जस्टिन ट्रूडो को महंगा पड़ गया भारत विरोधी एजेंडा? पहले अपने घर में घिरे, अब जा सकती है PM की कुर्सी

नई दिल्ली/टोरंटो:
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) शायद अपने कार्यकाल के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. भारत विरोधी बयानों और अघोषित एंटी इंडिया कैंपेन को लेकर ट्रूडो अपने घर और अपनी पार्टी में ही घिरते जा रहे हैं. कनाडा की सत्ताधारी लिबरल पार्टी (Liberal Party) के कई नेताओं का आरोप है जस्टिन ट्रूडो भारत के खिलाफ आरोप लगाकर सरकार की नाकामी छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.
कनाडाई अखबार ‘ग्लोब एंड मेल’ की रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीतिक अस्थिरता और लिबरल पार्टी में अलग-थलग होने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि ट्रूडो जल्द इस्तीफा तक दे सकते हैं. कनाडा में इसी साल संसदीय चुनाव होने हैं. अगर ट्रूडो इस्तीफा दे देते हैं, तो तय समय से पहले चुनाव की मांग हो सकती है. आइए समझते हैं कि भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करना कैसे जस्टिन ट्रूडो के लिए महंगा साबित हो रहा है:-
लिबरल पार्टी में विद्रोह की आवाज
बीते कुछ सालों में जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी में विद्रोह की आवाज तेज हुई है. सियान कैसी और केन मैक्डोनाल्ड समेत पार्टी के कई हाई प्रोफाइल सांसद सार्वजनिक तौर पर जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ अपनी राय दे चुके हैं. इन सांसदों ने अपने प्रधानमंत्री के बयानों और फैसलों को गलत बताया है. उनकी लीडरशिप पर सवाल उठा चुके हैं. पार्टी की ओर से ट्रूडो पर PM पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है. कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक, लिबरल पार्टी के कम से कम 20 सांसदों ने जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे को लेकर एक पिटीशन पर साइन किए हैं.
डिप्टी PM क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे से बढ़ा दबाव
ट्रूडो सरकार में राजनीतिक संकट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिसंबर 2024 में डिप्टी PM और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने ट्रूडो सरकार के इकोनॉमिक पॉलिसी को लेकर सवाल खड़े किए थे. क्रिस्टिया का कहना था कि ट्रूडो ने उनसे वित्तमंत्री का पद छोड़ दूसरे मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा था.
फ्रीलैंड के आरोपों पर ट्रूडो ने दिया था गोलमोल जवाब
फ्रीलैंड के आरोपों पर ट्रूडो ने दिसंबर में कहा था, “ज्यादातर परिवारों की तरह कभी-कभी छुट्टियों के दौरान हमारे बीच झगड़े होते हैं. लेकिन निश्चित रूप से अधिकांश परिवारों की तरह हम सुलह का रास्ता तलाश लेते हैं.” ट्रूडो ने कहा था, “आप जानते हैं, मैं इस देश से प्यार करता हूं. मैं इस लिबरल पार्टी से गहराई से प्यार करता हूं. आप लोगों से प्यार करता हूं.”
बुधवार को नेशनल कॉकस की बैठक
राजनीतिक संकट के बीच कनाडा की राजधानी टोरंटो में बुधवार को लिबरल पार्टी की नेशनल कॉकस की बैठक होने जा रही है. ऐसा बताया जा रहा है कि इस मीटिंग में ट्रूडो को विद्रोह का सामना करना पड़ सकता है. हो सकता है कि ट्रूडो इस बैठक से पहले ही अपना इस्तीफा सौंप दें.
27 जनवरी को शुरू होगी कनाडा संसद की कार्यवाही
आंतरिक उथल-पुथल के अलावा लिबरल पार्टी को हाल के दो उप-चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह जैसे प्रमुख सहयोगियों ने PM ट्रूडो के खिलाफ फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. अभी कनाडा की संसद में विंटर वेकेशन है. कनाडाई संसद 27 जनवरी को अपनी कार्यवाही फिर से शुरू करेगी.
कनाडा में किसके पास कितनी सीटें?
कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स (लोकसभा) में 338 सीटें है. हुमत का आंकड़ा 170 है. लिबरल पार्टी के 153 सांसद हैं. पिछले साल खालिस्तानी समर्थक कनाडाई सिख सांसद जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने ट्रूडो सरकार से अपने 25 सांसदों का समर्थन वापस ले लिया था.
कनाडा में ट्रूडो से नाराज क्यों हैं लोग?
-कनाडा के लोगों में ट्रूडो सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही है. इस नाराजगी की सबसे बड़ी वजह आर्थिक अस्थिरता और बढ़ती महंगाई है. यहां खाने-पीने और रहने का खर्चा बढ़ता ही जा रहा है.
