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कहीं शराबबंदी तो कहीं खुले में बिकती है शराब,देश एक लेकिन यहां उल्टे-पुल्टे नियम हैं अनेक


नई दिल्ली:

भारत अनेकता में एकता का देश माना जाता है. लेकिन अगर यहां के अलग-अलग प्रांतों में लागू नियमों की बात करें तो  इसमें आपको काफी अंतर देखने को मिलेगा. आपको लग सकता है कि आखिरी एक देश के अंदर इतने तरह के नियम और कानून कैसे हो सकते हैं? लेकिन ये सच है.एक उदाहण के माध्यम से आप इसे समझ सकते हैं. जैसे की देश में कई राज्य ऐसे हैं जहां शराबबंदी है तो कई राज्य ऐसे भी हैं जहां शराब पीने पर किसी तरह का कोई प्रतिबंधन नहींहै. चलिए आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं कि आखिर किस तरह के विषयों पर भारत के अंदर ही अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियम हैं. 

कई राज्यों में शराब पीने पर है मनाही तो कई जगहों पर नहीं है ऐसा कोई नियम 

अगर बात गुजरात, मिजरोम, नागालैंड, मणिपुर, लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में और बिहार जैसे राज्यों की करें तो वहां शराब पर प्रतिबंध लगा हुआ है. जबकि इन दो राज्यों के अलावा देश के अन्य कई राज्यों में शराब को लेकर ऐसा कोई नियम नहीं है.जिन राज्यों में शराब पीने या बेचने पर प्रतिबंध है वहां अगर कोई शराब के पास पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई तक की जाती है. इतना ही नहीं उसे जेल की सजा तक होती है. 

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दो बच्चों से ज्यादा होने पर चुनाव ना लड़ने देने का है नियम 

देश कई राज्यों में चुनाव लड़ने को लेकर भी एक खास नियम है. इस नियम के तहत अगर कोई शख्स जो चुनाव लड़ने की योजना बना रहा है और उसके दो से ज्यादा बच्चे हैं तो उसे नामांकन करने से रोका जा सकता है.देश के जिन राज्यों में ये नियम लागू है उनमें उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान,गुजरात, मध्य प्रदेश,ओडिसा, बिहार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्य शामिल हैं. इन राज्यों में पंचायत स्तर से लेकर अलग-अलग स्तर के चुनाव पर ये नियम लागू होता है. 

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क्या है इसके पीछे का तर्क 

दो या दो से ज्यादा बच्चे होने पर चुनाव ना लड़ने देने की अनुमति वाले नियम को लोग जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रेरित करने से भी जोड़कर देखते हैं. लोगों का कहना है कि अगर जनप्रतिनिधि के स्तर से इन नियम को लागू किया जाएगा तो इसका असर आम जनता पर भी पड़ेगा. इसी नीयत के साथ इस नियम को कई राज्यों में लागू किया गया है. 

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सीएम नायडू ने क्यों कहा ज्यादा बच्चे पैदा करो

आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इस समय प्रदेश में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी को देखते बेहद चिंतित दिख रहे हैं. उन्होंने अपनी इस चिंता को सार्वजनिक तौर पर जाहिर भी किया है. उन्होंने  शनिवार को कहा कि राज्‍य की आबादी का संतुलन बिगड़ रहा है. ऐसे में प्रदेश सरकार पॉपुलेशन मैनेजमेंट की योजना बना रही है. इसके तहत विधेयक लाने के बारे में भी सोचा जा रहा है, जिसमें अधिक बच्चे वाले परिवारों को विशेष सुविधाएं दी जा सकती हैं. साथ ही उन्‍होंने बताया कि एक ऐसा कानून लाने पर भी विचार हो रहा है, जिसके तहत सिर्फ वही लोग स्थानीय निकाय चुनाव लड़ पाएंगे, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं. 

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युवाओं की कम संख्या से क्यों टेंशन में हैं चंद्रबाबू नायडू?

चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि राज्‍य में उम्रदराज लोगों की आबादी में इजाफा हो रहा है. इसका एक कारण यह है कि राज्‍य के युवा विदेशों में जाकर बस जाते हैं. ऐसे में राज्‍य में युवाओं की संख्‍या कम हो रही है. इसे लेकर अब गंभीरता से सोचने की जरूरत है. चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि एक समय हमने नियम बनाया था कि 2 से ज्‍यादा बच्‍चे न करें. लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. इसलिए हमने वो नियम बदल दिया है. अब हम ज्‍यादा बच्‍चे पैदा करने की अपील कर रहे हैं, ताकि राज्‍य का अस्तित्‍व कायम रहे. और आर्थिक स्थिति भी बेहतर रहे.  वैसे तो हमारे पास 2047 तक डेमोग्राफिक ( किसी भी समूह या आबादी की जनसांख्यिकीय विशेषताओं का अध्ययन) एडवांटेज है.
 

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