देश

लोकसभा चुनाव होते ही जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द कराया जाएगा विधानसभा चुनाव: सीईसी

राजीव कुमार ने राजनीतिक दलों और प्रशासन के साथ परामर्श करने के लिए हाल में केंद्र शासित प्रदेश का दौरा किया था. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम प्रतिबद्ध हैं कि जैसे ही ये (लोकसभा) चुनाव समाप्त होंगे और हमारे पास (पर्याप्त सुरक्षा) बल होंगे, हम वहां (जम्मू-कश्मीर में) जल्द से जल्द चुनाव कराएंगे.”

उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रव्यापी चुनावों के दौरान केंद्र शासित प्रदेश में प्रत्येक उम्मीदवार को सुरक्षा प्रदान करने की चुनौती के कारण दोनों चुनाव एक साथ कराना व्यावहारिक नहीं है.

सीईसी ने कहा, ‘‘पूरे प्रशासनिक तंत्र ने एक सुर में कहा कि ये चुनाव एक साथ नहीं कराए जा सकते. प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 10-12 उम्मीदवार होंगे, जिसका मतलब 1,000 से अधिक उम्मीदवार होंगे. हर प्रत्याशी को सुरक्षा मुहैया करानी होगी. इस समय यह संभव नहीं है.”

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों के साथ परामर्श के दौरान, एक साथ चुनाव की आवश्यकता पर जोर दिया गया और 2014 के बाद से क्षेत्र में विधानसभा चुनाव नहीं होने पर प्रकाश डाला गया.

कुमार ने कहा, ‘‘हम इस बात को भलीभांति समझते हैं. हमें इसके लिए समय-समय पर दोषी भी ठहराया जाता है. जब हम वहां (जम्मू-कश्मीर) गए तो लोगों ने कहा कि हमें चुनाव कराने के लिए आपसे कहने के लिए उच्चतम न्यायालय जाना होगा….”

उन्होंने कहा कि परिसीमन प्रक्रिया के बाद दिसंबर 2023 में जम्मू -कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन किया गया था और निर्वाचन आयोग के लिए घड़ी की टिक-टिक तब से शुरू हुई.

सीईसी ने कहा, ‘‘पुनर्गठन अधिनियम 2019 में पारित किया गया था. इसमें 107 सीट का प्रावधान था, जिनमें से 24 सीट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में थीं. शेष 83 में से सात एससी (अनुसूचित जाति) के लिए आरक्षित थी जबकि एसटी (अनुसूचित जनजाति) के लिए कोई आरक्षण नहीं था.”

यह भी पढ़ें :-  "नौकरी का मतलब दफ्तर में काम ही नहीं..." : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया मोदी सरकार में कैसे आत्मनिर्भर बनेगा भारत?

उन्होंने कहा, ‘‘फिर परिसीमन आयोग आया… सीट की संख्या बदल गई. ये बढ़कर 114 हो गईं और 24 पीओके में रहीं… नौ सीट एसटी के लिए आरक्षित की गईं, जो एक नयी बात थी और दो प्रवासियों के लिए आरक्षित की गईं. पीओके से विस्थापित हुए लोगों के लिए एक सीट रखी गई.”

उन्होंने तर्क दिया कि पुनर्गठन अधिनियम और परिसीमन अधिनियम में तालमेल नहीं था और दिसंबर 2023 में पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करके तालमेल स्थापित किया गया. कुमार ने कहा, ‘‘तो चुनाव कराने के लिए हमारा मीटर दिसंबर 2023 से चलना शुरू हुआ.”

नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने में देरी को लेकर चिंता जताई है जबकि भाजपा ने निर्वाचन आयोग के फैसले का स्वागत किया है.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि निर्वाचन आयोग जम्मू-कश्मीर में एक साथ चुनाव कराने में असमर्थ है, जबकि उसने स्वीकार किया है कि केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं.

(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button