देश

राममंदिर के लिए फाइनल हुई अरुण योगीराज की मूर्ति, पत्नी और मां को भी नहीं दिखाई, 6 महीने में ऐसे हुई तैयार

 Ayodhya Ram Mandir: संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोशल मीडिया X पर जानकारी दी कि अयोध्या में श्रीराम की जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी उसे कर्नाटक के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज (Arun Yogiraj) ने तैयार किया है. हालांकि आधिकारिक तौर पर मंदिर ट्रस्ट की तरफ से बयान नहीं आया लेकिन प्रल्हाद जोशी के ट्वीट के बाद कर्नाटक के कई सांसदों और नेताओं ने सोशल मीडिया पर अरुण योगीराज को बधाई दी. मैसूर में तो जश्न का माहौल है और खुद अरुण योगीराज का परिवार भी बहुत खुश है.

अरुण योगीराज की मां बोलीं- पूरी दुनिया मेरे बेटे की कला को देखेगी

यह भी पढ़ें

अरुण योगी राज की चर्चा हर ज़ुबान पर है, हो भी क्यों न, देशवासियों के रोम रोम में बसने वाले राम की ऐसी मूर्ति उन्होंने तराशी है.  कहा जा रहा है कि अयोध्या के राम मन्दिर में उनकी ही बनाई हुई बाल राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी. आज जितना गर्व ख़ुद की कला पर अरुण  योगी राज  को होगा उतनी ही खुश उनकी मां भी हैं. अरुण योगीराज की मां  सरस्वती ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं, काश उसके पिता जीवित होते तो बहुत खुश होते. पूरी दुनिया मेरे बेटे की कला को देखेगी.

मां-पत्नी को भी नहीं दिखाई श्रीराम की मूर्ति

तक़रीबन 6 महीने की मेहनत से गढ़ी गई 5 साल के बाल राम की 51 इंच लंबी मूर्ति के बारे में कहते है कि अरुण योगीराज ने उन भावों को इस बारीकी से उभारा है कि भक्त जब दर्शन करें तो उनके रोम रोम में समाए भगवान राम की छवि जीवित हो उठे. अरुण योगी राज ने मूर्ति को लेकर इतनी गोपनीयता बरती की उनकी मां और पत्नी भी  श्री राम के दर्शन नहीं कर पाईं.

यह भी पढ़ें :-  "जैसे ही अयोध्या मंदिर के दरवाजे खुलें, इसे ज्ञान-शांति का प्रवेश द्वार...": प्राण प्रतिष्‍ठा से पहले गौतम अदाणी

जब तक उन्हें खुद भगवान नजर नहीं आ जाते वे शिला पर काम करते रहते हैं : विजेता अरुण योगीराज

अरुण योगीराज की पत्नी विजेता अरुण योगीराज ने कहा कि वह बहुत समर्पित होकर काम करते हैं. बहुत समय देते हैं. जब तक उन्हें खुद भगवान नजर नहीं आ जाते वे शिला पर काम करते रहते हैं.

मूर्ति के पत्थर को लेकर अभी भी रहस्य

एक रहस्य इस मूर्ति को बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए पत्थर को लेकर भी है, लेकिन जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक- भगवान राम की मूर्ति उत्तर कर्नाटक के कारकला के पत्थर पर की गई या मैसूर के एचडी कोटे के पत्थर पर लेकिन माना जा रहा है कि रामलला की मूर्ति उत्तर कन्नड़ जिले के कारकला पत्थर पर की गई है और इसकी वजह भी है.

ऋषि श्रृंग और राजा दशरथ से जुड़ा है संबंध

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक- कारकला आध्यात्मिक शहर श्रृंगेरी से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर है.  श्रृंगेरी का नाम ऋषि श्रृंग के नाम पर पड़ा जिनके बारे में मान्यता है कि उन्होंने ही महाराज दशरथ के लिए पुत्र कामेष्ठी यज्ञ करवाया, जिसके बाद ही  महाराज दशरथ के घर भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ. 

इस पत्थर में है कई खासियतें

कारकला या नेल्लीकेर स्टोन शिल्पकारों की पसंद है क्योंकि ये पत्थर ना तो ज्यादा कठोर है ना ही ज्यादा नरम, ऐसे में भावों को उभारने में काफी मददगार है. साथ ही मौसम के कुप्रभाव भी इस पर कम होता है.

अरुण योगीराज का परिचय

वैसे, इस मूर्ति को लेकर आज अरुण योगीराज चर्चा में हैं. उनके पिता और दादा भी मूर्तिकार थे. अरुण योगीराज के दादा वोडेयार राज घराने के शाही शिल्पीकार थे.  अरुण योगीराज ने मैसूर यूनिवर्सिटी से MBA किया है. वे सुप्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज के बेटे हैं और उनका पांच पीढ़ियों से मूर्ति बनाने का काम है. उन्होंने सुभाष चंद्र बोस की 30 फ़ीट ऊंची प्रतिमा बनाई है. नेताजी की ये प्रतिमा अमर जवान ज्योति पर मौजूद है. इसके साथ ही उन्होंने  केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बनाई है. आदि शंकराचार्य की ये प्रतिमा 12 फ़ीट ऊंची है. उन्होंने रामकृष्ण परमहंस की प्रतिमा का भी निर्माण किया था.

यह भी पढ़ें :-  भारत 2026 में 28वें सीएसपीओसी की मेजबानी करेगा: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button