– इसके साथ ही पिछले कुछ समय से कनाडा में कट्टरपंथी ताकतें तेज हुई हैं. खालिस्तानी हमलों और गतिविधियों से भी लोग परेशान हैं.
-अप्रवासियों की बढ़ती संख्या और कोविड-19 के बाद बने हालातों के चलते ट्रूडो को राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
लिबरल पार्टी में कौन हो सकता है ट्रूडो का रिप्लेसमेंट?
लिबरल पार्टी में टॉप लीडर चुनने के लिए कई मीटिंग रखी जाती है. कई प्रोसेस होते हैं. इसमें कई महीने लग जाते हैं. कई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अगर ट्रूडो इस्तीफा देते हैं, तो लिबरल पार्टी की मुख्य चुनौती मास अपील वाला नेता ढूंढना होगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लिबरल पार्टी में विदेश मंत्री मेलानी जोली, डोमिनिक लेब्लांक, मार्क कानी जैसे कई नाम हैं जो ट्रूडो की जगह ले सकते हैं.
पहली बार 2015 में PM बने थे ट्रूडो
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री पियर ट्रूडो के बड़े बेटे जस्टिन ट्रूडो 2013 में लिबरल पार्टी के चीफ बने थे. उन्होंने 2015 में पहली बार में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. ट्रूडो चौथी बार प्रधानमंत्री पद की दावेदारी कर रहे हैं. हालांकि, कनाडा में पिछले 100 सालों में कोई भी प्रधानमंत्री लगातार 4 बार चुनाव जीतकर नहीं आया है.
पिछले 3 चुनावों में ट्रूडो का प्रदर्शन?
कनाडा में 2015 में हुए चुनाव में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को 184 सीटें मिली. 2019 में हुए इलेक्शन में सीटों की संख्या घटकर 157 हो गई. आखिरी बार 2021 में चुनाव हुए. इसमें ट्रूडो की पार्टी को 158 सीटें मिलीं. फिलहाल ट्रूडो की पार्टी के पास 153 सांसद हैं.
क्या कहते हैं सर्वे?
ट्रूडो की राजनीतिक परेशानियां तब सामने आईं, जब पियरे पोइलिवरे के नेतृत्व वाली विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को सर्वे में अच्छी बढ़त मिलती दिखी. ट्रूडो के कार्बन टैक्स को रिजेक्ट करने और कनाडा के हाउसिंग क्राइसिस को खत्म करने की बात करके पोइलिवरे ने आर्थिक निराशाओं का फायदा उठाया है.
क्या ट्रूडो के लिए वाकई महंगा साबित हुई एंटी इंडिया कैंपेन?
कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ट्रूडो को भारत के खिलाफ कैंपेनिंग करना महंगा पड़ा है. सितंबर 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय संलिप्तता के आरोप के बाद से नई दिल्ली और ओटावा के बीच तनाव बढ़ता ही रहा है. निज्जर को कनाडा में एक सिख मंदिर के बाहर गोली मार दी गई थी. ट्रूडो ने भारत में इसका आरोप लगाया था. हालांकि, भारत ने इन आरोपों को बेतुका बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया था. ट्रूडो ने दुष्प्रचार किया था कि भारत आपराधिक गतिविधियों को स्पॉन्सर करता है. उनके इस दावे की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी आलोचना हुई है.
इसके बाद कनाडा ने निज्जर मामले में भारतीय अधिकारियों से पूछताछ करने की कोशिश की थी. इसपर कड़ा ऐतराज जताते हुए भारत ने 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था. भारत ने ओटावा में अपने राजदूत को भी वापस बुला लिया था.
आलोचकों का तर्क है कि ये आरोप कनाडा में खालिस्तानी सिख वोट आधार के एक वर्ग को आकर्षित करने का एक प्रयास है. इस कदम को कुछ लोग राजनीति से प्रेरित मानते हैं. हालांकि, ट्रूडो की यह रणनीति उलटी पड़ती दिख रही है.
पर्सनल लाइफ में भी आई थीं मुश्किलें
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को न सिर्फ पॉलिटिकल लाइफ बल्कि पर्सनल लाइफ में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. अगस्त 2023 में उनका तलाक हो गया था. ट्रूडो और सोफी ने 18 साल की शादी खत्म करके हुए तलाक ले लिया था. दोनों ने लीगल सेपरेशन एग्रीमेंट पर साइन किए थे. जस्टिन और सोफी की शादी मई 2005 में हुई थी. उनके 3 बच्चे हैं.
कनाडा में PM पद पर रहते हुए पत्नी से अलग होने वाले ट्रूडो दूसरे प्रधानमंत्री हैं. उनसे पहले उनके पिता और पूर्व PM पियरे ट्रूडो 1979 में अपनी पत्नी मार्गरेट से अलग हो गए थे और 1984 में दोनों का तलाक हो गया था.