 में दिल्ली की 7 में से 6 सीटें जीती थी. उसे 55% वोट मिले थे. 2009 के इलेक्शन में कांग्रेस ने 7 में से 7 सीटें जीत ली. वोट शेयर बढ़कर 57% हो गया. 2014 में मोदी लहर में कांग्रेस नाकाम रही. कांग्रेस का वोट शेयर गिरकर 15% हो गया. एक भी सीटें नहीं मिली. जबकि 2019 के इलेक्शन में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़कर 23% तो हुआ, लेकिन इस बार भी कोई सीट नहीं मिली. दोनों चुनावों में BJP ने सभी सीटें जीती थीं. 2014 में BJP का वोट शेयर 46% और 2019 में 57% रहा. इससे पहले 2014 के चुनाव में BJP ने एक सीट जीती थी. 2009 के चुनाव में पार्टी को कोई सीट नहीं मिली थी. 2014 और 2019 के इलेक्शन में आम आदमी पार्टी बैकफुट पर थी.

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दिल्ली में जिसकी रफ़्तार, उसी की सरकार    

CSDS लोकनीति के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में जिस पार्टी की धमक रही, केंद्र में भी उसी की सरकार बनी. 1998 के इलेक्शन में BJP ने दिल्ली की 6 सीटें जीती. केंद्र में BJP प्लस की सरकार बनी. इसी तरह 1999 में पार्टी ने 7 सीटों पर जीत हासिल की और केंद्र में सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाई. 2004 में कांग्रेस ने दिल्ली की 6 सीटें जीती और केंद्र में UPA की सरकार बनी. 2009 में पार्टी ने सभी 7 सीटें जीती और केंद्र में सरकार रिपीट हुई. इसी तरह 2014 और 2019 के इलेक्शन में BJP ने दिल्ली में क्लीन स्वीप किया और केंद्र में मोदी की सरकार बनी.         

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चुनाव का ये ‘चाणक्य’ BJP के लिए क्यों कर रहा ऐसी भविष्यवाणी!

दिल्ली में AAP तो केंद्र में BJP के साथ वोटर                

दिल्ली को लेकर एक और बात कही जाती है कि यहां के वोटर राज्य सरकार के लिए AAP के साथ हैं, लेकिन केंद्र सरकार की बात हो, तो ये वोटर BJP के साथ आ जाते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस का वोट शेयर 15% था. BJP का वोट शेयर 46% और AAP का वोट शेयर 33% रहा. जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 10%, BJP का वोट शेयर 32% और AAP का वोट शेयर 54% रहा. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 23%, BJP का वोट शेयर 57% और AAP का वोट शेयर 18% रहा. जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर महज 4% था. BJP का वोट शेयर 39% और AAP का 54% था.        

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2019 में किस पार्टी को मिले कितने वोट?            

2019 के इलेक्शन में दिल्ली में BJP को अगड़ी जाति के 75% वोट मिले. कांग्रेस को 12% और AAP को 13% वोट मिले. BJP को 64% OBC वोट मिले. कांग्रेस और AAP को 18-18% वोट मिले. 44% SC वोट BJP के खाते में गए. जबकि कांग्रेस को 20% और AAP को 22% वोट मिले. मुस्लिम वोटों की बात करें, तो BJP को इस समुदाय से 7% वोट मिले. 66% मुस्लिम वोट कांग्रेस और 28% वोट AAP को मिले. 

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

पॉलिटिकल एनालिस्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, “दिल्ली की 7 सीटों पर अभी BJP का होल्ड है. लेकिन AAP-कांग्रेस भी जोर लगा रही है. खासकर नॉर्थ ईस्ट सीट पर पूर्वांचल और मुसलमानों की एक बड़ी आबादी है. यहां बीजेपी से भोजपुरी एक्टर मनोज तिवारी को फिर से उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को टिकट देकर इस सीट पर मुकाबला रोमांचक कर दिया है. अगर कांग्रेस-AAP के वोट जोड़ दें तो भी नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ता दिख रहा है. लेकिन अगर INDIA गठबंधन BJP का 5% वोट काट ले, तो कुछ फर्क दिखेगा. इस केस में BJP के कोटे से एक सीट INDIA अलायंस के पास चला जाएगा.”         

 

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अमिताभ तिवारी कहते हैं, “अगर INDIA गठबंधन BJP का 10% वोट काट ले, तो BJP को 2 सीटें मिलेंगी और 5 सीटें INDIA अलायंस के खाते में चली जाएंगी. हालांकि, ऐसा होता नहीं दिख रहा.”    

वहीं, सीनियर जर्नलिस्ट नीरजा चौधरी कहती हैं, “इलेक्शन में वोट ट्रांसफर ऑटोमेशन नहीं होता है. यानी अगर दो पार्टियां एक साथ आ जाए, तो ऐसा नहीं होगा कि उनके वोट भी एक साथ आ जाएंगे. वोट बैंक में प्लस और माइनस की संभावना रहेगी ही. ये हर इलेक्शन में होता है. लेकिन फिर भी दिल्ली में AAP और कांग्रेस के साथ आने से कुछ तो फर्क पड़ेगा. अगर मुस्लिम वोटों को जोड़ दें, तो AAP-कांग्रेस के वोट शेयर में बड़ा इजाफा होगा.”

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हालांकि, दिल्ली में BJP मजबूत पोजिशन में है. यहां क्लीन स्वीप का ट्रेंड रहा है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या 6 नए खिलाड़ियों की बदौलत BJP इस बार जीत की हैट्रिक लगा पाएगी या नहीं.

दिल्ली में हैं कितने वोटर्स 

दिल्ली में कुल 1,52,01,936 वोटर्स हैं और इनमें 5.5 नई महिला वोटर्स भी शामिल हैं. 2019 में हुए चुनावों के बाद अब तक 5.5 नई महिलाओं का नाम भी वोटर लिस्ट में शामिल हुआ है. जेंडर रेशियो की बात करें तो 1 हजार मेल वोटर्स पर कुल 851 महिला वोटर्स हैं. चांदनी चौक में 757827, उत्तर पूर्वी दिल्ली में 1129528, पूर्वी दिल्ली में 962109, नई दिल्ली में 688795 उत्तर पश्चिम दिल्ली में 1176001, पश्चिम दिल्ली में 1206003 और दक्षिण दिल्ली में 1016809 महिला वोटर्स हैं. साथ ही बता दें कि वोटिंग के लिए पूरे दिल्ली में 70 पिंक बूथ स्थापित किए जाएंगे जिनमें केवल महिला स्टाफ मौजूद होगी. 

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