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केजरीवाल और सिसोदिया पर मुकदमा चलाने को मिली मंजूरी, दिल्ली विधानसभा चुनाव पर क्या होगा असर


नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा का चुनाव चुनाव प्रचार जोर-शोर से जारी है. शुक्रवार को नामांकन का अंतिम दिन है. इस बीच बुधवार को खबर आई कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है.यह मुकदमा दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में चलाया जाना है. इससे एक महीने पहले ही दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसी माममें में अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की इजाजत दी थी. यह मुकदमा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) चलाएगा. चुनाव के दौरान ईडी को मिली यह इजाजत दिल्ली में विपक्ष को एक हथियार की तरह मिल गया है. वह इसके जरिए आम आदमी पार्टी को भ्रष्टाचार के मामले में घेरेगी. 

आम आदमी पार्टी ने गृहमंत्रालय के इस आदेश को अप्रत्याशित बताया है. उसका कहना है कि इस संबंध में अरविंद केजरीवाल की एक याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है. इस याचिका में केजरीवाल ने अपील की है कि निचली अदालत के उस आदेश को रद्द करने की मांग की गई है, जिसमें कहा गया है कि बिना किसी जरूरी मंजूरी के ईडी के चार्जशीट के आधार पर मुकदमा चलाया जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुकदमा चलाने के लिए ईडी को मंजूरी लेनी होगी. इसी के बाद ईडी ने गृह मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी.

क्या है पूरा मामला

ठीक चुनाव के बीच अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिलने को आप के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. दिल्ली में विपक्ष की दोनों पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस भ्रष्टाचार के आरोप में आप को लगातार कठघरे में खड़ा कर रही हैं. इससे आप असहज है. क्योंकि वह भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकली पार्टी है. दिल्ली की सत्ता में बैठने से पहले आप के नेताओं ने कई वादे किए थे. लेकिन आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल समेत उसके कई नेता भ्रष्टाचार के आरोप में ही जेल जा चुके हैं.ये नेता इन दिनों जमानत पर जनता के बीच में हैं. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को कानून अड़चनों की वजह से ही पद छोड़ना पड़ा. इससे पहले दोनों जेल से ही अपनी सरकार चलाते रहे. केजरीवाल को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तो शर्त ही लगाई है कि वो किसी सरकारी फाइल पर दस्तखत नहीं करेंगे.

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दिल्ली में लगा एक पोस्टर.

बीजेपी पिछले कुछ दिनों से दिल्ली शराब नीति घोटाले की वजह से दो हजार करोड़ का नुकासान होने के आरोप लगा रही है. इसके लिए वह सीएनजी की एक रिपोर्ट का हवाला देती रही. आप के नेता इस तरह की किसी सीएजी की रिपोर्ट को नकारते रहे.लेकिन बीजेपी के छह विधायकों की अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कह दिया कि दिल्ली सरकार ने इस रिपोर्ट को पेश करने में देरी की.

भ्रष्टाचार पर आमने-सामने आप और बीजेपी

बीजेपी लगातार आप को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेर रही है. वह शराब नीति के साथ-साथ दिल्ली जलबोर्ड के कथित घोटाले का मुद्दा उठा रही है.इसको लेकर अभी कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ एक आरोप पत्र जारी किया था. इसमें बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली को भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला बनाने का आरोप लगाया था. बीजेपी की ओर से लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री आतिशी की गरिफ्तारी की आशंका भी जता दी थी. उन्होंने कहा था कि आतिशी के खिलाफ परिवहन विभाग में आतिशी के खिलाफ फाइल तैयार की जा रही है.ऐसे में अगर बीजेपी अगर इस मंजूरी को भी मुद्दा बनाती है तो आप की परेशानियां बढ़ जाएंगी.

क्या थी दिल्ली की शराब नीति

दिल्ली शराब नीति मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भ्रष्टाचार विरोधी कानून के तहत अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. इस मामले में उसे पिछले साल अगस्त में ही जरूरी मंजूरी मिल गई थी. लेकिन ईडी को इजाजत नहीं मिल पाई थी. दिल्ली में नई शराब नीति 2021-2022 में लागू की गई थी. इसमें विपक्ष ने घोटाले का आरोप लगाया था. विपक्ष का कहना था कि एक लॉबी को फायदा पहुंचाने के लिए यह नीति बनाई गई थी. इसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद दिल्ली सरकार ने उस नीति को वापस ले लिया था. बाद में ईडी भी इस मामले की जांच में शामिल हो गई थी. इस मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार लोगों में तेलंगाना के तत्कालीन मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता भी शामिल हैं.

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