"नई स्कीम पर पूछते हैं इससे कितनी नौकरियां मिलेंगी?" : वित्त मंत्री ने बताया PM मोदी कैसे रखते हैं आर्थिक अनुशासन
नई दिल्ली:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance minister Nirmala Sitharaman)ने 1 फरवरी को मोदी सरकार 2.0 (Modi Government 2.0) का अंतरिम बजट (Interim Budget 2024) पेश किया. ये वित्त मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण का छठा बजट था. लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई में नई सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने The Hindkeshariके साथ खास इंटरव्यू में कहा कि मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में ही भविष्य के नए भारत की नींव रख दी है. उन्होंने कहा, “हमें पीएम के नेतृत्व में अटूट विश्वास है. पीएम मोदी देश के आर्थिक मामलों में पूरा अनुशासन रखते हैं. हर योजना पर पीएम जरूर पूछते हैं कि इससे कितनी नौकरियां पैदा होंगी? इन नौकरियों में कितनी प्रत्यक्ष और कितनी अप्रत्यक्ष होंगी.”
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इंटरव्यू की खास बातें:-
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The Hindkeshariके एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “काम का मतलब सिर्फ नौकरी या दफ्तर में काम करना नहीं है. काम का मतलब रोजगार है. अपना कारोबार चलाना या स्टार्ट अप करना भी रोजगार है. मोदी सरकार कोई भी योजनाएं बनाने से पहले इस बात पर खासा जोर देती है कि नई योजनाओं से नए जॉब क्रिएशन पर क्या असर पड़ेगा? अगर आप में क्षमता है और आप अपना बिजनेस चलाना चाहते हैं, तो सरकार मदद करती है. हमारे पास ऐसी योजनाएं हैं.”
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निर्मला सीतारमण ने कहा, “हमें पीएम के नेतृत्व में अटूट विश्वास है. पीएम मोदी देश के आर्थिक मामलों में पूरा अनुशासन रखते हैं. मोदी सरकार ने जनता को समझ में आने वाले बजट दिए. हमने किसानों के ऊपर कोई बोझ नहीं डाला. हमने बजट में आमदनी और खर्च का पूरा ब्योरा दिया. सब्सिडी कट की वजह से किसी पर कोई बोझ नहीं डाला है.”
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सीतारमण ने कहा, “हम आश्वस्त हैं कि जनता तीसरी बार भी मोदी सरकार को आर्शीवाद देगी. पिछले 10 साल में हमने न सिर्फ लोक कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की, बल्कि उन्हें क्रियान्वित करने के लिए कड़ी मेहनत भी की है. मोदी सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों को पता है कि हमने वही किया, जो हमने उनसे वादा किया था.”
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वित्त मंत्री ने कहा, “हमें पीएम मोदी के नेतृत्व पर अटूट भरोसा है. हमने अंतरिम बजट के लिए किसी और से सलाह नहीं लेने का फैसला किया. लेकिन मैंने प्रधानमंत्री से सलाह ली. उन्होंने सुझाव दिया कि हमें जुलाई में पूर्ण बजट के दौरान सलाह-मशवरा करना चाहिए. पिछले 10 वर्षों में हमने अपनी योजनाओं और उसे अमल में लाकर एक अनुशासन बनाए रखा है.”
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निर्मला सीतारमण ने कहा, “अंतरिम बजट में कोई लोकलुभावन योजनाओं का ऐलान नहीं किया गया है. हर किसी को भरोसा है कि इस सरकार की योजनाओं उनतक पहुंचती हैं. मोदी सरकार की योजनाओं समाज के आखिरी आदमी तक पहुंचती हैं. पीएम ने अच्छा वित्तीय अनुशासन बनाए रखा है.”
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वित्त मंत्री ने कहा, “Fiscal Discipline यानी राजकोषीय अनुशासन और सब्सिडी एक दूसरे के विकल्प नहीं हैं. कोरोना महामारी के दौरान भी हम सब्सिडी देते रहे. हमने किसानों पर बढ़ी हुई लागत नहीं थोपी. उनपर बोझ नहीं बढ़ाया और न अंतरिम बजट में पहले से दी जा रही सब्सिडी में कोई कटौती की है. जब हर योजना का फोकस सशक्तीकरण होता है, तो इसे लोगों तक ले जाने के लिए सब कुछ करने की ज़रूरत है.”
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सरकारी खर्च पर वित्त मंत्री ने कहा, “हम काम करते रहेंगे, ताकि सामाजिक कल्याण लोगों तक पहुंचे. समाज के अंतिम आदमी तक पहुंचे. इसके लिए हम उस पर खर्च करेंगे. अच्छे स्कूलों के लिए खर्च करेंगे. अच्छे कंप्यूटर के लिए खर्च करेंगे. सोशल वेलफेयर स्कीम पर खर्च करना जारी रखा जाएगा.”
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अंतरिम बजट में बढ़े हुए पूंजीगत व्यय (CapEx) पर वित्त मंत्री ने कहा, “हम जुलाई में CapEx को बढ़ाने के बारे में सोचेंगे. हमने CapEx अलॉकेशन में कटौती नहीं की है. यहां तक कि 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी हाई बेस पर है. हम 11 लाख करोड़ तक पहुंच गए हैं… हालांकि, आप CapEx में कितना निवेश करते हैं, इसके लिए एब्सॉर्प्शन (अवशोषण) का ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि इसके कम होने में समय लगता है.”
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अंतरिम बजट में किसी विनिवेश (Disinvestments) या निजीकरण (Privatization) की घोषणा नहीं की गई है. इस पर वित्त मंत्री ने कहा, “हमें यह भी पता होना चाहिए कि वैल्यूएशन महत्वपूर्ण है. चाहे वह लिस्टेड कंपनी हो या नॉन-लिस्टेड कंपनी. हमें उनके वैल्यूएशन पर फोकस करने की जरूरत है. हमें पता होना चाहिए कि इंटर्नल सिस्टम सही है या नहीं.”
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मोदी सरकार रिसर्च और डेवलपमेंट पर भी फोकस कर रही है. सीतारमण ने कहा, “हमारे 2 साल के बजट में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का जिक्र किया गया था. रिसर्च फंडिंग उससे पहले भी थी, लेकिन वह बिखरी हुई थी. यहां तक कि इसका डॉक्यूमेंटेशन भी सही तरीके से नहीं होता था. नेशनल रिसर्च फाउंडेशन में हम बिखरे हुए फंड को समेट रहे हैं. प्राइवेट सेक्टर में फंडिंग की कमी है. हम उनकी फंडिंग करने की कोशिश कर रहे हैं. अगर आप देश के लिए इनोवेशन कर रहे हैं, तो देश का पैसा आपके लिए होगा.”