जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तारीख आने के बाद क्या पाकिस्तान की परेशानी बढ़ने वाली है?
नई दिल्ली:
जम्मू कश्मीर विधानसभा के लिए चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा के साथ ही केंद्रशासित प्रदेश में शुक्रवार से आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी. अधिकारियों ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया, ‘‘निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावों की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी है. आदर्श आचार संहिता के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू होंगे, जिसमें सभी उम्मीदवार, राजनीतिक दल और केंद्र शासित प्रदेश की सरकार शामिल हैं.”
निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर से तीन चरणों में विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की. इससे 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किये जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के लिए सरकार चुनने का मंच तैयार हो गया है. इन चुनावों में पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी पहली बार मतदान करेंगे.
जानकारी के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में 18 सितंबर.. 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान होने जा रहा है. 4 अक्टूबर को चुनाव के नतीजे आ जाएंगे. 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद ये पहली बार है कि जम्मू-कश्मीर के लोग अपनी सरकार चुनने के लिए वोट करेंगे. ये चुनाव में भाग लेने वाले सभी राजनीतिक दलों के लिए अग्नि-परीक्षा है, लेकिन उससे भी बड़ी बात ये है कि ये भारत के लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ी जीत होगी और उन लोगों के लिए बहुत बड़ा झटका है, जो कश्मीर में साजिशों के सपने देखते रहते हैं.
ज़ाहिर है जम्मू-कश्मीर के चुनाव में जीत और हार चाहे किसी की हो, वहां लोकतंत्र जीतेगा…और जब लोकतंत्र जीतेगा तो उन ताकतों की करारी होगी, जो दिन-रात कश्मीर को अस्थिर करने के ना-पाक षडयंत्र में लगे रहते हैं.
मुख्य बातें
- जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होने जा रहे हैं
- पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को होगा
- दूसरे चरण का मतदान 25 सितंबर को होगा
- 1 अक्टूबर को तीसरे चरण की वोटिंग होगी
- 4 अक्टूबर को चुनाव के नतीजे आ जाएंगे
प्रधानमंत्री मोदी ने 21 जून को कश्मीर में योग दिवस मनाते हुए ये संकेत दिए थे कि राज्य में जल्द ही चुनाव करा लिए जाएंगे. पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को जम्मू-कश्मीर में सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया था.
जम्मू कश्मीर में पिछली बार 5 चरणों में चुनाव हुए थे. लेकिन इस बार विधानसभा के चुनाव 3 फेज में ही हो रहे हैं. कम समय में चुनाव का होना अच्छी बात है. इससे पता चलता है कि राज्य में कानून व्यवस्था बेहतर हुई है और लोगों की आस्था लोकतंत्र में बढ़ रही है. लोकसभा चुनाव में भी जम्मू कश्मीर में बहुत अच्छी वोटिंग हुई थी. आज सभी राजनीतिक दलों ने जिस तरह से चुनाव की तारीख आने पर प्रतिक्रिया दी है. वो भी चुनाव को लेकर उनका उत्साह दिखाता है.
जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं के लिए ये चुनाव बड़ा मौका है, क्योंकि 10 साल बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. 2014 के चुनाव नतीजों को देख लीजिए..87 सीटों के लिए हुए चुनाव में .
वर्ष 2014 में जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार विधानसभा चुनाव हुए थे…जबकि पांच अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटा कर…और इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. अब जबकि तारीखों का ऐलान हुआ है…सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव को लेकर उत्साह दिखाया है.
कश्मीर अब भारत के लिए कोई मुद्दा नहीं है…अगर मुद्दा है तो वो पाक अधिकृत कश्मीर है. ये बात प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री से लेकर भारत की सेना तक ने बहुत साफ स्वर में बार-बार कह दिया है. हाल की आतंकी घटनाओं को छोड़ दें तो अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद घाटी का माहौल भी काफी बदल गया है. पिछले दिनों जी-20 की सफल मेजबानी भी हुई. टूरिस्ट भी बढ़ रहे हैं. दूसरी ओर पाकिस्तान चुनाव के बाद भी लगातार घर के अंदर और बाहर घिरा हुआ है. यही वजह है कि कश्मीर का चुनाव…पाकिस्तान के लिए तनाव की वजह है.
जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनाव के दौरान 58.46% मतदान हुआ और इसी के साथ पिछले 35 साल का रिकॉर्ड टूट गया. 2019 के मुकाबले 2024 के लोकसभा चुनाव में 14% ज्यादा वोटिंग हुई. 4 अक्टूबर को कश्मीर की एक तस्वीर दिखेगी…जो नए दौर में कश्मीर की सबसे मजबूत तस्वीर होगी…ये लोकतंत्र के विजय की तस्वीर होगी…लेकिन कश्मीर के खिलाफ साजिश करने वालों के लिए भय की भी तस्वीर भी होगी.
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